Friday 31 May 2013

इस पत्थर से आप भी बन सकते हैं मालामाल


तंत्र शास्त्र में हकीक को चमत्कारीक पत्थर माना गया है। हकीक का प्रयोग विभिन्न टोटकों एवं प्रयोगों में किया जाता है। यह भी कहा जाता है कि जिसके घर में हकीक होता है, वह कभी गरीब नहीं हो सकता। हकीक पत्थर के कुछ साधारण प्रयोग इस प्रकार हैं-

- किसी शुक्रवार के दिन रात्रि में पूजा उपासना करने के पश्चात एक हकीक माला लें और एक सौ आठ बार ऊँ ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद माला को लक्ष्मीजी के मंदिर में अर्पित कर दें। धन से जुड़ी हर समस्या हल हो जाएगी।

- यदि ग्यारह हकीक पत्थर लेकर किसी मंदिर में चढ़ा दें और ऐसा कहें कि अमुक कार्य में विजय होना चाहता हूं तो निश्चय ही उस कार्य में विजय प्राप्त होती है।

- जो व्यक्ति श्रेष्ठ धन की इच्छा रखते हैं वह रात में 27 हकीक पत्थर लेकर उसके ऊपर लक्ष्मी का चित्र स्थापित करें, तो निश्चय ही उसके घर में अधिक उन्नति होती है

इस तरह यह पत्थर धन से जुड़ी आपकी हर समस्या का हल कर देता है।

जड़ी-बूटियों की तांत्रिक उपयोगिता

वनस्पतियों में अदभुत गुण हैं. उनकी शक्ति उनका प्रभाव अदभुत और असंदिग्ध हैं. यहाँ मैं ऐसी ही उपयोगी जड़ी-बूटियों और पौधों की जानकारी दे रहा हूँ


हाथाजोडी वनस्पति के रूप में जड़ हैं. मानव कंकाल की प्रकृति से साम्य रखनेवाली हाथाजोडी तंत्र-शास्त्र की अदभुत वस्तु हैं. शालिम मिश्री जैसी चिकनी और उसी रंग की होती हैं. किसी रविपुष्प योग में हाथाजोडी को पंचामृत में स्नान कराके लाल आसन पर स्थापित करें, फिर उसे सिंदूर भरी डिब्बी में रख लें. इसके रखने से गले एवं वाणी की दोष एवं रोग नहीं होते हैं. व्यक्तित्व को प्रभावी बनाती हैं. परिवार में प्रेत बाधा या भय की स्थिति नहीं रहती हैं. आत्म-विश्वास में वृद्धि होती हैं.

वांदा वांदा, वंदा अथवा बंदाल नाम की परोपजीवी वनस्पति प्रात: आम, पीपल, महुआ, जामुन आदि के पेड़ों पर देखी जाती हैं. इसके पतले, लाल गुच्छेदार फूल और मोटे कड़े पत्ते पीपल के पत्ते की बराबर होते हैं.

भरणी नक्षत्र में कुश का वांदा लाकर पूजा के स्थान पर रखने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं.

पुष्प नक्षत्र में इमली का वांदा लाकर दाहिने हाथ में बाँधने से कंपन के रोग में आराम मिलेगा.

मघा नक्षत्र में हरसिंगार सज वांदा लाकर घर में रखने से समृद्धि एवं सम्पन्नता में वृद्धि होती हैं.

विशाखा नक्षत्र में महुआ का वांदा लाकर गले में धारण करने से भय समाप्त हो जाता हैं. डरावने सपने नहीं आती हैं. शक्ति (पुरुषत्व) में वृद्धि होती हैं.

लटजीरा देहातों में जंगल तथा घरों के आसपास बरसात में एक पौधा उगता हैं. यह लाल एवं श्वेत किसी भी रंग का हो सकता हैं.
लाल लटजीरा की टहनी से दातुन करने पर दांत के रोग से मुक्ति मिलेगी. तथा सम्मोहन की शक्ति में वृद्धि होगी.
लटजीरा की जड़ को जलाकर भस्म बना लें. उसे दूध के साथ पीने से संतानोत्पति की क्षमता आ जाती हैं.
सफ़ेद लटजीरा की जड़ रविपुण्य नक्षत्र में लाने के बाद उसे अपने पास रख लें, जिससे नर्वसनेस समाप्त होगी. आत्मविश्वास में वृद्धि होगी.

लक्ष्मणा बूटी देहात में इसे गूमा कहते हैं. वैधवर्ग इसे लक्ष्मण बूटी कहते हैं. श्वेत लक्ष्मण का पौधा ही तांत्रिक प्रयोग में लाया जाता हैं.
संतानहीन स्त्री, स्वस्थ एवं निरोगी हैं, तो वह श्वेत लक्ष्मण बूटी की २१ गोली बना ले, इसे गाय के दूध के साथ लगातार प्रात: एक गोली २१ दिन तक खाए, तो संतान लाभ मिलता हैं.
श्वेत लक्ष्मणा की जड़ को घिसकर तिलक नियमित रूप से लगाये, तो नर्वसनेस समाप्त होगी. आत्मविश्वास में वृद्धि होगी.

मदार मदार, मंदार, अर्क अथवा आक के नाम से प्राय: सभी इस पौधे से परिचित हैं. इसके पुष्प शिवजी को अर्पित किये जाते हैं. लाल एवं श्वेत पुष्प के मदार के पेड़ होते हैं. श्वेत पुष्प वाले मदार का तांत्रिक प्रयोग होता हैं.
रविपुष्प के दिन मदार की जड़ खोद लाए, उस पर गणेशजी की मूर्ति बनाये. वह मूर्ति सिद्ध होगी. परिवार के अनेक संकट मात्र मूर्ति रखे से ही दूर हो जायेंगे. यदि गणेशजी की साधना करनी हैं, तो उसके लिए सर्वश्रेष्ठ वह मूर्ति होगी.
रविपुष्प में उसकी जड़ को बंध्या स्त्री भी कमर में बंधे तो संतान होगी. रविपुष्प नक्षत्र में लायी गयी जड़ को दाहिने हाथ में धारण करने से आर्थिक समृधि में वृद्धि होती हैं.

रत्नों की शक्ति

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रत्नों में चमत्कारी शक्ति है जो ग्रहों के विपरीत प्रभाव को कम करके ग्रह के बल को बढ़ते है. आइये जानें कि भाग्य को बलवान बनाने के लिए रत्न किस प्रकार धारण करना चाहिए.
रत्नों की शक्ति (Power of Gemstones)
रत्नों में अद्भूत शक्ति होती है. रत्न अगर किसी के भाग्य को आसमन पर पहुंचा सकता है तो किसी को आसमान से ज़मीन पर लाने की क्षमता भी रखता है. रत्न के विपरीत प्रभाव से बचने के लिए सही प्रकर से जांच करवाकर ही रत्न धारण करना चाहिए. ग्रहों की स्थिति के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए. रत्न धारण करते समय ग्रहों की दशा एवं अन्तर्दशा का भी ख्याल रखना चाहिए. रत्न पहनते समय मात्रा का ख्याल रखना आवश्यक होता है. अगर मात्रा सही नहीं हो तो फल प्राप्ति में विलम्ब होता है.

लग्न और रत्न (Ascendant And Gemstones)
लग्न स्थान को शरीर कहा गया है. कुण्डली में इस स्थान का अत्यधिक महत्व है. इसी भाव से सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विचार किया जाता है. लग्न स्थान और लग्नेश की स्थिति के अनुसार जीवन में सुख दु:ख एवं अन्य ग्रहों का प्रभाव भी देखा जाता है. कुण्डली में षष्टम, अष्टम और द्वादश भाव में लग्नेश का होना अशुभ प्रभाव देता है. इन भावों में लग्नेश की उपस्थिति होने से लग्न कमजोर होता है. लग्नेश के नीच प्रभाव को कम करने के लिए इसका रत्न धारण करना चाहिए.

भाग्य भाव और रत्न (Gemstones and Fortune)
जीवन में भाग्य का बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. भाग्य कमज़ोर होने पर जीवन में कदम कदम पर असफलताओं का मुंह देखना पड़ता है. भाग्य मंदा होने पर कर्म का फल भी संतोष जनक नहीं मिल पाता है. परेशानियां और कठिनाईयां सिर उठाए खड़ी रहती है. मुश्किल समय में अपने भी पराए हो जाते हैं. भाग्य का घर जन्मपत्री में नवम भाव होता है. भाग्य भाव और भाग्येश अशुभ स्थिति में होने पर नवमेश से सम्बन्धित रत्न धारण करना चाहिए. भाग्य को बलवान बनाने हेतु भाग्येश के साथ लग्नेश का रत्न धारण करना अत्यंत लाभप्रद होता है.

तृतीय भाव और रत्न (Gemstone for Third house)

जन्म कुण्डली का तीसरा घर पराक्रम का घर कहा जाता है. जीवन में भाग्य का फल प्राप्त करने के लिए पराक्रम का होना आवश्यक होता है. अगर व्यक्ति में साहस और पराक्रम का अभाव हो तो उत्तम भाग्य होने पर भी व्यक्ति उसका लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाता है. आत्मविश्वास का अभाव और अपने अंदर साहस की कमी महसूस होने पर तृतीयेश से सम्बन्धित ग्रह का रत्न पहना लाभप्रद होता है.

