Saturday 27 December 2014

कहीं आपके साथ भी तो ऐसा नही हो रहा ?

यदि जीवन में निरंतर समस्याए आ रही है। और यह प्रतीत हो की जीवन में कही कुछ सही नही हो रहा तो निश्चित रूप से हो सकता है आप पैरानार्म्ल समस्याओं से ग्रस्त है। आपके आस पास नेगेटिव एनर्जी है। यदि ऐसा है तो कुछ पहलुओ पर जरुर गौर करे।

1) पूर्णिमा या अमावस्या में घर के किसी सदस्य का Depression या Aggression काफी बढ़ जाना या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओ का बढ़ जाना।
2) बृहस्पतिवार, शुक्रवार या शनिवार में से किसी एक दिन प्रत्येक सप्ताह कुछ ना कुछ नकारात्मक घटनाएं घटना।
3) किसी ख़ास रंग के कपडे पहनने पर कुछ समस्याए या स्वास्थ्य पर असर जरुर होना।
4) घर में किसी एक सदस्य द्वारा दुसरे सदस्य को देखते ही अचानक से क्रोधित हो जाना।
5) पुरे मोहल्ले में सिर्फ आपके घर के आस पास कुत्तों का इकट्ठा होना।
6) घर में किसी महिला को हर माह अमावस्या में Period होना।
7) घर में किसी ना किसी सदस्य को अक्सर चोट चपेट लगना।
8) वैवाहिक संबंधो में स्थिरता का ना होना।
9) घर में किसी सदस्य का उन्मादी या नशे में होना।
10) सोते समय दबाव या स्लीपिंग पैरालाइसेस महसूस करना।
11) डरावने स्वप्न देखना।
12) स्वप्न में किसी के डर से खुद को भागते हुए देखना।
13) स्वप्न में अक्सर साँप या कुत्ते को देखना।
14) स्वप्न में खुद को सीढ़ी से नीचे उतरते देखना और आख़िरी सीढ़ी का गायब होना।
15) किसी प्रकार के गंध का अहसास होना।
16) पानी से और ऊँचाई से डर लगना।
17) सोते वक्त अचानक से कुछ अनजान चेहरों का दिखना।
18) अनायास हाथ पाँव का कांपना।
19) अक्सर खुद के मृत्यु की कल्पना करना।
20) व्यापार में अचानक उतार चढ़ाव का होना।
ये मुख्य ल्क्ष्ण है, जिनसे आप खुद जान सकते है की आपको या आपके घर में किसी प्रकार की पैरानार्म्ल प्राब्लम तो नही।

Wednesday 5 November 2014

सियार सिंघी

सियार सिंघी बहुत ही चमत्कारी होती है , इसे घर में रखने से सकारात्मक उर्जा का अनुभव होता है ! सियार सिंघी बालो का एक गुच्छा होता है ! असल में सियार के सिंघ नहीं होते परन्तु कुछ सियारों के नाक के ऊपर बालो का एक गुच्छा बन जाता है , धीरे धीरे वह कड़ा हो जाता है और सिंघ जैसा बन जाता है इसे सियार सिंघी कहते है और यह हजारों में से किसी एक के नाक पर होता है ! इसमें वशीकरण की अद्भुत शक्ति होती है , यदि इसे सिद्ध कर लिया जाए तो यह शक्ति हजारों गुना बढ़ जाती है ! इसके द्वारा आप किसी से भी अपना मनोवांछित काम करवा सकते है ! इसे सिद्ध करने की अनेकों विधियाँ है , पर यदि इसे होली या दिवाली के दिन सिद्ध किया जाए तो इसका चमत्कार बड़ी जल्दी नज़र आता है !

मैं आपके सबके सामने एक आसान और प्रमाणिक विधि लिख रहा हूँ जिस से आप सियार सिंघी को सिद्ध कर पूर्ण लाभ उठा सकते है ! यह विधि दिवाली से दस दिन पहले शुरू की जाती है मतलब दसवां दिन दिवाली होना चाहिये !
|| मन्त्र ||
ॐ चामुण्डाये नमः
|| विधि ||
दिवाली से दस दिन पहले एक सियार सिंघी का जोड़ा ले , उसे लाल कपडे पर स्थापित करे ! ऐसा करने के बाद लाल आसन बिछा कर लाल वस्त्र धारण कर बैठ जाएँ और एक सरसों के तेल का दीपक जलाएँ ! उस सियार सिंघी पर गंगा जल का छींटा दे ! उस पर चावल चढ़ाएँ और पांच लौंग साबुत और पांच चोटी इलायची चढ़ाये और इस मन्त्र का २१०० बार जप करे ! जप समाप्ति के बाद अग्नि में २१ आहुति गुग्गल की दे ! ऐसा रोज दिवाली तक करे !
दिवाली वाली रात पूजा के बाद इस नीचे लिखे मन्त्र का सियार सिंघी के सामने ११०० बार जाप करे !
|| मंत्र ।।
रंगली पीढ़ी रंगले पावे
जित्थे पुकारा ओथे आवे
नाले अंग नाल अंग मिलावे
नाले घर दा घर खिलावे !!
इस मन्त्र को जपने के बाद सियार सिंघी को किसी चांदी या ताम्बे की डब्बी में मीठा सिन्धुर डाल कर उसमें पांच लौंग पांच इलायची और एक कपूर का छोटा सा टुकड़ा डाल कर रख ले !
|| प्रयोग विधि ||
जब किसी पर प्रयोग करना हो तो इस डिब्बी को खोल कर सियार सिंघी के सामने दोनों मन्त्रों का एक एक माला जाप करे और उस व्यक्ति का नाम बोल कर चामुंडा मां से उसे अपने अनुकूल करने की प्रार्थना करे और डब्बी को अपनी जेब में रखकर चले जाएँ ! आपका कार्य सिद्ध हो जायेगा !

