Saturday 18 January 2014

क्यों काम नहीं करते है ज्योतिष के कोई भी उपाय...............

अक्सर यह सुनने को मिलता है की उपाय काम नहीं करते या बहुत से उपाय किये किन्तु कोई परिणाम या परिवर्तन नहीं हुआ और परेशानी यथावत है ,बहुत से लोग इसलिए यहभी कहते मिलते है की भाग्य में लिखा कोईनहीं बदल सकता है ,कोई कितने भी उपाय
करे ,,,,,
तो क्यों नहीं काम करते है येज्योतिषीय उपाय ,
ऐसा तो हो ही नहीं सकता किकिसी समस्या या ग्रह दशा के लिए कोई उपाय ऋषियों -गुरुओ ने बनाया है तो उसमे कोई कारण
नहीं होगा ,,,जब ग्रह समस्या उत्पन्न करते हैतो उनके प्रभाव को कम करने का उपाय भी प्रकृति मेंउपलब्ध जरूर होगा ,समस्या और निदान दोनों प्रकृति मेंहमेशा ही रहते है ,यह प्रकृति के संतुलन के लिएभी तो आवश्यकहै ,,इसी की खोज करके ऋषियों ने यहउपाय बताए है ,,तब यह क्यों कहा जाता है की उपायकाम नहीं कर रहे ,कमी कहा है ,उपायकरने वाले में या बताने वाले में या खोज और परिकल्पना करनेवालेमें ,...........................................................उपाय कई तरह के होते है ,,रत्न धारण करना ,दानकरना ,वस्तु प्रवाहित करना ,मंत्र जप -पूजा -अनुष्ठान ,रंगों -वस्त्रों का उपयोग -अनुपयोग,वनस्पतियों को धारण करना ,विशिष्टपदार्थो का हवन आदि मुख्य रूप से उपायों के रूप में बताए जातेहै ,,इनके रत्नों का प्रभाव असंदिग्ध है ,रत्न वातावरण सेसम्बंधित ग्रह कए रंग और प्रकाश किरणों को अवशोषित
या परावर्तित करते है ,ये त्वचा कए संपर्क में रहकर सम्बंधित विशिष्ट उर्जा को शरीर में प्रवेश देते है ,जिससेसम्बंधित ग्रह की रश्मियों का प्रभाव शरीरमें बढ़ जाता है और तदनुरूप रासायनिक परिवर्तन शरीरमें होने से व्यक्ति के सोचने और कार्य करनेकी दिशा कए साथही क्षमता भी बदलजाती है ,जिससे वह सम्बंधित क्षेत्र में अग्रसरहो सफल हो पाता है ,,अब यहाँ यह भी होता है की रत्न जो उपयोग में लिया जा रहा है वह ही नकली हो ,या उसकी बनावटमें खराबी हो ,टुटा या दाग धब्बे युक्त हो ,या गलतस्थान पर गलत धातु के साथ पहन लिया गया हो ,तो वह कामनहीं करेगा या नुक्सान भी कर सकता है ,...........................................................
..दूसरा मुख्य उपाय दान करना बताया जाता है ,,दान एक पूर्णभावनात्मक उपाय है ,दान करने या वस्तु प्रवाहित करने मेंसामान्यतया यह किया जाता है की बताईगयी वस्तु उठाई औरजो भी अपनी समझ से जरूरतमंद दिखा या जाति विशेष का व्यक्ति दिखा दान दे दिया ,यह तो दान है ही नहीं ,अब परिणाम कैसे मिलेगा ,दान करने से पूर्व मन में भावना होनी चाहिएकी में यह वस्तु दान में दे रहा हूँ तो इससे उस जरूरतमंद व्यक्ति जिसे यह दान दिया जा रहा हैकी जरूरते पूरी होगी और वहआशीर्वाद देगा ,,आप केवल वस्तु का चयन कर सकते
है अपने अनुसार देते समय ,भावना भी उससेजुडी हो ,इसमें सबसे मुख्या है सुपात्र का चयन जिसेआप दान दे रहे है ,दान लेनेवाला यदि आपके दान से प्राप्त वस्तुसे शराब पिता है ,मांसाहार करता है ,उसका गलत उपयोग करता हैतो आप उसके पाप में भागीदार हो जाते है और आपकेदान का उपाय आपका ही नुक्सान कर सकता है ,,दानलेने वाला व्यक्ति यदि कुकर्मी है ,गलत हैमद्य ,मांसाहारी है ,पापी है तो तो उसकेमष्तिष्क से उत्पन्न तरंगे भी नकारात्मकउर्जा वाली होगी औरउसका दिया आशीर्वाद आपके भाग्य में सकारात्मकउर्जा का संचार नहीं करसकता ,,,इसी प्रकार जब आप वस्तु का दान देते हैतो वस्तु से सम्बंधित ग्रह रश्मियों की अधिकता आपकेशरीर से वास्तु में आपकी भावना कए साथप्रवेश करती है और दान देने पर आपकेशरीर से दूर होती है जिससे उस ग्रहका प्रभाव कम होता है ...............................................सबसे महत्वपूर्णउपाय ग्रहों के लिए देवी-देवता या ग्रह का मंत्र जपबताया जाता है ,,जब व्यक्ति मंत्रजाप करता है तब मंत्र कएध्वनि नादों से उर्जा उत्पन्न होती है जो वातावरणकी सम्बंधित क्षेत्र की उर्जा से संपर्ककरने कए साथ ही शरीर में स्थित उसमंत्र से सम्बंधित विशिष्ट चक्र को प्रभावितकरती है ,मंत्र जप कए समयव्यक्ति की एकाग्रता ,तल्लीनता ,भावना सेमानसिक तरंगे तीब्रता से निकलती है औरप्रकृति में उपस्थित उसीप्रकारकी तरंगों को आकर्षित करती है जिससेउर्जा की मात्रा व्यक्ति कए शरीर और
आसपास कए वातावरण में बढ़ जाती है और ग्रहका प्रभाव काम हो जाता है या अधिक हो जाता है या संतुलितहो जाता है ,[यह मंत्र की प्रकृति पर निर्भरहोता है ],अब मंत्र जप के समय यदि यंत्रवत सपाट स्वरों में जप हो ,और मन इधर-उधर भागता रहे ,मष्तिष्क एकाग्र न हो ,इष्ट या मंत्र का  आराध्य में विश्वास न हो ,भावना इष्ट या लक्ष्य से न जुडी हो ,संदेह हो की पता नहीं कामहोगा या नहीं ,तो मंत्र जप से कोई उर्जा प्राप्तनहीं होगी ,आपके मस्तिस्क  से कोई उर्जा उत्पन्न  नहीं होगी और प्रकृति से कोई उर्जा आकर्षित नहीं होगी ,फलतः मंत्र जप का उपाय कामनहीं कर पायेगा ,,,उपायों  का  कामनहीं करने का  मूल में यही कारण ,भावना , चयनआदि है ,,व्यक्ति की भावना ,विश्वास ,श्रद्धा ,सही  चयन ,सही पात्र का चयन उपायों में मुख्या होतेहै ,यह सही हो तो उपाय काम करते ही करते है
 