कर्म भाव और रत्न (Gemstone for Tenth House)
कर्म से ही भाग्य चमकता है. कहा भी गया है "जैसी करनी वैसी भरनी" ज्योतिष की दष्टि से कहें तो जैसा कर्म हम करते हैं भाग्य फल भी हमें वैसा ही मिलता है. भाग्य को पब्रल बनाने में कर्म का महत्वपूर्ण स्थान होता है. भाग्य भाव उत्तम हो और कर्म भाव पीड़ित तो इस स्थिति भाग्य फल बाधित होता है. कुण्डली में दशम भाव कर्म भाव होता है. अगर कुण्डली में यह भाव पीड़ित हो अथवा इस भाव का स्वामी कमज़ोर हो तो सम्बन्धित भाव स्वामी एवं लग्नेश का रत्न पहनाना मंगलकारी होता है.

रत्न और सावधानी (Gemstone Precautions)
रत्न धारण करते समय कुछ सावधानियों का ख्याल रखना आवश्यक होता है. जिस ग्रह की दशा अन्तर्दशा के समय अशुभ प्रभाव मिल रहा हो उस ग्रह से सम्बन्धित रत्न पहनना शुभ फलदायी नहीं होता है. इस स्थिति में इस ग्रह के मित्र ग्रह का रत्न एवं लग्नेश का रत्न धारण करना लाभप्रद होता है. रत्न की शुद्धता की जांच करवाकर ही धारण करना चाहिए धब्बेदार और दरारों वाले रत्न भी शुभफलदायी नहीं होते हैं.

शीघ्र ही लाभ होगा

शनिवार के दिन एक जालदार जटा वाला नारियल ले और बहते जल में काले वस्त्र में लपेटकर 100 ग्राम काले तिल,जो,उरद की दाल एक कील के साथ शनिवार को प्रवाहित कर दें। शनि, राहु,केतु जनित या कोई और ऊपरी बाधा होगी तो उतर जाएगी।
मंगलवार को एक नारियल सवा मीटर लाल वस्त्र में लपेटकर अपने ऊपर से साथ बार उतार कर हनुमान जी के चरणों में रख दें। किसी भी प्रकार की बाधा, नज़र दोष,ज्वर होगा उतर जाएगा।
यदि राहु की कोई समस्या है,तनाव बहुत है,क्रोध बहुत आ रहा,काम कुछ बन नहीं रहा तो बुधवार की रात्रि को एक नारियल सर के पास रख कर सोये और अगले दिन वह नारियल गणेश जी के मंदिर में कुछ दक्षिणा के साथ अर्पित कर दें तथा विघ्नहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें। सब अमंगल दूर होकर मंगल ही मंगल हो जाएगा।
यदि आर्थिक समस्या से घिर गए है तो लगातार आठ मंगलवार हनुमान जी के मंदिर एक नारियल ले कर जाये उसके सिंदूर से स्वस्तिक बनाये हनुमान जी को अर्पित कर वहां बैठ कर ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करे शीघ्र ही लाभ होगा।
यदि कुंडली में शनि,मंगल,राहु,केतु शुभ स्थिति में नहीं है या इनकी अशुभ दशा चल रही हो तो शनिवार को एक सुखा मेवे वाला नारियल लाये ऊपर एक छोटा सा मुख बना कर उसके थोडा सा मेवा और चीनी का बुरा (शक्कर)भरकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे एक गड्ढा खोद कर उसे दबा दें और वापिस चले आएं।
यदि व्यापार में निरंतर हानि हो और रुकने का नाम न ले तो गुरूवार के दिन एक नारियल ले कर सवा मीटर पीले वस्त्र में लपेटे,एक जोड़ा जनेऊ,सवा पाव पीले मिष्ठान के साथ किसी विष्णु मंदिर में हानि रोकने के प्रार्थना व संकल्प के साथ रख आएं। तत्काल हानि समाप्त हो कर लाभ प्रारंभ हो जाएगा।
यदि धन का संचय नहीं है, परिवार की आर्थिक दशा को लेकर चिंता है तो शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के मंदिर जाएं माता के चरण में एक जटा वाला नारियल,गुलाब या कमल के पुष्प अथवा माला,एक सवा-सवा मीटर गुलाबी और सफ़ेद वस्त्र, सवा पांव,चावल,दही,सफ़ेद मिष्ठान,एक जोड़ा जनेऊ एक साथ मां को भेट अर्पित कर माता की कपूर व देसी घी से आरती करें या करवाए तथा अपने मन की व्यथा माता के समक्ष कहें,शीघ्र ही आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
यदि आप किसी गंभीर आपत्ति विपत्ति में घिर गए हों और कोई मार्ग न दिखाई दे तो दो नारियल और एक चुनरी,कपूर,अड़हुल के पुष्प की माला लेकर देवी दुर्गा के मंदिर जाएं,एक नारियल चुनरी के साथ मां को अर्पित करें माला से मां का श्रृंगार कराकर मां को कुछ मिष्ठान का भोग अर्पित कर कर्पुर से आरती करें फिर एक बचे हुए नारियल को " हुं फट " के उच्चारण के साथ मां के समक्ष बलि दे अर्थात नारियल तोड़ से। सभी बाधा आपसे दूर होगी।