उपरोक्त विधि  अपनी रिस्क पर सम्पादित करें क्योंकि एक छोटी सी भूल  लाभ को हानि में  बदल सकती है  
यदि आप चाहे तो दीपावली के शुभ अवसर पर  विधि अनुसार  सिद्ध की गई सियार  सिंघी  उपलब्ध है   

Tuesday 21 October 2014

दीपावली से सम्बंधित सजावट एवं उपाय

जानें कैसी सजावट बना देगी अमीर—
अगर आप सिर्फ दिवाली के ही दिन वास्तु के अनुसार सजावट कर लें तो भी आप पर धनलक्ष्मी खुश हो जाएगी।
- दीपावली के दिन सुबह घर के बाहर उत्तर दिशा में रंगोली बनानी चाहिए।
- वास्तु के अनुसार घर में पौछा लगाते समय नमक मिला कर पोंछा लगाएं।
- घर के परदें पिंक कलर के होने चाहिए।
- घर के डायनिंग हॉल में कांच के बाउल में पानी भर कर उसमें लाल फूल रखें।
- घर में दीपक लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि दीपक में थोड़े चावल और कुंकु डाल कर रखें।
- घर के जिस कमरे में तिजोरी हो उस कमरे में लाल फूल बिछा कर रखें।
- तिजोरी वाले कमरे में पीले और पिंक रंग के परदें रखना चाहिए।
- दीपावली के दिन सुबह-शाम गुग्गल की धूप दें।
- घर की सजावट में पीले फूलों का उपयोग करें।
06 —आपके घर में रहेगी लक्ष्मी, जब दीपावली पर करेंगे यह उपाय—-
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार दीपावली के दिन विधि-विधान से यदि लक्ष्मीजी की पूजा की जाए तो वे अति प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा यदि दीपावली के शुभ अवसर पर नीचे लिखे साधारण उपाय किए जाएं तो और भी श्रेष्ठ रहता है और घर में लक्ष्मी का स्थाई निवास हो जाता है। यह उपाय इस प्रकार हैं-
1- दीपावली के दिन पीपल को प्रणाम करके एक पत्ता तोड़ लाएं और इसे पूजा स्थान पर रखें। इसके बाद जब शनिवार आए तो वह पत्ता पुन: पीपल को अर्पित कर दें और दूसरा पत्ता ले आएं। यह प्रक्रिया हर शनिवार को करें। इससे घर में लक्ष्मी की स्थाई निवास रहेगा और शनिदेव की प्रसन्न होंगे।
2- दीपावली पर मां लक्ष्मी को घर में बनी खीर या सफेद मिठाई को भोग लगाएं तो शुभ फल प्राप्त होता है।
3- दीपावली की रात 21 सिद्ध लाल हकीक पत्थर अपने धन स्थान(तिजोरी, लॉकर, अलमारी) पर से ऊसारकर घर के मध्य(ब्रह्म स्थान) पर गाढ़ दें।
4- दीपावली के दिन घर के पश्चिम में खुले स्थान पर पितरों के नाम से चौदह दीपक लगाएं।
07 —दीपावली की रात टोने-टोटके के लिए विशेष शुभ होती है, ऐसा तंत्र शास्त्र में लिखा है। किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान दीपावली की रात को किए गए टोटके से संभव है। अपनी समस्या के समाधान के लिए दीपावली की रात नीचे लिखे टोटके करें-
1- दीपावली की रात लक्ष्मी पूजन के साथ एकाक्षी नारियल की स्थापना कर उसकी पूजन-उपासना करें। इससे धन लाभ होता है साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
2- दूध से बने नैवेद्य मां लक्ष्मी को अति प्रिय हैं। इसलिए उन्हें दूध से निर्मित मिष्ठान जैसे- खीर, रबड़ी आदि का भोग लगाएं। इससे मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
3- दुर्भाग्य के नाश के लिए दीपावली की रात में एक बिजोरा नींबू लेकर मध्यरात्रि के समय किसी चौराहे पर जाएं और वहां उस नींबू को चार भाग में काटकर चारों रास्तों पर फेंक दें।
4- दीपावली की रात लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ सिद्ध काली हल्दी का भी पूजन करें और यह काली हल्दी अपने धन स्थान(लॉकर, तिजोरी) आदि में रखें। इससे धन लाभ होगा।
5- धन-समृद्धि के लिए दीपावली की रात में केसर से रंगी सिद्ध नौ कौडिय़ों की भी पूजा करें। पूजन के पश्चात इन कौडिय़ों को पीले कपड़े में बांधकर पूजास्थल पर रखें। ये कौडिय़ां अपने व्यापार स्थल पर रखने से व्यापार में वृद्धि होती है।
6- घर पर हमेशा बैठी हुई लक्ष्मी की और व्यापारिक स्थल पर खड़ी हुई लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
7- इस दिन श्रीयंत्र को स्थापित कर गन्ने के रस और अनार के रस से अभिषेक करके लक्ष्मी मंत्रों का जप करें।
8- लक्ष्मीजी को गन्ना, अनार, सीताफल अवश्य चढ़ाएं।
9- इस दिन पूजा स्थल में एकाक्षी नारियल की स्थापना करें। यह साक्षात लक्ष्मी का ही स्वरूप माना गया है। जिस घर में एकाक्षी नारियल की पूजा होती हो, वहां लक्ष्मी का स्थाई वास होता है।
10- दीपावली के दिन प्रात:काल सात अनार और नौ सीताफल दान करें।
11- दीपावली के दिन गन्ने के पेड़ की जड़ को लाकर लाल कपड़े में बांधकर लाल चंदन लगाकर धन स्थान पर रखें। इससे धन में वृद्धि होगी।
12 — दीपावली की रात्रि को पीपल के पत्ते पर दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करें। इससे आर्थिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

दीपावली से सम्बंधित कुछ विलक्षण एवं अदभुत छोटे प्रयोग -:

