रुद्राक्ष के प्रकार-
आपको बता दें कि रुद्राक्ष एकमुखी से लेकर चौदहमुखी तक होते हैं| पुराणों में प्रत्येक रुद्राक्ष
का अलग-अलग महत्व और उपयोगिता उल्लेख किया गया है-
तीनमुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष अग्निस्वरूप माना गया है। सत्व, रज और तम- इन तीनों यानी त्रिगुणात्मक शक्तियों का स्वरूप यह भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान देने वाला है। इसे धारण करने वाले मनुष्य की विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों का दमन होता है और रचनात्मक प्रवृत्तियों का उदय होता है। किसी भी प्रकार
की बीमारी, कमजोरी नहीं रहती। व्यक्ति क्रियाशील रहता है। यदि किसी की नौकरी नहीं लग
रही हो, बेकार हो तो इसके धारण करने से निश्चय ही कार्यसिद्धी होती है।
चतुर्मुखी रुद्राक्ष- चतुर्मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म का प्रतिनिधि है। यह शिक्षा में सफलता देता है। जिसकी बुद्धि मंद हो, वाक् शक्ति कमजोर हो तथा स्मरण शक्ति मंद हो उसके लिए यह रुद्राक्ष कल्पतरु के समान है। इसके धारण करने से शिक्षा आदि में असाधारण सफलता मिलती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष- पंचमुखी रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रतिनिधि माना गया है। यह कालाग्नि के नाम से जाना जाता है। शत्रुनाश के लिए पूर्णतया फलदायी है। इसके धारण करने पर साँप-बिच्छू आदि जहरीले जानवरों का डर नहीं रहता। मानसिक शांति और प्रफुल्लता के लिए भी इसका उपयोग किया होता है।
षष्ठमुखी रुदाक्ष- यह षडानन कार्तिकेय का स्वरूप है। इसे धारण करने से खोई हुई शक्तियाँ जागृत होती हैं। स्मरण शक्ति प्रबल तथा बुद्धि तीव्र होती है। कार्यों में पूर्ण तथा व्यापार में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त होती है।
सप्तमुखी रुद्राक्ष- सप्तमुखी रुद्राक्ष को सप्तमातृका तथा ऋषियों का प्रतिनिधि माना गया है। यह अत्यंत उपयोगी तथा लाभप्रद रुद्राक्ष है। धन-संपत्ति, कीर्ति और विजय प्रदान करने वाला होता है साथ ही कार्य, व्यापार आदि में बढ़ोतरी कराने वाला है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष- अष्टमुखी रुद्राक्ष को अष्टदेवियों का प्रतिनिधि माना गया है। यह ज्ञानप्राप्ति, चित्त में एकाग्रता में उपयोगी तथा मुकदमे में विजय प्रदान करने वाला है। धारक की दुर्घटनाओं तथा प्रबल शत्रुओं से रक्षा करता है। इस रुद्राक्ष को विनायक का स्वरूप भी माना जाता है। यह व्यापार में सफलता और उन्नतिकारक है।
नवममुखी रुद्राक्ष- नवमुखी रुद्राक्ष को नवशक्ति का प्रतिनिधि माना गया है| इसके अलावा इसे नवदुर्गा, नवनाथ, नवग्रह का भी प्रतीक भी माना जाता है। यह धारक को नई-नई शक्तियाँ प्रदान करने वाला तथा सुख-शांति में सहायक होकर व्यापार में वृद्धि कराने वाला होता है। इसे भैरव के नाम से भी जाना जाता है।इसके धारक की अकालमृत्यु नहीं होती तथा आकस्मिक दुर्घटना का भी भय नहीं रहता।
दशममुखी रुद्राक्ष- दशमुखी रुद्राक्ष दस दिशाएँ, दस दिक्पाल का प्रतीक है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को लोक सम्मान, कीर्ति, विभूति और धन की प्राप्ति होती है। धारक की सभी लौकिक-पारलौकिक कामनाएँ पूर्ण
होती हैं।
एकादशमुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष रूद्र का प्रतीक माना जाता है| इस रुद्राक्ष को धारण करने से किसी चीज का अभाव नहीं रहता तथा सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं। यह रुद्राक्ष भी स्त्रियों के लिए काफी फायदेमं रहता है| इसके बारे में यह मान्यता है कि जिस स्त्री को पुत्र रत्न की प्राप्ति न हो रही हो तो इस रुद्राक्ष के धारण करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है|