छोटी वस्तु में सिद्धि-ऋद्धि

प्रकृति अपने में असंख्य निधियों को समेटे हुए है, जिसको इनका ज्ञान है, वह लाभ उठाता है। ऎसी बहुत सी वस्तुएं हैं जो सुख-समृद्धि के प्रभावों से ओत-प्रोत हैं। वनस्पतियों से लेकर प्रस्तरखण्ड और धातुएँ इनकी प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। ईश्वर ने प्रकृति को अपनी माया कहा है। एक पुरूष (ईश्वर) की माया उसकी स्त्री होती है। पुरूष प्रदत्त या अर्जित सभी सम्पत्ति की एकमात्र अधिकारिणी उसकी पत्नी होती है। ईश्वर ने भी अपने समस्त वैभव प्रदायक, समृद्धिदायक प्रभावों को प्रकृति में पृथक-पृथक रूप में व्यवस्थित किया है। पंच तत्व आदि तो प्रधान हैं ही कुछ वृक्षों के तो पत्ते तक धन प्राप्ति कराने में सहयोग करते हैं। ऎसी वस्तुओं की गणना यद्यपि संभव नहीं क्योंकि "कण-कण में भगवान हैं, के अनुसार प्रकृति में उपस्थित हर छोटी से छोटी वस्तु में सिद्धि-ऋद्धि व्याप्त हैं।" उनमें से कुछ सुगम उपलब्ध वस्तुओं का और उनको प्रयोग में लेने का उल्लेख करेंगे। इस विषय वस्तु का प्रमाण प्रमुख तंत्र-शास्त्रों व कुछ प्रसिद्ध पुराणों में इनकी उपयोगिता का वर्णन है-
तुलसी - तुलसी साक्षात् लक्ष्मी स्वरूपा हैं और भारत के हर भाग में सहज उपलब्ध हैं। जिस घर में तुलसी का पौधा नहीं, वह घर सूना समझा जाता है। तुलसी का स्पर्श कर घर में प्रवेश करने वाली वायु साक्षात् अमृत होती है। दैहिक स्वास्थ्य को सिद्ध करती है। प्रतिदिन तुलसी को जल चढ़ाने से न केवल स्वास्थ्य अच्छा रहता है अपितु इससे भगवान केशव प्रसन्न होते हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि करते हैं।
हरसिंगार का बांदा - हरसिंगार नामक एक पौधा है। किसी पौधे पर पुष्प लगने के बाद, फल लगने से पूर्व पुष्प जिस अवस्था में होता है, वही बांदा कहलाता है। बांदा में पुष्प व फल की मिश्रित गंध होती है। हरसिंगार का बांदा आर्थिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है तथा भवन के दोषों का निवारण भी करता है। शनिवार और मंगलवार के अतिरिक्त अन्य किसी वार को जबकि चंद्रमा हस्त नक्षत्र पर हों तब हरसिंगार का बाँदा घर में ले आएं और महालक्ष्मी के मंत्र से इसका पूजन करने के उपरांत लाल कप़डे में लपेट कर तिजोरी में रखने से धन और समृद्धि की बढ़ोत्तरी होती है, धन लाभ के नवीन अवसर प्राप्त होते हैं।
रूद्राक्ष - प्राकृतिक वनस्पतियों में रूद्राक्ष अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत के अधिकांश भागों में रूद्राक्ष पाया जाता है तथापि नेपाल, मलाया, इण्डोनेशिया, बर्मा आदि में यह प्रचुर मात्रा उपलब्ध होता है। भगवान शंकर के नेत्रों से रूद्राक्ष की उत्पत्ति मानी जाती है। वृक्ष में रूद्राक्ष फल के रूप में उत्पन्न होता है। आकार भेद से रूद्राक्ष अनेक प्रकार के होते हैं। रूद्राक्ष दाने पर उभरी हुई धारियों के आधार पर रूद्राक्ष के मुख निर्धारित किये जाते हैं। एकमुखी दुर्लभ हैं और दो मुखी से 21 मुखी तक रूद्राक्ष होते हैं।
जब कभी रविवार-गुरूवार या सोमवार को पुष्य नक्षत्र पर चंद्रमा हों तो ऎसे सिद्ध योग में रूद्राक्ष का पूजन कर, रूद्राक्ष को शिव स्वरूप मानकर प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। रूद्राक्ष को माला या लॉकेट के रूप में धारण किया जाता है। तंत्र शास्त्रों के अनुसार रूद्राक्ष धारण करने पर भूत-प्रेतजनित बाधाओं, अदृश्य आत्माओं तथा अभिचार प्रयोग जनित बाधाओं का समाधान होने लगता है।
रूद्राक्ष दाने को गंगाजल में घिसकर प्रतिदिन माथे पर टीका लगाने से मान-सम्मान तथा यश और प्रतिष्ठा बढ़ती है। विद्यार्थी वर्ग इस प्रकार टीका लगाएं तो उनकी बुद्धि एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है।
गोरोचन - गोरोचन अति प्रसिद्ध वस्तु है। पूजा कर्म में अष्टगंध बनाने में तथा आयुर्वेद में कतिपय औषधियों के निर्माण में गोरोचन को प्रयोग में लिया जाता है। गोरोचन गाय के सिर में से प्राप्त किया जाता है तथा बाजार में पंसारी की दुकान पर यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
प्रयोग
"रवि-पुष्य" या "गुरू-पुष्य" योग में गोरोचन के एक टुक़डे को गंगाजल व पंचामृत से शुद्ध करके, धूप-दीप आदि से शोधित कर, अपने इष्टदेव के मंत्र से इसे अभिमंत्रित कर लें और चाँदी की ताबीजनुमा डिब्बी में रखकर, गले में बाँध लेने या पूजा में रखने से अशांति दूर होती है और जीवन मे सुख शांति आती है।
गोरोचन के टुक़डे को उपरोक्त प्रकार पूजन करके चाँदी की डिब्बी में रखकर तिजोरी में रखने से व्यापार की वृद्धि होती है। धन का लाभ होता है।
एकाक्षी नारियल
नारियल को श्रीफल, खोपरा, गोला, कोकोनट आदि नामों से जाना जाता है। नारियल रेशेनुमा ज़डों से आवृत्त होता है। इन ज़डों को हटा देने पर अधिकांश नारियलों पर तीन काले रंग की बिन्दु जैसी आकृति दिखाई देती है, इनमें से दो नेत्रों तथा एक मुख का परिचायक होती है। किसी-किसी नारियल में एक नेत्र और एक मुख के रूप में मात्र दो ही निशान होते हैं, इसे "एकाक्षी नारियल" कहते हैं। इसे घर में रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। यद्यपि इसकी उपलब्धता दुर्लभ होती है लेकिन प्रयास करने पर यह प्राप्त हो जाता है। एकाक्षी नारियल को लाल कप़डे में लपेटकर, सिंदूर और कुंकुम आदि से पूजा करनी चाहिये।
जिस घर में एकाक्षी नारियल की पूजा होती है, वहाँ लक्ष्मी जी की कृपा होती है, अन्न व धन की कभी कमी नहीं आती। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर पूजा की जाये तो व्यवसाय की वृद्धि होती है।
बरगद - बरगद को "वट वृक्ष" या ब़ड के वृक्ष के नाम से जाना जाता है। यह सर्व सुलभ है। महिलाएं "वट-सावित्री" व्रत में इस वृक्ष की पूजा करती हैं। इसमें तने के चारों ओर जटायें लटकती रहती हैं।
प्रयोग रविवार को जब चंद्रमा पुष्य नक्षत्र पर हों तब बरगद वृक्ष की जटा ले आएं तथा इसे सुखाकर अगले रविवार को जलाकर राख को कप़डछन करके रख लें। इस चूर्ण से दाँतों का मंजन करने से दाँतों के रोग दूर हो जाते हैं।
किसी पुराने बरगद वृक्ष के नीचे यदि कहीं स्व-उत्पन्न कोई छोटा बरगद का पौधा मिल जाये तो सौभाग्य का सूचक होता है। पुराने वृक्ष के नीचे इसकी सुरक्षा का पूर्ण बंदोबस्त कर देना चाहिये, जिससे कोई पशु-पक्षी या मनुष्य इसे क्षति नहीं पहुँचाये। जब कभी "रवि-पुष्य" योग पडे़ तब इस पौधे को ज़ड सहित उख़ाड कर लाएं और किसी सुरक्षित स्थान बाग या बगीचे में लगा दें तथा इसका पालन करते रहें। जैसे-जैसे यह पे़ड ब़डा होता जाता है, वैसे ही पे़ड लगाने वाले का आर्थिक ऎश्वर्य भी बढ़ता जाता है।
गोमती चक्र - चक्राकार आकृति (पत्थर के टुक़डे) को ही गोमती चक्र कहते हैं चूंकि यह गोमती नदी से ही प्राप्त होता है और एक विशेष प्रकार के पत्थर पर निर्मित होता है अत: इसे "गोमती चक्र" कहते हैं।
ग्यारह गोमती चक्रों को लाल कप़डे के आसन पर पूजा के स्थान पर रखने एवं प्रतिदिन उनकी केसर-चंदन से पूजा करते रहने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। यह प्रयोग "रवि-पुष्य", "गुरू-पुष्य" या दीपावली की रात्रि से प्रारंभ किये जा सकते हैं। पूजा में "ऊँ श्रीं श्रियै नम:" मंत्र प्रयोग में लें। इन वस्तुओं की प्राप्ति सुलभ हो तो ये प्रयोग दीपावली की रात्रि में भी किये जा सकते हैं।

धन लाभ के लिऐ 11 गोमती चक्र

गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी मे मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यो तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। असाध्य रोगों को दुर करने तथा मानसिक शान्ति प्राप्त करने के लिये लगभग 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल देना चाहिऐ। सुबह उस पानी को पी जाना चाहिऐ । इससे पेट संबंध के विभिन्न रोग दुर होते है।


धन लाभ के लिऐ 11 गोमती चक्र अपने पुजा स्थान मे रखना चाहिऐ उनके सामने ॐ श्री नमः का जाप करना चाहिऐ। इससे आप जो भी कार्य करेंगे उसमे आपका मन लगेगा और सफलता प्राप्त होगी । किसी भी कार्य को उत्साह के साथ करने की प्रेरणा मिलेगी।
गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदुर तथा अक्षत डालकर रखें तो ये शीघ्र फलदायक होते है। होली, दीवाली, तथा नवरात्रों आदि पर गोमती चक्रों की विशेष पुजा की जाति है। अन्य विभिन्न मुहुर्तों के अवसर पर भी इनकी पुजा लाभदायक मानी जाती है। सर्वसिद्धि योग तथा रावेपुष्य योग आदि के समय पुजा करने पर ये बहुत फलदायक है।


गोमती चक्र की पूजा
होली, दिवाली और नव रात्रों आदिपर गोमती चक्र की विशेष पूजा होती है। सर्वसिद्धि योग, अमृत योग और रविपुष्य योग आदि विभिन्न मुहूर्तों पर गोमती चक्र की पूजा बहुत फलदायक होती है। धन लाभ के लिए ११ गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें तथा उनके सामने ॐ श्रींनमः का जाप करें।


ऊपरी बाधाओं से मुक्ति दिलाए गोमती चक्र----
गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी में मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यों तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। इसका तांत्रिक उपयोग बहुत ही सरल होता है। किसी भी प्रकार की समस्या के निदान के लिए यह बहुत ही कारगर उपाय है।


1- यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर घुमाकर आग में डाल दें तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है।


2- यदि घर में बीमारी हो या किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बांध दें। उसी दिन से रोगी को आराम मिलने लगता है।


3- प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जाएंगे।


4- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।


5- यदि इस गोमती चक्र को लाल सिंदूर के डिब्बी में घर में रखें तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।

ऐसे बनेंगे बिगड़े काम

जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियां सबको आती हैं लेकिन लगातार परेशानियों से पीछा नहीं छूटे तो निम्न उपाय कर संकटों से छुटकारा पाया जा सकता है।

सूर्य बनाए काम

प्रात: काल में सूर्य जब तक चढ़ रहा हो तो आप इस टोटके को कर सकता है। सूर्य जब ढलने लगे तो यह टोटका प्रभावी नहीं होता है। सर्वप्रथम आप सूर्य को नमन करें, इसके बाद कच्चा सूत लेकर उस पर ओम गं गणपतये नम: मंत्र पढ़ते हुए सात गांठें लगाएं। अब आप इस सूत के ताबीज को सामने वाली जेब मे रखकर चले जाएं। बिगड़ा कार्य सिद्ध होगा और उस दिन काम बनते चले जाएंगे।

परीक्षा में अच्छे अंक आएंगे

जब तक परीक्षाएं हो, बच्चे को नियमित दही दिया करें, केवल उसके समय में परिवर्तन करना होता है। इसमें रहस्य केवल इतना है, जैसे प्रथम दिन प्रात: 8 बजे दिया तो अगले दिन 9 बजे और फिर दस बजे यानी रोज एक घंटा बढ़ाते जाएं। जब परीक्षा देने बच्चा जाएगा तो अच्छे अंक आएंगे।