दीपावली में हर व्यक्ति चाहता है की लक्ष्मी उस पर मेहरबान हो लक्ष्मी देवी को प्रसन्न करने और दीवाली पर धन पाने के कुछ अचूक उपाय बतलाये जा रहे है आशा है इनका प्रयोग कर पाठक गण इसका लाभ उठा सकेंगे ये उपाय इस प्रकार है
(1)-दीपावली पूजन में 11  सिद्ध कोड़ियां, 21 कमलगट्टा, 25 ग्राम पीली सरसों लक्ष्मीजी को चढ़ाएं (एक प्लेट में रखकर अर्पण करें)। अगले दिन तीनों चीजें लाल या पीले कपड़े में बांधकर तिजौरी में या जहां पैसा रखते हों वहां , रख दें।
(2)- दीपावली के दिन अशोक वृक्ष की जड़ का पूजन करने से घर में धन-संपत्ति की वृद्धि होती है
(3)- दीपावली के दिन पानी का नया घड़ा लाकर पानी भरकर रसोई में कपड़े से ढंककर रखने से घर में बरक्कत और खुशहाली बनी रहती है
(4)- धनतेरस के दिन हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के मुख्य दरवाजे पर ऊँ बनाने से घर में लक्ष्मीजी (धन) का आगमन बना ही रहता है
(5)- नरक चतुर्दशी छोटी दीपावली को प्रात:काल अगर हाथी मिल जाए तो उसे गन्ना या मीठा जरूर खिलाने से अनिष्ठों, जटिल मुसीबतों से मुक्ति मिलती हह्य। अनहोनी से सदेव रक्षा होती है
(6)- दीपावली के पूजन के बाद शंख और डमरू बजाने से घर की दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मीजी का आगमन बना रहता है ।
(7)- दीपावली के दिन पति-पत्नी सुबह लक्ष्मी-नारायण विष्णु मंदिर जाएं और एक साथ लक्ष्मी-नारायणजी को वस्त्र अर्पण करने से कभी भी धन की कमी नहीं रहेगी। संतान दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की करेगी।
(8)- दीपावली के दिन इमली के पेड़ की छोटी टहनी लाकर अपनी तिजेरी या धन रखने के स्थान पर रखने से धन में दिनोंदिन वृद्धि होती है
(9)- दीपावली के दिन काली हल्दी को सिंदूर और धूप दीप से पूजन करने के बाद 2 चाँदी के सिक्कों के साथ लाल कपड़े में लपेटकर धन स्थान पर रखने से आर्थिक समस्याएं कभी नहीं रहतीं।
(10)- दीपावली के अगले दिन गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें पुराने गुड़ की एक डेली और मीठा तेल डालकर दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार के बीचोंबीच रख दें। इससे घर में सुख-समृद्धि दिनों दिन बढ़ती रहेगी।
(11)- दीपावली के दिन मुक्तिधाम (श्मशानभूमि) में स्थित शिव मंदिर में जाकर दूध में शहर मिलाकर चढ़ाने से सट्टे और शेयर बाजार से धन अवश्य ही मिलता है
(12)- दीपावली के दिन नया झाड़ू खरीदकर लाएं। पूजा से पहले उससे पूजा स्थान की सफाई कर उसे छुपाकर एक तरफ रख दें। अगले दिन से उसका उपयोग करें, इससे दरिद्रता का नाश होगा और लक्ष्मीजी का आगमन बना रहेगा
(13)- दीपावली के दिन एक चाँदी की बाँसुरी राधा-कृष्णजी के मंदिर में चढ़ाने के बाद 43 दिन लगातार भगवान श्रीकृष्णजी के कोई भी मंत्र का जाप करें। गाय को चारा खिलाएं और संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। निश्चय ही भगवान श्रीकृष्णजी की कृपा से आपको संतान प्राप्ति अवश्य ही होगी।
(14)- दीपावली पर गणेश-लक्ष्मीजी की मूर्ति खरीदते समय यह अवश्य ही देखें कि गणेशजी की सूड़ गणेशजी की दांयी भुजा की ओर जरूर मुड़ी हो। इनकी पूजा दीपावली में करने से घर में रिद्धि-सिद्धि धनसंपदा में बढ़ोत्तरी, संतान की प्रतिष्ठा दिनोंदिन बढ़ती है
(15)- भाईदूज के एक दिन एक मुट्ठी साबुत बासमती चावल बहते हुए पानी में महालक्ष्मीजी का स्मरण करते हुए छोड़ने से धन्य-धान्य में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती है
(16)- आंवले के फल में, गाय के गोबर में, शंख में, कमल में, सफेद वस्त्रों में लक्ष्मीजी का वास होता है इनका हमेशा ही प्रयोग करें। आंवला घर में या गल्ले में अवश्य ही रखें।
(17)- दीपावली के दिन हनुमान मंदिर में लाल पताका चढ़ाने से घर-परिवार की उन्नति के साथ ख्याति धन संपदा बढ़ाती है
(18)- नरक चतुर्दशी की संध्या के समय घर की पश्चिम दिशा में खुले स्थान में या घर के पश्चिम में 14 दीपक पूर्वजों के नाम से जलाएं, इससे पितृ दोषों का नाश होता है तथा पितरों के आशीर्वाद से धन-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है

प्रमोशन (तरक्की) का राम बाण उपाय

यदि आप प्रमोशन चाहते हैं तो इस दिन नीचे लिखा उपाय करें।
जल्दी ही आपका प्रमोशन हो जाएगा।
उपाय
धनतेरस की शाम को स्नान कर पीले कपड़े पहनें और पूर्व में मुख करके कुश के आसन पर बैठ जाएं। सामने एक बाजोट (पटिया) रखें व उस पर पीला कपड़ा बिछाएं। उस पर साबूत हरे मूंग की ढेरी बनाएं और उसके ऊपर 7 हकीक पत्थर रखें। इन पर केसर का तिलक लगाएं। अब स्फटिक की माला से नीचे लिखे मंत्र का जप करते जाएं और हकीक के ऊपर फूल चढ़ाते जाएं। कम से कम 7 माला जप अवश्य करें। दूसरे दिन माला सहित सभी सामग्री को लाल कपड़े में लपेटकर बहते जल में बहा दें।
मंत्र- ऊँ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी।
च धीमहि तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात्।।

Wednesday 28 May 2014

कौन सा रुद्राक्ष बदल देगा आपकी जिन्दगी

रुद्राक्ष के प्रकार-
आपको बता दें कि रुद्राक्ष एकमुखी से लेकर चौदहमुखी तक होते हैं| पुराणों में प्रत्येक रुद्राक्ष
का अलग-अलग महत्व और उपयोगिता उल्लेख किया गया है-



एकमुखी रुद्राक्ष- एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात रुद्र स्वरूप है। इसे परब्रह्म माना जाता है। सत्य, चैतन्यस्वरूप परब्रह्म का प्रतीक है। साक्षात शिव स्वरूप ही है। इसे धारण करने से जीवन में किसी भी वस्तु का अभाव नहीं रहता। लक्ष्मी उसके घर में चिरस्थायी बनी रहती है। चित्त में प्रसन्नता, अनायास धनप्राप्ति, रोगमुक्ति तथा व्यक्तित्व में निखार और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