द्वादशमुखी रुद्राक्ष- यह द्वादश आदित्य का स्वरूप माना जाता है। सूर्य स्वरूप होने से धारक को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है। ब्रह्मचर्य रक्षा, चेहरे का तेज और ओज बना रहता है। सभी प्रकार की शारीरिक एवं
मानसिक पीड़ा मिट जाती है तथा ऐश्वर्ययुक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।
त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष - यह रुद्राक्ष साक्षात विश्वेश्वर भगवान का स्वरूप है यह। सभी प्रकार के अर्थ एवं सिद्धियों की पूर्ति करता है। यश- कीर्ति की प्राप्ति में सहायक, मान- प्रतिष्ठा बढ़ाने परम उपयोगी तथा कामदेव का भी प्रतीक होने से शारीरिक सुंदरता बनाए रख पूर्ण पुरुष बनाता है। लक्ष्मी प्राप्ति में अत्यंत उपयोगी सिद्ध
होता है।
चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष- इस रुद्राक्ष के बारे में यह मान्यता है कि यह साक्षात त्रिपुरारी का स्वरूप है। चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य लाभ, रोगमुक्ति और शारीरिक तथा मानसिक-व्यापारिक उन्नति में सहायक होता है। इसमें हनुमानजी की शक्ति निहित है। धारण करने पर आध्यात्मिक तथा भौतिक सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
गणेश रुद्राक्ष- एक मुखी से लेकर चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष के बाद भी कुछ अन्य रुद्राक्ष होते हैं जैसे गणेश रुद्राक्ष| गणेश रुद्राक्ष की पहचान है उस पर प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष पर एक उभरी हुई
सुंडाकृति बनी रहती है। यह अत्यंत दुर्लभ तथा शक्तिशाली रुद्राक्ष है। यह गणेशजी की शक्ति तथा सायुज्यता का द्योतक है। धारण करने वाले को यह बुद्धि, रिद्धी- सिद्धी प्रदान कर व्यापार में आश्चर्यजनक प्रगति कराता है। विद्यार्थियों के चित्त में एकाग्रता बढ़ाकर सफलता प्रदान करने में सक्षम होता है। यहाँ रुद्राक्ष आपकी विघ्न-बाधाओं से रक्षा करता है|
गौरीशंकर रुद्राक्ष- यह शिव और शक्ति का मिश्रित स्वरूप माना जाता है। उभयात्मक शिव और शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है। यह आर्थिक दृष्टि से विशेष सफलता दिलाता है। पारिवारिक सामंजस्य, आकर्षण, मंगलकामनाओं की सिद्धी में सहायक है।
शेषनाग रुद्राक्ष- जिस रुद्राक्ष की पूँछ पर उभरी हुई फनाकृति हो और वह प्राकृतिक रूप से बनी रहती है, उसे शेषनाग रुद्राक्ष कहते हैं। यह अत्यंत ही दुर्लभ रुद्राक्ष है। यह धारक की निरंतर प्रगति कराता है। धन-धान्य,
शारीरिक और मानसिक उन्नति में सहायक सिद्ध होता है। सभी मानव जो भोग व मोक्ष,
दोनों की कामना करते हैं उन्हें रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिवजी के आंसुओं से हुई है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करने से धारक का ध्यान
आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता है तथा धारक को स्वास्थ्य लाभ होता है।
गौरी शंकर रुद्राक्ष: गौरी- शंकर रुद्राक्ष भगवान शिवजी के अर्धनारीश्वर स्वरूप तथा शिव व शक्ति का मिश्रित रूप है। इसे धारण करने से शिवजी व पार्वती जी सदैव प्रसन्न रहते हैं तथा जीवन में किसी प्रकार की कोई
कमी नहीं होती है। गौरी-शंकर रुद्राक्ष को घर में धन की तिजोरी या पूजा स्थल में रखने से सभी प्रकार के सुख व संपन्नता प्राप्त होती है। यदि विवाह में देरी हो जाये या वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी में मतभेद हो तो गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करें।