ऐसे होगी घर में बरकत
गेहूं पिसवाते समय उसमें 11 पत्ते तुलसी और थोड़ा सा केसर डाल कर पिसवा लें। इसको पिसवाने से पूर्व इसमें से एक मु_ी मिश्रण को एक रात्रि के लिए किसी मंदिर में रख दें। उसे अगले दिन वहां से लाकर इस मिश्रण में मिला लें। इसके बाद ही पूरे मिश्रण को पिसवाएं। ऐसा जब भी आप गेहूं पिसवाने जाएं तो एक दिन पहले करें। ऐसा करने से घर में बरकत रहेगी।

सब कार्य होंगे पूरे
एक मिट्टी का बना शेर किसी बुधवार को दुर्गा माता के आगे चढ़ाने से सब कार्य पूर्ण हो जाते हैं।

लक्ष्मीजी प्रसन्न होंगी

अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को हरे हकी की 54 नगों की एक माला लक्ष्मीजी को चढ़ाएं।

ऋण उतर जाएगा
किसी भी शुक्ल पक्ष की बुधवार को सूर्यास्त के पूर्व चांदी का एक हाथी लाकर घर पर रखें। ऐसा करने से आपका ऋ ण कम होगा।
ऋण मुक्ति के लिए शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से इस प्रयोग को आरंभ करें। चांदी के या स्फटिक के लक्ष्मी गणेश की मूरत अपने घर या ऑफिस के पूजा स्थल में रख दें। अब एक पात्र में गंगाजल रखकर उसमें चांदी का सिक्का जिसमें लक्ष्मी गणेश बने हों, डाल दें। प्रत्येक शुक्रवार को लक्ष्मी जी को खीर का भोग लगाएं तथा बाकी बची खीर स्वयं खा लें। रोजाना कनक धारा स्तोत्र पाठ करें तथा एक माला ओम गं गणतये नम: की करें। शीघ्र ही ऋण मुक्ति मिलेगी।

लक्ष्मीजी की कृपा सदा बनी रहेगी
दीपावली के दिन प्रात: उठकर बिना हाथ मुंह धोकर एक नारियल को बड़े पत्थर के साथ बांधकर किसी नदी या तालाब में रस्सी के सहारे डुबो दें। डुबोते समय यह प्रार्थना करें कि हे नारियल, मैं सायंकाल को फिर आऊंगा और आपको लक्ष्मी के साथ ले जाऊंगा। सूर्यास्त के पश्चात उस नारियल को ले आओ। उसे अपने घर में संदूक या तिजोरी में रख दों । पूरे वर्ष घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।

तंत्र से लक्ष्मी प्राप्ति के प्रयोग

नागेश्वर तंत्रः
नागेश्वर को प्रचलित भाषा में ‘नागकेसर’ कहते हैं। काली मिर्च के समान गोल, गेरु के रंग का यह गोल फूल घुण्डीनुमा होता है। पंसारियों की दूकान से आसानी से प्राप्त हो जाने वाली नागकेसर शीतलचीनी (कबाबचीनी) के आकार से मिलता-जुलता फूल होता है। यही यहाँ पर प्रयोजनीय माना गया है।
१॰ किसी भी पूर्णिमा के दिन बुध की होरा में गोरोचन तथा नागकेसर खरीद कर ले आइए। बुध की होरा काल में ही कहीं से अशोक के वृक्ष का एक अखण्डित पत्ता तोड़कर लाइए। गोरोचन तथा नागकेसर को दही में घोलकर पत्ते पर एक स्वस्तिक चिह्न बनाएँ। जैसी भी श्रद्धाभाव से पत्ते पर बने स्वस्तिक की पूजा हो सके, करें। एक माह तक देवी-देवताओं को धूपबत्ती दिखलाने के साथ-साथ यह पत्ते को भी दिखाएँ। आगामी पूर्णिमा को बुध की होरा में यह प्रयोग पुनः दोहराएँ। अपने प्रयोग के लिये प्रत्येक पुर्णिमा को एक नया पत्ता तोड़कर लाना आवश्यक है। गोरोचन तथा नागकेसर एक बार ही बाजार से लेकर रख सकते हैं। पुराने पत्ते को प्रयोग के बाद कहीं भी घर से बाहर पवित्र स्थान में छोड़ दें।
२॰ किसी शुभ-मुहूर्त्त में नागकेसर लाकर घर में पवित्र स्थान पर रखलें। सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करें और प्रतिमा पर चन्दन-पुष्प के साथ नागकेसर भी अर्पित करें। पूजनोपरान्त किसी मिठाई का नैवेद्य शिवजी को अर्पण करने के बाद यथासम्भव मन्त्र का भी जाप करें ‘ॐ नमः शिवाय’। उपवास भी करें। इस प्रकार २१ सोमवारों तक नियमित साधना करें। वैसे नागकेसर तो शिव-प्रतिमा पर नित्य ही अर्पित करें, किन्तु सोमवार को उपवास रखते हुए विशेष रुप से साधना करें। अन्तिम अर्थात् २१वें सोमवार को पूजा के पश्चात् किसी सुहागिनी-सपुत्रा-ब्राह्मणी को निमन्त्रण देकर बुलाऐं और उसे भोजन, वस्त्र, दान-दक्षिणा देकर आदर-पूर्वक विदा करें।
इक्कीस सोमवारों तक नागकेसर-तन्त्र द्वारा की गई यह शिवजी की पूजा साधक को दरिद्रता के पाश से मुक्त करके धन-सम्पन्न बना देती है।

३॰ पीत वस्त्र में नागकेसर, हल्दी, सुपारी, एक सिक्का, ताँबे का टुकड़ा, चावल पोटली बना लें। इस पोटली को शिवजी के सम्मुख रखकर, धूप-दीप से पूजन करके सिद्ध कर लें फिर आलमारी, तिजोरी, भण्डार में कहीं भी रख दें। यह धनदायक प्रयोग है। इसके अतिरिक्त “नागकेसर” को प्रत्येक प्रयोग में “ॐ नमः शिवाय” से अभिमन्त्रित करना चाहिए।



४॰ कभी-कभी उधार में बहुत-सा पैसा फंस जाता है। ऐसी स्थिति में यह प्रयोग करके देखें-
किसी भी शुक्ल पक्ष की अष्टमी को रुई धुनने वाले से थोड़ी साफ रुई खरीदकर ले आएँ। उसकी चार बत्तियाँ बना लें। बत्तियों को जावित्री, नागकेसर तथा काले तिल (तीनों अल्प मात्रा में) थोड़ा-सा गीला करके सान लें। यह चारों बत्तियाँ किसी चौमुखे दिए में रख लें। रात्रि को सुविधानुसार किसी भी समय दिए में तिल का तेल डालकर चौराहे पर चुपके से रखकर जला दें। अपनी मध्यमा अंगुली का साफ पिन से एक बूँद खून निकाल कर दिए पर टपका दें। मन में सम्बन्धित व्यक्ति या व्यक्तियों के नाम, जिनसे कार्य है, तीन बार पुकारें। मन में विश्वास जमाएं कि परिश्रम से अर्जित आपकी धनराशि आपको अवश्य ही मिलेगी। इसके बाद बिना पीछे मुड़े चुपचाप घर लौट आएँ। अगले दिन सर्वप्रथम एक रोटी पर गुड़ रखकर गाय को खिला दें। यदि गाय न मिल सके तो उसके नाम से निकालकर घर की छत पर रख दें।



५॰ जिस किसी पूर्णिमा को सोमवार हो उस दिन यह प्रयोग करें। कहीं से नागकेसर के फूल प्राप्त कर, किसी भी मन्दिर में शिवलिंग पर पाँच बिल्वपत्रों के साथ यह फूल भी चढ़ा दीजिए। इससे पूर्व शिवलिंग को कच्चे दूध, गंगाजल, शहद, दही से धोकर पवित्र कर सकते हो। तो यथाशक्ति करें। यह क्रिया अगली पूर्णिमा तक निरन्तर करते रहें। इस पूजा में एक दिन का भी नागा नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर आपकी पूजा खण्डित हो जायेगी। आपको फिर किसी पूर्णिमा के दिन पड़नेवाले सोमवार को प्रारम्भ करने तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। इस एक माह के लगभग जैसी भी श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना बन पड़े, करें। भगवान को चढ़ाए प्रसाद के ग्रहण करने के उपरान्त ही कुछ खाएँ। अन्तिम दिन चढ़ाए गये फूल तथा बिल्वपत्रों में से एक अपने साथ श्रद्धाभाव से घर ले आएँ। इन्हें घर, दुकान, फैक्ट्री कहीं भी पैसे रखने के स्थान में रख दें। धन-सम्पदा अर्जित कराने में नागकेसर के पुष्प चमत्कारी प्रभाव दिखलाते हैं।



मार्जारी तंत्र :

मार्जारी अर्थात्‌ बिल्ली सिंह परिवार का जीव है। केवल आकार का अंतर इसे सिंह से पृथक करता है, अन्यथा यह सर्वांग में, सिंह का लघु संस्करण ही है। मार्जारी अर्थात्‌ बिल्ली की दो श्रेणियाँ होती हैं- पालतू और जंगली। जंगली को वन बिलाव कहते हैं। यह आकार में बड़ा होता है, जबकि घरों में घूमने वाली बिल्लियाँ छोटी होती हैं। वन बिलाव को पालतू नहीं बनाया जा सकता, किन्तु घरों में घूमने वाली बिल्लियाँ पालतू हो जाती हैं। अधिकाशतः यह काले रंग की होती हैं, किन्तु सफेद, चितकबरी और लाल (नारंगी) रंग की बिल्लियाँ भी देखी जाती हैं।