द्विमुखी रुद्राक्ष- शास्त्रों में दोमुखी रुद्राक्ष को अर्द्धनारीश्वर का प्रतीक माना जाता है। शिवभक्तों को यह रुद्राक्ष धारण करना अनुकूल है। यह तामसी वृत्तियों के परिहार के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। इसे धारण करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। चित्त में एकाग्रता तथा जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक सौहार्द में वृद्धि होती है। व्यापार में सफलता प्राप्त होती है। स्त्रियों के लिए इसे सबसे उपयुक्त माना गया है|
तीनमुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष ‍अग्निस्वरूप माना गया है। सत्व, रज और तम- इन तीनों यानी त्रिगुणात्मक शक्तियों का स्वरूप यह भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान देने वाला है। इसे धारण करने वाले मनुष्य की विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों का दमन होता है और रचनात्मक प्रवृत्तियों का उदय होता है। किसी भी प्रकार
की बीमारी, कमजोरी नहीं रहती। व्यक्ति क्रियाशील रहता है। यदि किसी की नौकरी नहीं लग
रही हो, बेकार हो तो इसके धारण करने से निश्चय ही कार्यसिद्धी होती है।
चतुर्मुखी रुद्राक्ष- चतुर्मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म का प्रतिनिधि है। यह शिक्षा में सफलता देता है। जिसकी बुद्धि मंद हो, वाक् शक्ति कमजोर हो तथा स्मरण शक्ति मंद हो उसके लिए यह रुद्राक्ष कल्पतरु के समान है। इसके धारण करने से शिक्षा आदि में असाधारण सफलता मिलती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष- पंचमुखी रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रतिनिधि माना गया है। यह कालाग्नि के नाम से जाना जाता है। शत्रुनाश के लिए पूर्णतया फलदायी है। इसके धारण करने पर साँप-बिच्छू आदि जहरीले जानवरों का डर नहीं रहता। मानसिक शांति और प्रफुल्लता के लिए  भी इसका उपयोग किया होता है।
षष्ठमुखी रुदाक्ष- यह षडानन कार्तिकेय का स्वरूप है। इसे धारण करने से खोई हुई शक्तियाँ जागृत होती हैं। स्मरण शक्ति प्रबल तथा बुद्धि तीव्र होती है। कार्यों में पूर्ण तथा व्यापार में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त होती है।
सप्तमुखी रुद्राक्ष- सप्तमुखी रुद्राक्ष को सप्तमातृका तथा ऋषियों का प्रतिनिधि माना गया है। यह अत्यंत उपयोगी तथा लाभप्रद रुद्राक्ष है। धन-संपत्ति, कीर्ति और विजय प्रदान करने वाला होता है साथ ही कार्य, व्यापार आदि में बढ़ोतरी कराने वाला है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष- अष्टमुखी रुद्राक्ष को अष्टदेवियों का प्रतिनिधि माना गया है। यह ज्ञानप्राप्ति, चित्त में एकाग्रता में उपयोगी तथा मुकदमे में विजय प्रदान करने वाला है। धारक की दुर्घटनाओं तथा प्रबल शत्रुओं से रक्षा करता है। इस रुद्राक्ष को विनायक का स्वरूप भी माना जाता है। यह व्यापार में सफलता और उन्नतिकारक है।
नवममुखी रुद्राक्ष- नवमुखी रुद्राक्ष को नवशक्ति का प्रतिनिधि माना गया है| इसके अलावा इसे नवदुर्गा, नवनाथ, नवग्रह का भी प्रतीक भी माना जाता है। यह धारक को नई-नई शक्तियाँ प्रदान करने वाला तथा सुख-शांति में सहायक होकर व्यापार में वृद्धि कराने वाला होता है। इसे भैरव के नाम से भी जाना जाता है।इसके धारक की अकालमृत्यु नहीं होती तथा आकस्मिक दुर्घटना का भी भय नहीं रहता।
दशममुखी रुद्राक्ष- दशमुखी रुद्राक्ष दस दिशाएँ, दस दिक्पाल का प्रतीक है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को लोक सम्मान, कीर्ति, विभूति और धन की प्राप्ति होती है। धारक की सभी लौकिक-पारलौकिक कामनाएँ पूर्ण
होती हैं।
एकादशमुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष रूद्र का प्रतीक माना जाता है| इस रुद्राक्ष को धारण करने से किसी चीज का अभाव नहीं रहता तथा सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं। यह रुद्राक्ष भी स्त्रियों के लिए काफी फायदेमं रहता है| इसके बारे में यह मान्यता है कि जिस स्त्री को पुत्र रत्न की प्राप्ति न हो रही हो तो इस रुद्राक्ष के धारण करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है|
द्वादशमुखी रुद्राक्ष- यह द्वादश आदित्य का स्वरूप माना जाता है। सूर्य स्वरूप होने से धारक को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है। ब्रह्मचर्य रक्षा, चेहरे का तेज और ओज बना रहता है। सभी प्रकार की शारीरिक एवं
मानसिक पीड़ा मिट जाती है तथा ऐश्वर्ययुक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।
त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष - यह रुद्राक्ष साक्षात विश्वेश्वर भगवान का स्वरूप है यह। सभी प्रकार के अर्थ एवं सिद्धियों की पूर्ति करता है। यश- कीर्ति की प्राप्ति में सहायक, मान- प्रतिष्ठा बढ़ाने परम उपयोगी तथा कामदेव का भी प्रतीक होने से शारीरिक सुंदरता बनाए रख पूर्ण पुरुष बनाता है। लक्ष्मी प्राप्ति में अत्यंत उपयोगी सिद्ध
होता है।
चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष- इस रुद्राक्ष के बारे में यह मान्यता है कि यह साक्षात त्रिपुरारी का स्वरूप है। चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य लाभ, रोगमुक्ति और शारीरिक तथा मानसिक-व्यापारिक उन्नति में सहायक होता है। इसमें हनुमानजी की शक्ति निहित है। धारण करने पर आध्यात्मिक तथा भौतिक सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

अन्य रुद्राक्ष-

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गणेश रुद्राक्ष- एक मुखी से लेकर चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष के बाद भी कुछ अन्य रुद्राक्ष होते हैं जैसे गणेश रुद्राक्ष| गणेश रुद्राक्ष की पहचान है उस पर प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष पर एक उभरी हुई
सुंडाकृति बनी रहती है। यह अत्यंत दुर्लभ तथा शक्तिशाली रुद्राक्ष है। यह गणेशजी की शक्ति तथा सायुज्यता का द्योतक है। धारण करने वाले को यह बुद्धि, रिद्धी- सिद्धी प्रदान कर व्यापार में आश्चर्यजनक प्रगति कराता है। विद्यार्थियों के चित्त में एकाग्रता बढ़ाकर सफलता प्रदान करने में सक्षम होता है। यहाँ रुद्राक्ष आपकी विघ्न-बाधाओं से रक्षा करता है|
गौरीशंकर रुद्राक्ष- यह शिव और शक्ति का मिश्रित स्वरूप माना जाता है। उभयात्मक शिव और शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है। यह आर्थिक दृष्टि से विशेष सफलता दिलाता है। पारिवारिक सामंजस्य, आकर्षण, मंगलकामनाओं की सिद्धी में सहायक है।
शेषनाग रुद्राक्ष- जिस रुद्राक्ष की पूँछ पर उभरी हुई फनाकृति हो और वह प्राकृतिक रूप से बनी रहती है, उसे शेषनाग रुद्राक्ष कहते हैं। यह अत्यंत ही दुर्लभ रुद्राक्ष है। यह धारक की निरंतर प्रगति कराता है। धन-धान्य,
शारीरिक और मानसिक उन्नति में सहायक सिद्ध होता है। सभी मानव जो भोग व मोक्ष,
दोनों की कामना करते हैं उन्हें रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए। 

रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिवजी के आंसुओं से हुई है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करने से धारक का ध्यान
आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता है तथा धारक को स्वास्थ्य लाभ होता है। 

गौरी शंकर रुद्राक्ष: गौरी- शंकर रुद्राक्ष भगवान शिवजी के अर्धनारीश्वर स्वरूप तथा शिव व शक्ति का मिश्रित रूप है। इसे धारण करने से शिवजी व पार्वती जी सदैव प्रसन्न रहते हैं तथा जीवन में किसी प्रकार की कोई
कमी नहीं होती है। गौरी-शंकर रुद्राक्ष को घर में धन की तिजोरी या पूजा स्थल में रखने से सभी प्रकार के सुख व संपन्नता प्राप्त होती है। यदि विवाह में देरी हो जाये या वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी में मतभेद हो तो गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करें। 

गणेश रुद्राक्ष
गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से धारक का भाग्योदय होता है तथा जीवन में कभी धन
की कमी नहीं होती है क्योंकि गणेश रुद्राक्ष ऋद्धि-सिद्धि का ही स्वरूप है।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने रोजगार/व्यवसाय से संबंधित रुद्राक्ष धारण करना चाहिए जिससे अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके।

1. वकील, जज व न्यायालयों में काम करने वाले लोगों को 1, 4 व 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहिए।
 2. वित्तीय क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति (बैंक- कर्मचारी, चार्टर्ड एकाउन्टेंट) को 8, 11, 12, 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
3. प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस कर्मचारी को 9 व 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 4. चिकित्सा जगत से जुड़ें लोगों (डाॅक्टर, वैद्य, सर्जन) को 3, 4, 9, 10, 11, 12, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
5. इंजीनियर को 8, 10, 11, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
6. वायुसेना से जुड़े कर्मचारियों व पायलट को 10 व 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
7. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों व अध्यापकों को 6 और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
8. ठेकेदारी से संबंधित लोगों को 11, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
9. जमीन-जायदाद के क्रय-विक्रय से जुड़े लोगों को 1, 10, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
10. व्यवसायी व जनरल मर्चेंट को 10, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
11. उद्योगपति को 12 और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
12. होटल- व्यवसाय से संबंधित कर्मचारियों को 1, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
13. राजनेताओं व राजनीति तथा समाज-सेवा से संबंधित लोगों को 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 
14. बच्चों व विद्यार्थियों को गणेश रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

विशेष सुचना -:
रुद्राक्ष असली होंगे तभी वे फल प्रदान करेंगे | वह भी तभी फलित होंगे जब इन्हें आपके नाम से जाग्रत किया गया हो  |आजकल असली के नाम पर टेलीविजन एवं अन्य माध्यम से भी नकली रुद्राक्ष बेचे जा रहे है अतः सावधानी पूर्वक रुद्राक्ष का चयन करें |
पाठकों की विशेष मांग पर में कुछ असली रुद्राक्ष की पहचान दे रहा हु 
१. असली रुद्राक्ष तांबे की दो प्लेट के बीच  रखने पर स्वतः घुमने लगता है  ऐसा उसके चुम्बकीय गुण के कारन होता है |
२. असली रुद्राक्ष पानी में डालने पर पानी का तापमान आधा से एक डिग्री कुछ समय मेंबढ़ जाता है |
३. असली रुद्राक्ष दूध में डालोगे तो वो कई घंटे दूध को फटने नहीं देगा |क्योंकि इसमें स्तम्भन शक्ति जबरदस्त होती है 


(संसथान द्वारा असली रुद्राक्ष उपलब्ध कराये जाते है एवं यदि आपके पास उपलब्ध है तो संसथान द्वारा इन्हें आपके नाम से विधि पूर्वक निःशुल्क जाग्रत किया जाता है )

काल सर्प दोष निवारण हरतु कुछ आसान से उपाय



कालसर्प दोष निवारण हेतु कुछ साधारण से उपाय
भी हैं जिनसे इस दोष का निवारण किया जा सकता है.
यदि पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका में
क्लेश हो रहा हो, आपसी प्रेम
की कमी हो रही हो तो भगवान
श्रीकृष्ण की मूर्ति या बालकृष्ण
की ‍मूर्ति जिसके सिर पर मोरपंखी मुकुट
धारण हो घर में स्थापित करें एवं प्रतिदिन उनका पूजन करें एवं
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय अथवा ऊँ नमो वासुदेवाय कृष्णाय
या ॐ नम: शिवाय का यथाशक्ति जाप करे. कालसर्प योग
की शांति होगी।
यदि कुंडली में कालसर्प दोष है तो नित्य
प्रति भगवान शिव के परिवार का पूजन करें. आपके हर काम होते
चले जाएँगे.यदि रोजगार में तकलीफ आ
रही है अथवा रोजगार प्राप्त
नहीं हो रहा है तो पलाश के फूल गोमूत्र में
डूबाकर उसको बारीक करें. फिर छाँव में रखकर सुखाएँ.
उसका चूर्ण बनाकर चंदन के पावडर में मिलाकर शिवलिंग पर
त्रिपुण्ड बनाए.21 दिन या 25 दिन में नौकरी अवश्य
मिलेगी.
शिवलिंग पर प्रतिदिन मीठा दूध में
थोड़ी भाँग डाल दें, फिर इसे शिवलिंग पर चढ़ाएँ इससे
गुस्सा शांत होता है, साथ
ही सफलता तेजी से मिलने
लगती है.
यदि शत्रु से भय है तो चाँदी के अथवा ताँबे के सर्प
बनाकर उनकी आँखों में सुरमा लगा दें, फिर
किसी भी शिवलिंग पर चढ़ा दें, भय दूर
होगा व शत्रु का नाश होगा, नारियल के गोले में सप्त धान्य(सात
प्रकार का अनाज), गुड़, उड़द की दाल एवं सरसों भर
लें व बहते पानी में बहा दें अथवा गंदे
पानी में (नाले में) बहा दें, आपका चिड़चिड़ापन दूर
होगा। यह प्रयोग राहूकाल में करें.
कालसर्प योग वाले श्रावण मास में प्रतिदिन रूद्र-अभिषेक कराए
एवं महामृत्युंजय मंत्र की एक माला रोज करें.
जीवन में सुख शांति अवश्य आएगी और
रूके काम होने लगेंगे.साथ ही साथ शुभ मुहूर्त में
बहते पानी में कच्चा कोयला तीन बार
प्रवाहित करें.
हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें तथा भोजनालय
(घर की रसोई )में बैठकर भोजन करें.साथ
ही तांबे का बना सर्प विधिवत पूजन के उपरांत
शिवलिंग पर समर्पित करें. इससे अनुकूल प्रभाव पड़ेगा और
कालसर्प दोष का निवारण होगा.