गणेश रुद्राक्ष
गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से धारक का भाग्योदय होता है तथा जीवन में कभी धन
की कमी नहीं होती है क्योंकि गणेश रुद्राक्ष ऋद्धि-सिद्धि का ही स्वरूप है।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने रोजगार/व्यवसाय से संबंधित रुद्राक्ष धारण करना चाहिए जिससे अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके।
1. वकील, जज व न्यायालयों में काम करने वाले लोगों को 1, 4 व 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहिए।
2. वित्तीय क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति (बैंक- कर्मचारी, चार्टर्ड एकाउन्टेंट) को 8, 11, 12, 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
3. प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस कर्मचारी को 9 व 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 4. चिकित्सा जगत से जुड़ें लोगों (डाॅक्टर, वैद्य, सर्जन) को 3, 4, 9, 10, 11, 12, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
5. इंजीनियर को 8, 10, 11, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
6. वायुसेना से जुड़े कर्मचारियों व पायलट को 10 व 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
7. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों व अध्यापकों को 6 और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
8. ठेकेदारी से संबंधित लोगों को 11, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
9. जमीन-जायदाद के क्रय-विक्रय से जुड़े लोगों को 1, 10, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
10. व्यवसायी व जनरल मर्चेंट को 10, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
11. उद्योगपति को 12 और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
12. होटल- व्यवसाय से संबंधित कर्मचारियों को 1, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
13. राजनेताओं व राजनीति तथा समाज-सेवा से संबंधित लोगों को 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
14. बच्चों व विद्यार्थियों को गणेश रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
विशेष सुचना -:
रुद्राक्ष असली होंगे तभी वे फल प्रदान करेंगे | वह भी तभी फलित होंगे जब इन्हें आपके नाम से जाग्रत किया गया हो |आजकल असली के नाम पर टेलीविजन एवं अन्य माध्यम से भी नकली रुद्राक्ष बेचे जा रहे है अतः सावधानी पूर्वक रुद्राक्ष का चयन करें |
पाठकों की विशेष मांग पर में कुछ असली रुद्राक्ष की पहचान दे रहा हु
१. असली रुद्राक्ष तांबे की दो प्लेट के बीच रखने पर स्वतः घुमने लगता है ऐसा उसके चुम्बकीय गुण के कारन होता है |
२. असली रुद्राक्ष पानी में डालने पर पानी का तापमान आधा से एक डिग्री कुछ समय मेंबढ़ जाता है |
३. असली रुद्राक्ष दूध में डालोगे तो वो कई घंटे दूध को फटने नहीं देगा |क्योंकि इसमें स्तम्भन शक्ति जबरदस्त होती है
आपको बता दें कि रुद्राक्ष एकमुखी से लेकर चौदहमुखी तक होते हैं| पुराणों में प्रत्येक रुद्राक्ष
का अलग-अलग महत्व और उपयोगिता उल्लेख किया गया है-
एकमुखी रुद्राक्ष- एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात रुद्र स्वरूप है। इसे परब्रह्म माना जाता है। सत्य, चैतन्यस्वरूप परब्रह्म का प्रतीक है। साक्षात शिव स्वरूप ही है। इसे धारण करने से जीवन में किसी भी वस्तु का अभाव नहीं रहता। लक्ष्मी उसके घर में चिरस्थायी बनी रहती है। चित्त में प्रसन्नता, अनायास धनप्राप्ति, रोगमुक्ति तथा व्यक्तित्व में निखार और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