घरों में घूमने वाली बिल्ली (मादा) भी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कराने में सहायक होती है, किन्तु यह तंत्र प्रयोग दुर्लभ और अज्ञात होने के कारण सर्वसाधारण के लिए लाभकारी नहीं हो पाता। वैसे यदि कोई व्यक्ति इस मार्जारी यंत्र का प्रयोग करे तो निश्चित रूप से वह लाभान्वित हो सकता है।

गाय, भैंस, बकरी की तरह लगभग सभी चौपाए मादा पशुओं के पेट से प्रसव के पश्चात्‌ एक झिल्ली जैसी वस्तु निकलती है। वस्तुतः इसी झिल्ली में गर्भस्थ बच्चा रहता है। बच्चे के जन्म के समय वह भी बच्चे के साथ बाहर आ जाती है। यह पॉलिथीन की थैली की तरह पारदर्शी लिजलिजी, रक्त और पानी के मिश्रण से तर होती है। सामान्यतः यह नाल या आँवल कहलाती हैं।

इस नाल को तांत्रिक साधना में बहुत महत्व प्राप्त है। स्त्री की नाल का उपयोग वन्ध्या अथवा मृतवत्सा स्त्रियों के लिए परम हितकर माना गया है। वैसे अन्य पशुओं की नाल के भी विविध उपयोग होते हैं। यहाँ केवल मार्जारी (बिल्ली) की नाल का ही तांत्रिक प्रयोग लिखा जा रहा है, जिसे सुलभ हो, इसका प्रयोग करके लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकता है।

जब पालतू बिल्ली का प्रसव काल निकट हो, उसके लिए रहने और खाने की ऐसी व्यवस्था करें कि वह आपके कमरे में ही रहे। यह कुछ कठिन कार्य नहीं है, प्रेमपूर्वक पाली गई बिल्लियाँ तो कुर्सी, बिस्तर और गोद तक में बराबर मालिक के पास बैठी रहती हैं। उस पर बराबर निगाह रखें। जिस समय वह बच्चों को जन्म दे रही हो, सावधानी से उसकी रखवाली करें। बच्चों के जन्म के तुरंत बाद ही उसके पेट से नाल (झिल्ली) निकलती है और स्वभावतः तुरंत ही बिल्ली उसे खा जाती है। बहुत कम लोग ही उसे प्राप्त कर पाते हैं।
अतः उपाय यह है कि जैसे ही बिल्ली के पेट से नाल बाहर आए, उस पर कपड़ा ढँक दें। ढँक जाने पर बिल्ली उसे तुरंत खा नहीं सकेगी। चूँकि प्रसव पीड़ा के कारण वह कुछ शिथिल भी रहती है, इसलिए तेजी से झपट नहीं सकती। जैसे भी हो, प्रसव के बाद उसकी नाल उठा लेनी चाहिए। फिर उसे धूप में सुखाकर प्रयोजनीय रूप दिया जाता है।

धूप में सुखाते समय भी उसकी रखवाली में सतर्कता आवश्यक है। अन्यथा कौआ, चील, कुत्ता आदि कोई भी उसे उठाकर ले जा सकता है। तेज धूप में दो-तीन दिनों तक रखने से वह चमड़े की तरह सूख जाएगी। सूख जाने पर उसके चौकोर टुकड़े (दो या तीन वर्ग इंच के या जैसे भी सुविधा हो) कर लें और उन पर हल्दी लगाकर रख दें। हल्दी का चूर्ण अथवा लेप कुछ भी लगाया जा सकता है। इस प्रकार हल्दी लगाया हुआ बिल्ली की नाल का टुकड़ा लक्ष्मी यंत्र का अचूक घटक होता है।

तंत्र साधना के लिए किसी शुभ मुहूर्त में स्नान-पूजा करके शुद्ध स्थान पर बैठ जाएँ और हल्दी लगा हुआ नाल का सीधा टुकड़ा बाएँ हाथ में लेकर मुट्ठी बंद कर लें और लक्ष्मी, रुपया, सोना, चाँदी अथवा किसी आभूषण का ध्यान करते हुए 54 बार यह मंत्र पढ़ें- ‘मर्जबान उल किस्ता’।

इसके पश्चात्‌ उसे माथे से लगाकर अपने संदूक, पिटारी, बैग या जहाँ भी रुपए-पैसे या जेवर हों, रख दें। कुछ ही समय बाद आश्चर्यजनक रूप से श्री-सम्पत्ति की वृद्धि होने लगती है। इस नाल यंत्र का प्रभाव विशेष रूप से धातु लाभ (सोना-चाँदी की प्राप्ति) कराता है।

दूर्वा तंत्र :
दूर्वा अर्थात्‌ दूब एक विशेष प्रकार की घास है। आयुर्वेद, तंत्र और अध्यात्म में इसकी बड़ी महिमा बताई गई है। देव पूजा में भी इसका प्रयोग अनिवार्य रूप से होता है। गणेशजी को यह बहुत प्रिय है। साधक किसी दिन शुभ मुहूर्त में गणेशजी की पूजा प्रारंभ करे और प्रतिदिन चंदन, पुष्प आदि के साथ प्रतिमा पर 108 दूर्वादल (दूब के टुकड़े) अर्पित करे। धूप-दीप के बाद गुड़ और गिरि का नैवेद्य चढ़ाना चाहिए। इस प्रकार प्रतिदिन दूर्वार्पण करने से गणेशजी की कृपा प्राप्त हो सकती है। ऐसा साधक जब कभी द्रव्योपार्जन के कार्य से कहीं जा रहा हो तो उसे चाहिए कि गणेश प्रतिमा पर अर्पित दूर्वादलों में से 5-7 दल प्रसाद स्वरूप लेकर जेब में रख ले। यह दूर्वा तंत्र कार्यसिद्धि की अद्‍भुत कुंजी है।

अश्व (वाहन) नाल तंत्र :

नाखून और तलवे की रक्षा के लिए लोग प्रायः घोड़े के पैर में लोहे की नाल जड़वा देते हैं, क्योंकि उन्हें प्रतिदिन पक्की सड़कों पर दौड़ना पड़ता है। यह नाल भी बहुत प्रभावी होती है। दारिद्र्य निवारण के लिए इसका प्रयोग अनेक प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है।

घोड़े की नाल तभी प्रयोजनीय होती है, जब वह अपने आप घोड़े के पैर से उखड़कर गिरी हो और शनिवार के दिन किसी को प्राप्त हो। अन्य दिनों में मिली नाल प्रभावहीन मानी जाती है। शनिवार को अपने आप, राह चलते कहीं ऐसी नाल दिख जाए, भले ही वह घोड़े के पैर से कभी भी गिरी हो उसे प्रणाम करके ‘ॐ श्री शनिदेवाय नमः’ का उच्चारण करते हुए उठा लेना चाहिए।

शनिवार को इस प्रकार प्राप्त नाल लाकर घर में न रखें, उसे बाहर ही कहीं सुरक्षित छिपा दें। दूसरे दिन रविवार को उसे लाकर सुनार के पास जाएँ और उसमें से एक टुकड़ा कटवाकर उसमें थोड़ा सा तांबा मिलवा दें। ऐसी मिश्रित धातु (लौह-ताम्र) की अंगूठी बनवाएँ और उस पर नगीने के स्थान पर ‘शिवमस्तु’ अंकित करा लें। इसके पश्चात्‌ उसे घर लाकर देव प्रतिमा की भाँति पूजें और पूजा की अलमारी में आसन पर प्रतिष्ठित कर दें। आसन का वस्त्र नीला होना चाहिए।

एक सप्ताह बाद अगले शनिवार को शनिदेव का व्रत रखें। सन्ध्या समय पीपल के वृक्ष के नीचे शनिदेव की पूजा करें और तेल का दीपक जलाकर, शनि मंत्र ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ का जाप करें। एक माला जाप पश्चात्‌ पुनः अंगूठी को उठाएँ और 7 बार यही मंत्र पढ़ते हुए पीपल की जड़ से स्पर्श कराकर उसे पहन लें। यह अंगूठी बीच की या बगल की (मध्यमा अथवा अनामिका) उँगली में पहननी चाहिए। उस दिन केवल एक बार संध्या को पूजनोपरांत भोजन करें और संभव हो तो प्रति शनिवार को व्रत रखकर पीपल के वृक्ष के नीचे शनिदेव की पूजा करते रहें। कम से कम सात शनिवारों तक ऐसा कर लिया जाए तो विशेष लाभ होता है। ऐसे व्यक्ति को यथासंभव नीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए और कुछ न हो सके तो नीला रूमाल य अंगोछा ही पास में रखा जा सकता है।

इस अश्व नाल से बनी मुद्रिका को साक्षात्‌ शनिदेव की कृपा के रूप में समझना चाहिए। इसके धारक को बहुत थोड़े समय में ही धन-धान्य की सम्पन्नता प्राप्त हो जाती है। दरिद्रता का निवारण करके घर में वैभव-सम्पत्ति का संग्रह करने में यह अंगूठी चमत्कारिक प्रभाव दिखलाती है।

कुछ प्रभावशाली उपाय

घर में पैसा बचायें इस तरह भी

आप पैसा बचाने के पक्ष में हैं और अधिक से अधिक धन कमाने के बाद भी कुछ बचा नहीं पा रहे हैं और घर में बरकत नही हो रही हो,पैसे कब आते हैं, कब चले जाते हैं कोई हिसाब-किताब नहीं तो इस उपाय को आजमायें-मंगलवार के दिन लाल चंदन,लाल गुलाब के फूल तथा रोली लें. इन सब चीजों को लाल कपड़े में बांधकर एक सप्ताह के लिए मंदिर में रख दें. घर पर धूपबत्ती किया करें. एक सप्ताह के बाद उनको घर की तथा दुकान की तिजोरियों में रख दें आप देखेंगे कि आपकी इच्छा साकार होने लगी है.