ये मेरा  व्यक्तिगत मत  है इसका कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है |
 
 

Saturday 11 January 2014

नए नेताओं और शासकों के उदय का साल होगा 2014!

1 जनवरी, 2014 की दस्तक पर शून्य बजकर शून्य मिनट पर जब कैलेंडर बदला तब मंगल बुध की राशि कन्या में, शनि देव मित्र राहू के साथ शुक्र की राशि तुला में, सूर्य और बुध की युति चंद्रमा के साथ बृहस्पति की राशि धनु में शुक्रदेव के वक्री होकर शनि की राशि मकर में, केतु मंगल की राशि मेष में और वक्री बृहस्पति बुध की राशि मिथुन में गतिशील हो गए।

विक्रम संवत 2070 में पराभव संवत्सर चल रहा है, इसके राजा बृहस्पति और मंत्री शनि हैं, 31 मार्च 2014 अर्थात् गुड़ीपाडवा से श्री संवत 2071 यानी 'प्लवंग' संवत्सर आरंभ होगा, जिसके राजा और मंत्री का पद चंद्रदेव के पास रहेगा ससेष बृहस्पति होंगे, दुर्गेष सूर्य, धनेश बुध, रसेश शनि, धान्येश मंगल, निरसेश बुध, फलेश सूर्य और मेधेश सूर्य होंगे। ग्रंथों के अनुसार 'प्लवंग' संवत्सर तमाम देशों में आपसी तनाव, द्वंद्व राजनेताओं में वैमनस्य और परिवर्तन के लिए जाना जाता है। चंद्रमा के राजा होने से प्रचुर मात्रा में वर्षा का योग है। यह वर्षा-बाढ़ का रूप भी ले सकती है।

किसी नए राजा, राजाओं या शासकों का उदय हो सकता है। जनता के रोग और दुख के शमन की योजनाएं बनेंगी। चंद्रदेव के मंत्री पद पर आसीन होने से अनाज की पर्याप्त पैदावार होगी, लेकिन मन के मालिक चंद्रदेव के मंत्री पद पर विराजमान होने के कारण यह वर्ष गलत राजनीतिक फैसलों के लिए भी याद किया जाएगा।
बृहस्पति के सयेश होने से रस वाले पदार्थों का उत्पादन अधिक होगा, मंगल के धनेश होने से मुनाफाखोरी बढ़ेगी। गेहूं, सरसों, मूंग, उड़द और तिल की कीमतों में तेजी होगी। जनता व्याकुल रहेगी, आम आदमी के हिस्से का आम कोई और खा जाएगा पब्लिक के हिस्से में केवल सूखी हुई गुठली ही आएगी यानी जनता इस बरस भी कष्ट में ही रहेगी।

सूर्य के मेधेश पद पर आसीन होने से फसलों के खराब होने के संकेत मिल रहे हैं। आतंकवादी घटनाएं सिर उठाएंगी, जन सामान्य में भय व्याप्त होगा। रसेश पद पर शनि के विराजमान होने से रसीले पदार्थों का उत्पादन होने के बाद भी उनके नाश का योग बनता है।