Saturday 15 March 2014

होली के कुछ अन्य प्रयोग


आइए होली की रात के कुछ अन्य तंत्र सिद्धियां जानते हैं:-
व्यापार बढ़ाने के लिए
इस बार होली रविवार को है। शनिवार को ऐसे पेड़ के नीचे जाए जिस पर चमगादड़ लटकती हो उस पेड़ की एक डाल को निमंत्रण दे कि कल हम तुम्हें ले जाएंगे। होली वाले दिन सूर्योदय से पूर्व उस डाल को तोड़कर ले आए। रात को उस डाल एवं उसके पत्तों का पूजन कर अपनी गद्दी के नीचे रखें। व्यवसाय खूब फलेगा-फूलेगा।
धन में वृद्धि हेतु
ऊँ नमो धनदाय स्वाहा
होली की रात इस मंत्र का जाप करने से धन में वृद्धि होती है।
रोग नाश हेतु
ऊँ नमो भगवेत रुद्राय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीरं अमृतं कुरु कुरु स्वाहा, इस मंत्र का होली की रात जाप करने से कैसा भी रोग हो नाश हो जाता है।
शीघ्र विवाह हेतु
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होली के दिन सुब एक साबूत पान पर साबूत सुपारी एवं हल्दी की गांठ शिवलिंग पर चढ़ाएं तथा पीछे पलटे बगैर अपने घर आ जाएं यही प्रयोग अगले दिन भी करें। अतिशीघ्र विवाह हो जाता है।
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गोरखमुण्डी का पौधा लाकर उसको धोकर होली की रात उसका पूजन करें फिर उसको होली की अग्नि में सुखा दें तथा पांच दिन सूखने दे पंचमी के दिन उसको पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण कई प्रयोग में आता है।
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सुबह शाम इस चूर्ण को शहद से चाटने पर स्मरण एवं भाषण शक्ति बढ़ती है।
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दूध के साथ इस चूर्ण का सेवन करने से शरीर स्वस्थ और बलिष्ठ होता है। इस चूर्ण के पानी से बाल धोने पर बाल लंबे और काले घने होते हैं। इस चूर्ण के तेल से शरीर की ऐंठन, जकड़न दूर होती है।
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ऐसे बचें टोटकों से
टोने-टोटके के लिए सफेद खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है। होलिका दहन वाले दिन सफेद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिये।
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उतार और टोटके का प्रयोग सिर पर जल्दी होता है, इसलिए सिर को टोपी आदि से ढके रहें।
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टोने-टोटके में व्यक्ति के कपड़ों का प्रयोग किया जाता है, इसलिए अपने कपड़ों का ध्यान रखें।

Monday 10 March 2014

होली पर सिद्ध करें हत्था जोड़ी

होली का त्यौहार आ रहा है इस समय तंत्र मंत्र आदि कि साधनाये भी कि जाती है ,आज आप लोगो को हत्था जोड़ी के बारे में बताता हूँ यह बहुत ही शक्तिशाली व प्रभावकारी वस्तु है
हत्था जोड़ी एक जंगली पौधे की जड़ होती है जो प्रायः ठन्डे प्रदेशों में पाई जाती है ,यह जिसके पास होती है उसे हर कार्य में सफलता मिलती है
तंत्र शास्त्र में यह चमत्कारी साबित हुई है
इसका प्रयोग प्रायः कोर्ट कचहरी ,मुकदमा ,शत्रु बाधा से मुक्ति आदि के निवारण में तथा वशीकरण आदि में प्रयोग किया जाता है 



हत्था जोड़ी में अद्भुत प्रभाव निहित रहता है, यह साक्षात चामुंडा देवी का प्रतिरूप है. यह जिसके पास भी होगा वह अद्भुत रुप से प्रभावशाली होगा. सम्मोहन, वशीकरण, अनुकूलन, सुरक्षा में अत्यंत गुणकारी होता है,

कैसे सिद्ध करे हत्था जोड़ी.
होली की रात को कुंए के पास जाकर थोड़ी मिट्टी खोद कर उसकी एक गणेशजी की मूर्ति बनाएं। उसके ऊपर सिंदूर से लेपन कर रातभर उसका अभिषेक-पूजन करें। सुबह आरती के बाद विसर्जन कर दें। इससे प्रयोग से भी शीघ्र ही धन लाभ होने लगता है।

हत्था जोड़ी जो की एक महातंत्र में उपयोग में लायी जाती है और इसके प्रभाव से शत्रु दमन तथा मुकदमो में विजय हासिल होती है !

मेहनत और लगन से काम करके धनोपार्जन करते हैं फिर भी आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आपको अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उपाय करना चाहिए। इसके लिए किसी भी शनिवार अथवा मंगलवार के दिन हत्था जोड़ी घर लाएं। इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान में अथवा तिजोरी में रख दें। इससे आय में वृद्घि होगी एवं धन का व्यय कम होगा।

तिजोरी में सिन्दूर युक्त हत्था जोड़ी रखने से आर्थिक लाभ में वृद्धि होने लगती है.
हाथा जोड़ी एक जड़ है। होली के पूर्व इसको प्राप्त कर स्नान कराकर पूजा करें तत्पश्चात तिल्ली के तेल में डूबोकर रख दें। दो हफ्ते पश्चात निकालकर गायत्री मंत्र से पूजने के बाद इलायची तथा तुलसी के पत्तों के साथ एक चांदी की डिब्बी में रख दें। इससे धन लाभ होता है।हाथा जोड़ी को इस

मंत्र से सिद्ध करें-
ॐ किलि किलि स्वाहा।

आज कल प्रायः नकली हत्था जोड़ी मिलती है जो चमड़े या किसी जानवर के पैर आदि से बना कर पाखंडी लोग अपना जेब भरते है , जिसमे दुर्गन्ध भी आती है अतः लेने से पूर्व भली भांति जाँच परख कर ही हत्था जोड़ी प्राप्त करे।