घर में इस तरह लायें खुशहाली

अगर आप अपने घर में खुशहाली लाना चाहते हैं व शांति बनाये रखना चाहते हैं तो यह उपाय करें-शुक्ल पक्ष के बृहस्पति को यह क्रिया शुरू करें तथा 11 बृहस्पतिवार तक लगातार करें. घर या व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगा जल से धो लें. इसके बाद स्वास्तिक बनाएं. उस पर चने की दाल तथा थोड़ा-सा गुड़ रख दे. इसके बाद स्वास्तिक को बार-बार देखें. अगर वह खराब हो जाए तो सामान को इकट्ठा करके जल प्रवाह करें.11 बृहस्पतिवार के बाद गणेश जी को सिंदूर लगाकर उनके सामने पांच लड्डू रखें तथा घर में खुशहाली व शांति का माहौल बनने लगेगा.

बेरोजगार हैं तो यह करें....

अगर आपके लाख प्रयत्न करने के बाद भी आप अभी तक बेरोजगार हैं और आपमें ही भावना घर कर गई है तो यह करें-एक बिना दाग वाला पीला नींबू लें, उसके चार बराबर टुकड़े कर लें. जब दिन ढल जाये तब चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में उन्हे एक-एक फेंक दें और बिना पीछे मुड़े देखे घर आ जायें. आपको शीध्र ही लाभ होगा. यह प्रयोग सात दिन लगातार करें. आपका काम शीध्र बनेगा व आपको रोजगार मिलेगा.

कार्य में सफलता पाएं इस तरह भी

अगर आप किसी कार्य से जा रहे हैं और चाहते हैं कि उस कार्य में आपको सफलता मिले तो एक नीले रंग का धागा लेकर घर से निकलें. घर से जो तीसरा खंभा आपको दिखे उस पर अपना काम कहकर वह नीले रंग का धागा वहां बांध दें. आपके काम के सफल होने की संभावना बढ़ जायेगी और आपका काम सफल होगा.

व्यापार में हानि होने पर यह करें

जिन व्यापारियों का व्यापार चलते-चलते ठप्प गया हो तथा लाख प्रयत्न करने के बाद भी नहीं चल रहा हो तथा व्यापारी को यह किसी के किये कराये का परिणाम है तो वह यह करें. प्रत्येक मंगलवार को 11 पीपल को पत्ते लें. उनके गंगाजल से अच्छी तरह से धोकर लाल चंदन से हर पत्ते पर सात बार राम-राम लिखें. इसके बाद हनुमान जी के मंदिर में चढ़ा आएं तथा प्रसाद बांटे और इस मंत्र का जाप,जितना कर सकते हैं,करें. इस उपाय को सात मंगलवार लगातार करें अगर हो सके तो इसे गुप्त रखें.

प्रेम विवाह में सफलता पाएं इस प्रयोग से
अगर आप किसी से प्रेम करते हैं और उससे प्रेम विवाह करना चाहते हैं तो भगवान विष्णु और लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के सम्मुख,शुक्ल पक्ष में गुरूवार से शुरू करें. लक्ष्मीनारायण नम: मंत्र का रोज तीन माला जाप, स्फटिक माला या लक्ष्मी वरवरद माला से करें. तीन महीने तक हर गुरूवार मंदिर में प्रसाद चढ़ाएं और विवाह हो जाने की प्रार्थना करें. मनोवंछित फल प्राप्त होगा.

कर्ज से छुटकारा पाएं इस तरह भी
कर्ज नाम सुनते ही दिलोदिमान पर एक बैचेनी छा जाती है. चिंताएं अपना आकार विशाल बनाने लगती है. किसी कार्य में मन नहीं लगता सिर्फ एक ही भूत याद रहता है कर्ज-कर्ज-कर्ज . तो यह उपाय करें-

रिक्ता तिथि,यम घंटक काल, भद्रा, राहु काल को त्याग कर शुभ तिथि, शुभ वार में यह  प्रयोग करें.

डेढ़ मीटर सफेद कपड़ा चौकी पर बिछा लें. पूर्व में मुंह करें तथा पांच खिले हुए साबुत गुलाब के फूल, लक्ष्मी या गायत्री मंत्र पढ़ते हुए एक-एक करके सफेद कपड़े पर रखते हुए तथा फिर हल्के हाथ से कपड़े को गुलाब के फूल सहित बांध लें. इस बंधे हुए कपड़े को गंगा या यमुना नदी में प्रवाहित कर आयें.ऐसा अपनी सुविधाकार सात बार करें. माता लक्ष्मी सहयोग देगी आपकी स्थिति में सुधार होगा तथा कर्ज से मुक्ति मिलेगी.

अगर विदेश जाना चाहते हैं तो यह करें.

अगर आपकी ख्वाहिश विदेश यात्रा की है तो यह प्रयोग कर आप लाभ उठा सकते हैं. किसी भी संक्रांति के दिन, सफेद तिल और थोड़ा गुड़ लें. सूर्यास्त के समय एक मिट्टी के कुल्हड़ में डालकर उस कुल्हड़ को पीपल के एक स्वयं गिरे हुये पत्ते से ढक लें. फिर किसी आक के पौधे की जड़ में रख आएं. आते समय पीछे मुड़कर न देखें. घर में आकर स्नान जरूर कर लें. नहाने के पानी में थोड़ा सा शुद्ध केसर मिला लें.यह प्रयोग अपने गुरू का आशीर्वाद लेकर करें ताकि जल्दी सफलता मिले.

आलस्य दूर करें इस तरह
यदि किसी व्यक्ति को ऐसा महसूस हो कि आलस्य प्रमाद के कारण उसे वांछित सफलता नहीं मिल रही है या उसका मन कामकाज में नहीं लग रहा है तो उसे कटेरी की जड़ शहद में पीस लेनी चाहिए तथा मात्र इसके सूंघने से आलस्य प्रमाद से राहत मिलेगी, आप ऊर्जावान होंगे.

ऐसे करें कठिन कार्यो में सफलता प्राप्त

यदि आपको किसी कार्य विशेष में अनेक बार प्रयास करने पर भी सफलता महीं मिल रही हो तो यह प्रयोग अवश्य आजमायें. किसी भी प्रकार के कठिन कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए तंत्र शास्त्रों में निम्नलिखित तंत्र प्रयोग बताया गया है-किसी कठिन कार्य की सिद्धी के लिये जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही एक मुर्गी का अण्डा लाकर उसमें सावधानी से एक बड़ा सा छेद करें फिर उस अण्डे को एक कोरे मिट्टी के पात्र में रख कर छेद करें फिर उस अण्डे को एक कोरे मिट्टी के पात्र में रख कर छेद में एक हत्था जोड़ी रख कर वह पात्र अपनी छत पर रख दें.

इसके उपरांत अपने हाथ में एक मुट्ठी काले तिल लेकर घर से निकलें. मार्ग में जहां भी कुत्ता दिखाई दे उस कुत्ते के सामने वह तिल डाल दें और आगो बढ़ जाये. इससे कठिन कार्यो में भी सफलता प्राप्त होती है. यदि वह काले तिल कुत्ता खाता हुआ दिखाई दे तो यह समझना चाहिये कि कैसा भी कठिन कार्य न हो,उसमें सफलता प्राप्त होगी.