द्विमुखी रुद्राक्ष- शास्त्रों में दोमुखी रुद्राक्ष को अर्द्धनारीश्वर का प्रतीक माना जाता है। शिवभक्तों को यह रुद्राक्ष धारण करना अनुकूल है। यह तामसी वृत्तियों के परिहार के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। इसे धारण करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। चित्त में एकाग्रता तथा जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक सौहार्द में वृद्धि होती है। व्यापार में सफलता प्राप्त होती है। स्त्रियों के लिए इसे सबसे उपयुक्त माना गया है|
तीनमुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष अग्निस्वरूप माना गया है। सत्व, रज और तम- इन तीनों यानी त्रिगुणात्मक शक्तियों का स्वरूप यह भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान देने वाला है। इसे धारण करने वाले मनुष्य की विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों का दमन होता है और रचनात्मक प्रवृत्तियों का उदय होता है। किसी भी प्रकार
की बीमारी, कमजोरी नहीं रहती। व्यक्ति क्रियाशील रहता है। यदि किसी की नौकरी नहीं लग
रही हो, बेकार हो तो इसके धारण करने से निश्चय ही कार्यसिद्धी होती है।
चतुर्मुखी रुद्राक्ष- चतुर्मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म का प्रतिनिधि है। यह शिक्षा में सफलता देता है। जिसकी बुद्धि मंद हो, वाक् शक्ति कमजोर हो तथा स्मरण शक्ति मंद हो उसके लिए यह रुद्राक्ष कल्पतरु के समान है। इसके धारण करने से शिक्षा आदि में असाधारण सफलता मिलती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष- पंचमुखी रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रतिनिधि माना गया है। यह कालाग्नि के नाम से जाना जाता है। शत्रुनाश के लिए पूर्णतया फलदायी है। इसके धारण करने पर साँप-बिच्छू आदि जहरीले जानवरों का डर नहीं रहता। मानसिक शांति और प्रफुल्लता के लिए भी इसका उपयोग किया होता है।
षष्ठमुखी रुदाक्ष- यह षडानन कार्तिकेय का स्वरूप है। इसे धारण करने से खोई हुई शक्तियाँ जागृत होती हैं। स्मरण शक्ति प्रबल तथा बुद्धि तीव्र होती है। कार्यों में पूर्ण तथा व्यापार में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त होती है।
सप्तमुखी रुद्राक्ष- सप्तमुखी रुद्राक्ष को सप्तमातृका तथा ऋषियों का प्रतिनिधि माना गया है। यह अत्यंत उपयोगी तथा लाभप्रद रुद्राक्ष है। धन-संपत्ति, कीर्ति और विजय प्रदान करने वाला होता है साथ ही कार्य, व्यापार आदि में बढ़ोतरी कराने वाला है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष- अष्टमुखी रुद्राक्ष को अष्टदेवियों का प्रतिनिधि माना गया है। यह ज्ञानप्राप्ति, चित्त में एकाग्रता में उपयोगी तथा मुकदमे में विजय प्रदान करने वाला है। धारक की दुर्घटनाओं तथा प्रबल शत्रुओं से रक्षा करता है। इस रुद्राक्ष को विनायक का स्वरूप भी माना जाता है। यह व्यापार में सफलता और उन्नतिकारक है।
नवममुखी रुद्राक्ष- नवमुखी रुद्राक्ष को नवशक्ति का प्रतिनिधि माना गया है| इसके अलावा इसे नवदुर्गा, नवनाथ, नवग्रह का भी प्रतीक भी माना जाता है। यह धारक को नई-नई शक्तियाँ प्रदान करने वाला तथा सुख-शांति में सहायक होकर व्यापार में वृद्धि कराने वाला होता है। इसे भैरव के नाम से भी जाना जाता है।इसके धारक की अकालमृत्यु नहीं होती तथा आकस्मिक दुर्घटना का भी भय नहीं रहता।
दशममुखी रुद्राक्ष- दशमुखी रुद्राक्ष दस दिशाएँ, दस दिक्पाल का प्रतीक है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को लोक सम्मान, कीर्ति, विभूति और धन की प्राप्ति होती है। धारक की सभी लौकिक-पारलौकिक कामनाएँ पूर्ण