Sunday 9 March 2014

होली के अदभुत प्रयोग / उपाय (Holi Remedies)

1. होली की पूजा मुखयतः भगवान विष्णु (नरसिंह अवतार) को ध्यान में रखकर की जाती है।
2. घर के प्रत्येक सदस्य को होलिका दहन में देशी घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए । होली की ग्यारह परिक्रमा करते हुए होली में सूखे नारियल की आहुति देनी चाहिए। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है, कष्ट दूर होते हैं।
3. होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपड़े में बांधकर काले तिल रखें। रात को जलती होली में उन्हें डाल
दें। यदि पहले से ही कोई टोटका होगा तो वह भी खत्म हो जाएगा।
4. होली दहन के समय ७ गोमती चक्र लेकर भगवान से प्रार्थना करें कि आपके जीवन में कोई शत्रु बाधा न डालें। प्रार्थना के पश्चात पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ गोमती चक्र दहन में डाल दें।
5. होली दहन के दूसरे दिन होली की राख को घर लाकर उसमें थोडी सी राई व नमक मिलाकर रख
लें। इस प्रयोग से भूतप्रेत या नजर दोष से मुक्ति मिलती है।
6. होली के दिन से शुरु होकर बजरंग बाण का ४० दिन तक नियमित पाठ करनें से हर मनोकामना पूर्ण
होगी।
7. यदि व्यापार या नौकरी में उन्नति न हो रही हो, तो २१ गोमती चक्र लेकर होली दहन के दिन रात्रि में शिवलिंग पर चढा दें।
8. नवग्रह बाधा के दोष को दूर करने के लिए होली की राख से शिवलिंग की पूजा करें तथा राख मिश्रित जल से स्नान करें।
9. होली वाले दिन किसी गरीब को भोजन अवश्य करायें।
10. होली की रात्रि को सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाकर पूजा करें व भगवान से सुख - समृद्धि की प्रार्थना करें। इस प्रयोग से बाधा निवारण होता है।
11. यदि बुरा समय चल रहा हो, तो होली के दिन पेंडुलम वाली नई घडी पूर्वी या उत्तरी दीवार पर लगाए। परिणाम स्वयं देखे।
12. राहु का उपाय - एक नारियल का गोला लेकर उसमे अलसी का तेल भरकर..उसी में थोडा सा गुड डाले..फिर उस नारियल के गोले को राहू से ग्रस्त व्यक्ति अपने शारीर के अंगो से स्पर्श करवाकर जलती हुई होलिका में डाल देवे. पुरे वर्ष भर राहू से परेशानी की संभावना नहीं रहेगी…
13. मनोकामना की पूर्ति हेतु होली के दिन से शुरू करके प्रतिदिन हनुमान जी को पांच लाल पुष्प चढ़ाएं, मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी।
14. होली की प्रातः बेलपत्र पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर
सच्चे मन से अर्पित करें। बाद में सोमवार को किसी मंदिर में भोलेनाथ को पंचमेवा की खीर अवश्य चढ़ाएं, मनोकामना पूरी होगी।
15. स्वास्थ्य लाभ हेतु मृत्यु तुल्य कष्ट से ग्रस्त रोगी को छुटकारा दिलाने के लिए जौ के आटे में काले तिल एवं सरसों का तेल मिला कर मोटी रोटी बनाएं और उसे रोगी के ऊपर से सात बार उतारकर भैंस को खिला दें। यह क्रिया करते समय ईश्वर से रोगी को शीघ्र स्वस्थ करने की प्रार्थना करते रहें।
16. व्यापार लाभ के लिए होली के दिन गुलाल के एक खुले पैकेट में एक मोती शंख और चांदी का एक सिक्का रखकर उसे नए लाल कपड़े में लाल मौली से बांधकर तिजोरी में रखें, व्यवसाय में लाभ होगा।
17. होली के अवसर पर एक एकाक्षी नारियल की पूजा करके लाल कपड़े में लपेट कर दूकान में या व्यापार स्थल पर स्थापित करें। साथ ही स्फटिक का शुद्ध श्रीयंत्र रखें। उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होगी।
18. धनहानि से बचाव के लिए होली के दिन मुखय द्वार पर गुलाल छिड़कें और उस पर द्विमुखी दीपक जलाएं।
दीपक जलाते समय धनहानि से बचाव की कामना करें। जब दीपक बुझ जाए तो उसे होली की अग्नि में
डाल दें। यह क्रिया श्रद्धापूर्वक करें, धन हानि से बचाव होगा।
19. दुर्घटना से बचाव के लिए होलिका दहन से पूर्व पांच काली गुंजा लेकर होली की पांच परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर पीठ करके पांचों गुन्जाओं को सिर के ऊपर से पांच बार उतारकर सिर के ऊपर से होली में फेंक दें।
20. होली के दिन प्रातः उठते ही किसी ऐसे व्यक्ति से कोई वस्तु न लें, जिससे आप द्वेष रखते हों। सिर ढक कर
रखें। किसी को भी अपना पहना वस्त्र या रुमाल नहीं दें। इसके अतिरिक्त इस दिन शत्रु या विरोधी से पान, इलायची, लौंग आदि न लें। ये सारे उपाय सावधानीपूर्वक करें, दुर्घटना से बचाव होगा। आत्मरक्षा हेतु किसी को कष्ट न पहुंचाएं, किसी का बुरा न करें और न सोचें। आपकी रक्षा होगी।
21. अगर आपके घर में कोई शारीरिक कष्टों से पीड़ित है - ओर उसको रोग छोड़ नहीं रहे है - तो 11 अभिमंत्रित
गोमती चक्र बीमार ब्यक्ति के शरीर से 21 बार उसार कर होली की अग्नि में डाल दे शारीरिक कष्टों से शीघ्र
मुक्ति मिल जायेगी
22. अगर बुध ग्रह आपकी कुंडली में संतान प्राप्ति में बाधा दाल रहा है तो किसी भी बच्चे वाली गरीब महिला को होली वाले दिन से शुरु कर एक महीने तक हरी-सब्जियाँ दें। माता वैष्णो-देवी से संतान की प्रार्थना करें।
23. शीघ्र विवाह हेतु : जो युवा विवाह योग्य हैं और सर्वगुण संपन्न हैं, फिर भी शादी नहीं हो पा
रही है तो यह उपाय करें। होली के दिन किसी शिव मंदिर जाएं और अपने साथ 1 साबूत पान, 1 साबूत
सुपारी एवं हल्दी की गांठ रख लें। पान के पत्ते पर सुपारी और हल्दी की गांठ रखकर शिवलिंग
पर अर्पित करें। इसके बाद पीछे देखें बिना अपने घर लौट आएं। यही प्रयोग अगले दिन भी करें। इसके साथ
ही समय-समय शुभ मुहूर्त में यह उपाय किया जा सकता है। जल्दी ही विवाह के योग बन जाएंगे।