कालसर्प दोष भी चमकाता है किस्मत :

कालसर्प दोष का नाम सुनते ही मन में भय उत्पन्न हो जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि कालसर्प दोष जीवन में बहुत दु:ख देता है और असफलता का कारण भी होता है।लेकिन कई बार कुंडली में विशेष योगों के चलते यह शुभाशुभ फल भी प्रदान करता है।

- यदि किसीकी कुंडली में सूर्य कालसर्प के मुख में स्थित है अर्थात राहु के साथ स्थित हो तथा 1, 2, 3, 10 अथवा 12 वें स्थान में हो एवं शुभ राशि और शुभ प्रभाव में हो तो प्रतिष्ठा दिलवाता है। जातक का स्वास्थ्य उत्तम रहता है। वह राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में प्रसिद्धि प्राप्त करता है।

- यदि जातक की कुंडली में मंगल कालसर्प के मुख में स्थित हो तो इसकी शुभ एवं बली स्थिति जातक को पराक्रमी और साहसी तथा व्यवहार कुशल बनाती है। वह हमेशा कामयाब होता है।

- बुध यदि कालसर्प के मुख में स्थित हो तथा शुभ स्थिति और प्रभाव में हो तो ऐसे व्यक्तिको उच्च शिक्षा मिलती है तथा वह बहुत उन्नति भी करता है।

- राहु के साथ गुरु की युति गुरु-चांडाल योग बनाती है। ज्योतिष में इसे अशुभ माना जाता है। लेकिन अगर यह योग शुभ स्थिति और शुभ प्रभाव में हो तो ऐसे लोगों को अच्छी प्रगति मिलती है।

- कालसर्प के मुख में स्थित शुक्र शुभ स्थिति और प्रभाव में होने पर पूर्ण स्त्री सुख प्रदान करता है। दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।

- यदि कालसर्प के मुख में शनि शुभ स्थिति हो तो ऐसा व्यक्तिपरिपक्व और तीक्ष्ण बुद्धि वाला होता है।

शुभ कार्य पर जा रहे हैं तो यह जरूर करें :

से, देखें तो कोई भी दिन बुरा नहीं होता। हमारे सितारों का असर ही दिन को अच्छा या बुरा बनाता है। ऐसे में मन में किसी तरह की शंका हो और आप किसी बड़े या शुभ काम के लिए घर से बाहर निकल रहे हों तो कुछ ऐसा आजमा सकते हैं, जो आपके दिन को शुभ बनाने में आपकी पूरी मदद करेगा।

हर दिन शुभ और कल्याणकारी होता है लेकिन हमारे सितारे अगर अनुकूल ना हो तो प्रतिकूल असर करता है।

अगर हम किसी बेहद शुभ कार्य से घर से निकल रहे हैं तो दिन के अनुसार छोटा-सा उपाय आजमाना ना भूलें। इन उपायों से दिन की प्रतिकूलता, अनुकूलता में परिवर्तित हो जाती है।

* रविवार को पान का पत्ता साथ रखकर जाएं।

* सोमवार को दर्पण में अपना चेहरा देखकर जाएं।

* मंगलवार को मिष्ठान खाकर जाएं।

* बुधवार को हरे धनिये के पत्ते खाकर जाएं।

* गुरुवार को सरसों के कुछ दाने मुख में डालकर जाएं।

* शुक्रवार को दही खाकर जाएं।

* शनिवार को अदरक और घी खाकर जाना चाहिए।

काली मिर्च के 5 दानों का चमत्कार

काफी लोगों के साथ ऐसा होता है कि वे मेहनत अधिक करते हैं लेकिन धन लाभ बहुत कम होता है। ऐसे में पैसों की तंगी बन जाती है।

यदि आप भी पैसों की पैसों की कमी से परेशान हैं तो यहां काली मिर्च का एक चमत्कारी रामबाण उपाय बताया जा रहा है। इस उपाय को समय-समय पर करने से आपको धन लाभ अवश्य होगा...

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह दोष होते हैं तो वह धन संबंधी मामलों में भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है। ग्रह दोषों के कारण ही उसे सुख नहीं मिलता। यदि उचित ज्योतिषीय उपचार किया जाए तो व्यक्ति पैसों की परेशानियों से निजात पा सकता है।

ज्योतिष के उपायों में तरह-तरह की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।

यदि आप मालामाल होना चाहते हैं तो काली मिर्च के 5 दानों का यह उपाय करें। उपाय के अनुसार काली मिर्च के 5 दाने लें और उन्हें अपने सिर पर से 7 बार वार लें। इसके बाद किसी चौराहे पर खड़े होकर या किसी सुनसान स्थान पर चारों दिशाओं में 4 दाने फेंक दें। इसके बाद 5वें दाने को ऊपर आसमान की ओर फेंक दें।

यह एक टोटका है और इसके लिए ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यह उपाय करता है उसके लिए अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं।

ऐसे उपाय केवल श्रद्धा और विश्वास पर काम करते हैं। यदि मन में शंका या संशय होगा तो यह उपाय निष्फल हो जाता है। इसके साथ ही ऐसे उपायों को किसी के सामने जाहिर भी नहीं करना चाहिए।

अपनी राशि अनुसार करें व्यवसाय , धीरे-धीरे बढऩे लगेगा पैसा :

यदि आप निवेश करना चाहते हैं तो यहां ज्योतिष के अनुसार जानिए आपको किस क्षेत्र में निवेश करना चाहिए और किस क्षेत्र निवेश नहीं करना चाहिए। निवेश यदि राशि अनुसार किया जाए तो नुकसान की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।

मेष- मेष राशि के स्वामी मंगल देव हैं। मंगल को पृथ्वी का पुत्र माना जाता है। इसका रक्त वर्ण है। जमीन, मकान, खेती एवं उससे जुड़े उपकरणों, दवाइयों के उपकरणों, वाहन विक्रय, खनिज, कोयला में निवेश करने वाले लोगों को मंगल बहुत लाभ देता है।
इस राशि के लोगों को किसी भी प्रकार के जोखिम, केमिकल, चमड़े, लोहे से संबंधित कार्य में निवेश करने से बचना चाहिए। जन्मपत्रिका में मंगल-चंद्र की युति हो तो व्यक्ति अति धनवान होता है। पूर्व का निवेश अटका हो तो हर मंगलवार के दिन हनुमानजी को सरसो के तेल का दीपक लगाना चाहिए।

वृषभ- इस राशि का स्वामी शुक्र है। शुक्र चंचल ग्रह है तथा चंद्रमा इस राशि में उच्च का होता है। इन लोगों को अनाज, कपड़ा, चांदी, शकर, चावल, सौन्दर्य सामग्री, इत्र, दूध एवं दूध से बने पदार्थ, प्लास्टिक, खाद्य तेल, ऑटो पार्टस, वाहन में लगने वाली सामग्री, कपड़े से संबंधीत शेयर एवं रत्नों में निवेश करने से लाभ प्राप्त होता है।
जमीन, खनिज, कोयला, रत्न, सोना, चांदी, स्टील, कोयला, शिक्षण संस्थान, चमड़ा, लकड़ी, वाहन, आधुनिक यंत्र, औषधियों, विदेशी दवाइयों आदि में निवेश से बचना चाहिए। पूर्व का निवेश अटका हो तो पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रह के निमित्त घी का दीपक लगाना चाहिए।

मिथुन- इस राशि का स्वामी बुध है। बुध चंद्र को अपना शत्रु मानता है। बुध व्यापार करने वाले लोगों को लाभ देने वाला ग्रह है। इस राशि के जातकों को सोने में निवेश लाभदायी रहता है।
इसके अलावा कागज, लकड़ी, पीतल, गेंहू, दालें, कपड़ा, स्टील, प्लास्टिक, तेल, सौन्दर्य सामग्री, सीमेंट, खनिज पदार्थ, पशु, पूजन सामग्री, वाद्य यंत्र आदि का व्यापार या इन चीजों से संबंधित निवेश लाभ देता है। चांदी, शकर, चावल, सुखे मेवे, कांसा, लोहा, इलेक्ट्रॉनिक्स, जमीन, सीमेंट, इत्र, केबल तार, वाहन, दवाइयों, पानी से संबंधीत पदार्थ में निवेश करने से बचने का प्रयास करें। पूर्व का निवेश अटका हो तो सफेद वस्त्रों का दान करें।

कर्क- कर्क राशि का स्वामी स्वयं चन्द्रमा है। इस राशि के लोग व्यवसाय के साथ नौकरी में भी सफल होते हैं। इन लोगों को चांदी, चावल, शकर एवं कपड़ा उत्पाद करने वाली कंपनियों के शेयर, प्लास्टिक, अनाज, लकड़ी, केबल, तार, फिल्मों, खाद्य सामग्रियों, आधुनिक उपकरण, बच्चों के खिलोने, फायनेंस कंपनियों में निवेश करना लाभदायी होता है।
वर्तमान में शेयर एवं वादा बाजार में निवेश से बिल्कुल नहीं करें। जमीन, प्लाट, मकान, दुकान, तेल, सोना, पीतल, वाहन, दूध से बने पदार्थ, पशु, रत्न, फर्टीलाइजर्स, सीमेंट, औषधियों एवं विदेशी दवाई कंपनियों में निवेश सावधानी से करना चाहिए। पूर्व का निवेश अटका हो तो श्रीगणेश को भोग लगाएं।

सिंह- इस राशि का स्वामी सूर्य चंद्रमा का मित्र है। यह लोग स्वयं का कार्य या व्यापार में सफल होते हैं। सामान्यत: इन लोगों को नौकरी पसंद नहीं होती है। इन्हें सोना, गेंहू, कपड़ा, औषधियों, रत्नों, सौन्दर्य सामग्री, इत्र, सेंट, शेयर एवं जमीन जायदाद में निवेश से लाभ होता है।
इन लोगों को तकनीकी उपकरण, वाहन, सौदंर्य सामग्री, फिल्म्स, प्लास्टिक, केबल तार, इलेक्ट्रॉनिक्स, कागज, खाद्य पदार्थ, लकड़ी एवं उससे बने उपकरण, सेना में सप्लाई करने में भी यह लाभ प्राप्त होता है।
इस राशि के जातकों को किसी भी निवेश लाभ-हानि बराबर होती है। पूर्णत: हानि से यह सदैव बचे रहते हैं। पूर्व का निवेश अटका हो तो हनुमानजी को चमेली के तेल का दीपक लगाएं।