होती हैं।
एकादशमुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष रूद्र का प्रतीक माना जाता है| इस रुद्राक्ष को धारण करने से किसी चीज का अभाव नहीं रहता तथा सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं। यह रुद्राक्ष भी स्त्रियों के लिए काफी फायदेमं रहता है| इसके बारे में यह मान्यता है कि जिस स्त्री को पुत्र रत्न की प्राप्ति न हो रही हो तो इस रुद्राक्ष के धारण करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है|
द्वादशमुखी रुद्राक्ष- यह द्वादश आदित्य का स्वरूप माना जाता है। सूर्य स्वरूप होने से धारक को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है। ब्रह्मचर्य रक्षा, चेहरे का तेज और ओज बना रहता है। सभी प्रकार की शारीरिक एवं
मानसिक पीड़ा मिट जाती है तथा ऐश्वर्ययुक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।
त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष - यह रुद्राक्ष साक्षात विश्वेश्वर भगवान का स्वरूप है यह। सभी प्रकार के अर्थ एवं सिद्धियों की पूर्ति करता है। यश- कीर्ति की प्राप्ति में सहायक, मान- प्रतिष्ठा बढ़ाने परम उपयोगी तथा कामदेव का भी प्रतीक होने से शारीरिक सुंदरता बनाए रख पूर्ण पुरुष बनाता है। लक्ष्मी प्राप्ति में अत्यंत उपयोगी सिद्ध
होता है।
चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष- इस रुद्राक्ष के बारे में यह मान्यता है कि यह साक्षात त्रिपुरारी का स्वरूप है। चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य लाभ, रोगमुक्ति और शारीरिक तथा मानसिक-व्यापारिक उन्नति में सहायक होता है। इसमें हनुमानजी की शक्ति निहित है। धारण करने पर आध्यात्मिक तथा भौतिक सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
अन्य रुद्राक्ष-
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गणेश रुद्राक्ष- एक मुखी से लेकर चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष के बाद भी कुछ अन्य रुद्राक्ष होते हैं जैसे गणेश रुद्राक्ष| गणेश रुद्राक्ष की पहचान है उस पर प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष पर एक उभरी हुई
सुंडाकृति बनी रहती है। यह अत्यंत दुर्लभ तथा शक्तिशाली रुद्राक्ष है। यह गणेशजी की शक्ति तथा सायुज्यता का द्योतक है। धारण करने वाले को यह बुद्धि, रिद्धी- सिद्धी प्रदान कर व्यापार में आश्चर्यजनक प्रगति कराता है। विद्यार्थियों के चित्त में एकाग्रता बढ़ाकर सफलता प्रदान करने में सक्षम होता है। यहाँ रुद्राक्ष आपकी विघ्न-बाधाओं से रक्षा करता है|
गौरीशंकर रुद्राक्ष- यह शिव और शक्ति का मिश्रित स्वरूप माना जाता है। उभयात्मक शिव और शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है। यह आर्थिक दृष्टि से विशेष सफलता दिलाता है। पारिवारिक सामंजस्य, आकर्षण, मंगलकामनाओं की सिद्धी में सहायक है।
शेषनाग रुद्राक्ष- जिस रुद्राक्ष की पूँछ पर उभरी हुई फनाकृति हो और वह प्राकृतिक रूप से बनी रहती है, उसे शेषनाग रुद्राक्ष कहते हैं। यह अत्यंत ही दुर्लभ रुद्राक्ष है। यह धारक की निरंतर प्रगति कराता है। धन-धान्य,
शारीरिक और मानसिक उन्नति में सहायक सिद्ध होता है। सभी मानव जो भोग व मोक्ष,
दोनों की कामना करते हैं उन्हें रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिवजी के आंसुओं से हुई है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करने से धारक का ध्यान
आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता है तथा धारक को स्वास्थ्य लाभ होता है।
गौरी शंकर रुद्राक्ष: गौरी- शंकर रुद्राक्ष भगवान शिवजी के अर्धनारीश्वर स्वरूप तथा शिव व शक्ति का मिश्रित रूप है। इसे धारण करने से शिवजी व पार्वती जी सदैव प्रसन्न रहते हैं तथा जीवन में किसी प्रकार की कोई
कमी नहीं होती है। गौरी-शंकर रुद्राक्ष को घर में धन की तिजोरी या पूजा स्थल में रखने से सभी प्रकार के सुख व संपन्नता प्राप्त होती है। यदि विवाह में देरी हो जाये या वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी में मतभेद हो तो गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करें।
गणेश रुद्राक्ष
गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से धारक का भाग्योदय होता है तथा जीवन में कभी धन
की कमी नहीं होती है क्योंकि गणेश रुद्राक्ष ऋद्धि-सिद्धि का ही स्वरूप है।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने रोजगार/व्यवसाय से संबंधित रुद्राक्ष धारण करना चाहिए जिससे अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके।
1. वकील, जज व न्यायालयों में काम करने वाले लोगों को 1, 4 व 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहिए।
2. वित्तीय क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति (बैंक- कर्मचारी, चार्टर्ड एकाउन्टेंट) को 8, 11, 12, 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
3. प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस कर्मचारी को 9 व 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 4. चिकित्सा जगत से जुड़ें लोगों (डाॅक्टर, वैद्य, सर्जन) को 3, 4, 9, 10, 11, 12, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
5. इंजीनियर को 8, 10, 11, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
6. वायुसेना से जुड़े कर्मचारियों व पायलट को 10 व 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
7. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों व अध्यापकों को 6 और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
8. ठेकेदारी से संबंधित लोगों को 11, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
9. जमीन-जायदाद के क्रय-विक्रय से जुड़े लोगों को 1, 10, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
10. व्यवसायी व जनरल मर्चेंट को 10, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
11. उद्योगपति को 12 और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
12. होटल- व्यवसाय से संबंधित कर्मचारियों को 1, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
13. राजनेताओं व राजनीति तथा समाज-सेवा से संबंधित लोगों को 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
14. बच्चों व विद्यार्थियों को गणेश रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
विशेष सुचना -:
रुद्राक्ष असली होंगे तभी वे फल प्रदान करेंगे | वह भी तभी फलित होंगे जब इन्हें आपके नाम से जाग्रत किया गया हो |आजकल असली के नाम पर टेलीविजन एवं अन्य माध्यम से भी नकली रुद्राक्ष बेचे जा रहे है अतः सावधानी पूर्वक रुद्राक्ष का चयन करें |
पाठकों की विशेष मांग पर में कुछ असली रुद्राक्ष की पहचान दे रहा हु
१. असली रुद्राक्ष तांबे की दो प्लेट के बीच रखने पर स्वतः घुमने लगता है ऐसा उसके चुम्बकीय गुण के कारन होता है |
२. असली रुद्राक्ष पानी में डालने पर पानी का तापमान आधा से एक डिग्री कुछ समय मेंबढ़ जाता है |
३. असली रुद्राक्ष दूध में डालोगे तो वो कई घंटे दूध को फटने नहीं देगा |क्योंकि इसमें स्तम्भन शक्ति जबरदस्त होती है