कन्या- इस राशि का स्वामी बुध है। जो चंद्रमा से शत्रुता रखता है। इन लोगों को शिक्षण संस्थान, सोना, औषधियों, केमिकल, फर्टीलाइजर्स, चमड़े से बने सामान, खेती, खेती के उपकरणों के कार्य करने में सफलता प्राप्त होती है। इन चीजों में निवेश भी लाभदायी होता हैं।
जमीन, चांदी, सीमेंट, ट्रांसपोर्ट, मशीनों का सामान, पशु एवं जल से जुड़े कार्यों में निवेश से बचना चाहिए। वर्तमान समय में शनि का अंतिम ढैय्या होने से शेयर एवं वादा बाजार में अच्छी सलाह के बाद ही निवेश करें। पूर्व में कोई निवेश उलझा हो तो श्रीगणेश को लड्डू का भोग लगाएं।

तुला- इस राशि का स्वामी शुक्र होता है। शनि इस राशि में उच्च का होता है और इस समय शनि तुला में ही है। इस राशि के लोगों को लौहा, सीमेंट, स्टील, दवाइयों, केमिकल, चमड़े, फर्टीलाइजर्स, कपड़ा, तार, इस्पात, कोयला, रत्नों, प्लास्टिक, आधुनिक यंत्रों (कंप्यूटर, कैमरे, टेलीविजन आदि बनाने वाली कंपनी) तेल में निवेश करने से उत्तम लाभ होता है।
जमीन, मकान, खेती, खेती संबंधी उपकरण, वस्त्र, में निवेश करने से बचें। वर्तमान समय में शनि की साढ़ेसाती होने से शेयर एवं वादा बाजार में निवेश नहीं करें। पूर्व में निवेश अटका हो तो सूर्य को दूध अर्पण करें।

वृश्चिक- इस राशि का स्वामी मंगल है। चंद्रमा इस राशि में नीच का होता हैं। मेष राशि की ही तरह इस राशि वालों को जमीन, मकान, दुकान, खेती, सीमेंट, रत्नों, खनिजों, खेती एवं मेडिकल के उपकरण, पूजन सामग्री, कागज, वस्त्र में निवेश से लाभ होता है।
आपकी कुंडली में यदि चंद्रमा पर शनि की नजर हो तो तेल, केमिकल एवं तरल पदार्थों में निवेश करने से बचें। वर्तमान समय में शनि की साढ़ेसाती होने से शेयर, केमिकल, लौहा, चमड़ा, सोना, चांदी, स्टील, लकड़ी, सौंदर्य सामग्री, लौहे के उपकरण, तेल में निवेश बिल्कुल नहीं करें। पूर्व में निवेश अटका हो तो मंगलवार के दिन किसी चौराहे पर तेल डालें।

धनु- इस राशि के स्वामी गुरु ग्रह हैं। गुरु व्यापारियों को लाभ देने वाला ग्रह है। विशेषकर सोने एवं अनाज का व्यापार करने वालों के लिए। इस राशि के लोगों को निवेश के लिए भी इन्हीं वस्तुओं पर ध्यान देना चाहिए। आभूषणों, रत्नों, सोना, अनाज, कपास, चांदी, शकर, चावल, औषधियों, सौंदर्य सामग्री, दूध से बने पदार्थ, पशुओं का व्यापार करने एवं उसमें निवेश करने से लाभ होता है।
तेल, केमिकल, खनिज, खदान, कोयला, खाद्य तेल, किराना व्यापार, केबल तार, शीशा, लकड़ी, जमीन, मकान, सीमेंट, लौहे के व्यापार या उसमें निवेश करने से हानि होने की संभावनाएं बनती हैं। पूर्व का निवेश अटका हो तो सरसों का तेल दान करें।

मकर- इस राशि का स्वामी शनि है। शनि चंद्र से शत्रुता रखता है। इस राशि के लोगों को लोहा, इस्पात, केबल, तेल सभी प्रकार के, खाद्य सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, यंत्र, खनिज पदार्थ, खेती उपकरण, वाहन, चिकित्सा के उपकरण, वस्त्र, इत्र, सेंट, स्टील, सौन्दर्य सामग्री, ग्लेमर वर्ल्ड, फिल्म्स, नाटकों आदि में निवेश करने से लाभ होता है।
जमीन, मकान, सीमेंट, सोना, चांदी, रत्न, पीतल, अनाज, वस्त्र, शेयर आदि में निवेश से बचना चाहिए। पूर्व का निवेश अटका हो तो इमली का दान करें।

कुंभ- इस राशि का स्वामी भी शनि ही है तथा मकर की तरह ही इसके बारे में समझना चाहिए। इस राशि के लोगों को लोहा, इस्पात, केबल, तेल सभी प्रकार के खाद्य सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, यंत्र, खनिज पदार्थ, खेती उपकरण, वाहन, मेडिकल के उपकरण, वस्त्र, इत्र, सेंट, स्टील, सौन्दर्य सामग्री, ग्लेमर वल्र्ड, फिल्म्स, नाटकों आदि में निवेश करने से लाभ होता है।
जमीन, मकान, सीमेंट, सोना, चांदी, रत्न, पीतल, अनाज, वस्त्र, शेयर आदि में निवेश से बचना चाहिए। पूर्व का निवेश अटका हो तो अदरक का दान करें।

मीन- इस राशि का स्वामी गुरु है। गुरु चंद्र का मित्र है। किसी भी प्रकार के निवेश से इन्हें बचना चाहिए। विशेषकर शेयर एवं वादा बाजार में। इनके निवेश के लिए आभूषणों, रत्नों, सोना, अनाज, कपास, चांदी, शकर, चावल, औषधियों, सौंदर्य सामग्री, दूध से बने पदार्थ, पशुओं का व्यापार करने एवं इन चीजों में निवेश करने से लाभ होता है।
तेल, केमिकल, खनिज, खदान, कोयला, खाद्य तेल, किराना व्यापार, केबल तार, शीशा, लकड़ी, जमीन, मकान, सीमेंट, लौहे के व्यापार या उसमें निवेश करने से हानि होने की संभावनाएं बनती हैं। पूर्व का निवेश अटका हो तो दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

हत्था जोड़ी :एक चमत्कारिक वनस्पति

हत्था जोड़ी एक वनस्पति है. एक विशेष जाती का पौधे की जड़ खोदने पर उसमे मानव भुजा जैसी दो शाखाये दिख पड़ती है, इसके सिरे पर पंजा जैसा बना होता है. उंगलियों के रूप में उस पंजे की आकृति ठीक इस तरह की होती है जैसे कोई मुट्ठी बंधे हो. जड़ निकलकर उसकी दोनों शाखाओ को मोड़कर परस्पर मिला देने से कर बढ़ता की स्थिथि आती है, यही हत्था जोड़ी है. इसकी पौधे प्राय मध्य प्रदेश में होते है, जहा वनवासी जातियों की लोग इसे निकलकर बेच दिया करते है.

हत्था जोड़ी यह बहुत ही शक्तिशाली व प्रभावकारी वस्तु है यह एक जंगली पौधे की जड़ होती है मुकदमा ,शत्रु संघर्ष ,दरिद्रता ,व दुर्लभ आदि के निवारण में इसके जैसी चमत्कारी वस्तु आज तक देखने में नही आई इसमें वशीकरण को भी अदुभूत टकक्ति है , भूत दृप्रेत आदि का भय नही रहता यदि इसे तांत्रिक विधि से सिध्द कर दिया जाए तो साधक निष्चित रूप से चामुण्डा देवी का कृपा पात्र हो जाता है यह जिसके पास होती है उसे हर कार्य में सफलता मिलती है धन संपत्ति देने वाली यह बहुत चमत्कारी साबित हुई है तांत्रिक वस्तुओं में यह महत्वपूर्ण है ।

हत्था जोड़ी में अद्भुत प्रभाव निहित रहता है, यह साक्षात चामुंडा देवी का प्रतिरूप है. यह जिसके पास भी होगा वह अद्भुत रुप से प्रभावशाली होगा. सम्मोहन, वशीकरण, अनुकूलन, सुरक्षा में अत्यंत गुणकारी होता है, हत्था जोड़ी.

हत्था जोड़ी जो की एक महातंत्र में उपयोग में लायी जाती है और इसके प्रभाव से शत्रु दमन तथा मुकदमो में विजय हासिल होती है !

मेहनत और लगन से काम करके धनोपार्जन करते हैं फिर भी आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आपको अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उपाय करना चाहिए। इसके लिए किसी भी शनिवार अथवा मंगलवार के दिन हत्था जोड़ी घर लाएं। इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान में अथवा तिजोरी में रख दें। इससे आय में वृद्घि होगी एवं धन का व्यय कम होगा।

तिजोरी में सिन्दूर युक्त हत्था जोड़ी रखने से आर्थिक लाभ में वृद्धि होने लगती है.

हाथा जोड़ी एक जड़ है। होली के पूर्व इसको प्राप्त कर स्नान कराकर पूजा करें तत्पश्चात तिल्ली के तेल में डूबोकर रख दें। दो हफ्ते पश्चात निकालकर गायत्री मंत्र से पूजने के बाद इलायची तथा तुलसी के पत्तों के साथ एक चांदी की डिब्बी में रख दें। इससे धन लाभ होता है।हाथा जोड़ी को इस मंत्र से सिद्ध करें-

ऊँ किलि किलि स्वाहा।