Saturday 8 March 2014

श्रेष्ठ और मनचाही संतान प्राप्ति के लिए गुरूवार ( वीरवार) को करें यह उपाय :

1 दंपति को गुरुवार का व्रत रखना चाहिए।
2 गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें,पीली वस्तुओं का दान करें यथासंभवपीला भोजन ही करें।
3 माता बनने की इच्छुक महिला को चाहिए गुरुवार के दिनगेंहू के आटे की 2 मोटी लोई बनाकर उसमेंभीगी चने की दाल औरथोड़ी सी हल्दी मिलाकरनियमपूर्वक गाय को खिलाएं।
4 शुक्ल पक्ष में बरगद के पत्ते को धोकर साफ करके उस परकुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर थोड़े से चावल और एकसुपारी रखकर सूर्यास्त से पहलेकिसी मंदिर में अर्पित कर दें और प्रभु से संतानका वरदान देने के लिए प्रार्थना करें निश्चय ही संतानकी प्राप्ति होगी ।
5 गुरुवार के दिन पीले धागे मेंपीली कौड़ी को कमर में बांधने सेसंतान प्राप्ति का प्रबल योग बनता है।
6 माता बनने की इच्छुक महिला को पारद शिवलिंगका रोजाना दूध से अभिषेक करें उत्तम संतान की प्राप्ति होगी ।
7 हर गुरुवार को भिखारियों को गुड़ का दान देने सेभी संतान सुख प्राप्त होता है ।
8 पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ को लाकर उसे दूध में घिसकर स्त्री को पिलाएं यह सिद्ध एंवम परीक्षित प्रयोग है ।
9 रविवार को छोड़कर अन्य सभी दिन निसंतान स्त्री यदि पीपल पर दीपक जलाए और उसकी परिक्रमा करते हुए संतान की प्रार्थना करें उसकी इच्छा अति शीघ्र पूरी होगी ।
10 श्वेत लक्ष्मणा बूटी की 21 गोली बनाकर उसे नियमपूर्वक गाय के दूध के साथ लेने से संतान सुख की अवश्य
ही प्राप्ति होती है ।
11 उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में नीम की जड़ लाकर सदैव अपने पास रखने से निसंतान दम्पति को संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है ।
12 नींबू की जड़ को दूध में पीसकर उसमे शुद्ध देशी घी मिला कर सेवन करने से पुत्र प्राप्ति की संभावना बड़ जाती है ।
13 पहली बार ब्याही गाय के दूध के साथ नागकेसर के चूर्ण का लगातार 7 दिन सेवन करने से संतान पुत्र उत्पन्न होता है ।
14. सवि का भात और मुंग की दाल खाने से बांझ पन दूर होता है और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है ।
15. गर्भ का जब तीसरा महीना चल रहा हो तो गर्भवती स्त्री को शनिवार को थोडा सा जायफल और गुड़ मिलाकर खिलाने से अवश्य ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी ।
16. पुराने चावल को धोकर भिगो दें बनाने से पहले उसके पानी को अलग करके उसमें नीबूं की जड़ को महीन पीसकर उस पानी को स्त्री पी कर अपने पति से सम्बन्ध बनाये वह स्त्री कन्या को जन्म देगी ।

Wednesday 12 February 2014

कोर्ट कचहरी के चक्कर से बचा लेंगे ये उपाय

जीवन में कई बार ऐसे हालत बन जाते हैं जब हमेंकोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं। कोर्टकचहरी में चलने वाले मुकदमें बहुत लम्बे चलते हैं।कई बार तो यह एक पीढ़ी से लेकर
दूसरी पीढ़ी तक चलते हैं।ज्योतिष के मतानुसार विभिन्न ग्रह योगों औरउनकी स्थिति के मुताबिक ही हमें शुभ-अशुभ फल प्राप्त होते हैं।यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेंकोई अशुभ ग्रह योग हो तो उसे मुकदमें के दौरान बहुतसी परेशानियों को सहन करना पड़ता है। इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए निम्न उपाय करें
1 ....कोर्ट जाते समय चावल के कुछ दानें अपने साथ ले जाएं। जिस कमरेमें आपके मुकदमे की कार्यवाही चल
रही हो उन चावलों को उस कमरे के बाहर फेंक दें।ध्यान रखें की आपको चावल ले जाते हुए अथवा कोर्ट में
फेंकते हुए कोई देखें नहीं। इस उपाय को गुप्त रूप से करें।
2 ....श्री हनुमान जी का पर्वत उठाए हुए चित्र अथवा श्री स्वरूप के सामने शुक्ल पक्ष केमंगलवार को निम्नलिखित चौपाई का रूद्राक्ष की माला से प्रतिदिन दो माला जाप करें। ऐसा करने से मुक़दमे में विजय के साथ साथ सभी क्लेशों का नाश होगा।
‘पवन तनय बल पवन समाना
बुद्धि विवेक विग्यान निधाना।
कवन सो काज कठिन जग माहि
जो नहि होई तात तुम पाहिं।
3 ....पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवाएं और उस मुहूर्त में श्री कार्य सिद्धि यन्त्र खरीद कर घर ले आएं। भोजपत्र पर किसी बारीक तीले से लाल चन्दन को स्याही का रूप देते हुए अपनी मनोकामना लिखें। गुलाब की खुशबू से र्निमित ग्यारह अगरबत्तियां लेकर आरती करें और कोई शुभ काम करने का संकल्प लें। मनोकामना लिखित भोज पत्र को चार तह बनानें के उपरांत कार्यसिद्धि यन्त्र के नीचे रख दें और प्रतिदिन गुलाब की खुशबू से र्निमित पांच अगरबत्तियां लेकर 21 बार अपनी मनोकामना का उच्चारण मन ही मन करें। फिर उन अगरबत्तियों को घर के मुख्य द्वार पर लगा दें।

Tuesday 11 February 2014

अंकों का जीवन में प्रभाव

प्रत्येक अंक किसी न किसी ग्रह से अभिभूत होता है, 'अंक ज्योतिष' शब्द, अंक और ज्योतिष के योग से बना है। अर्थात् ऐसा विज्ञान जिसके द्वारा अंकों का प्रयोग ज्योतिष के साथ संबद्ध करके प्रयोग किया जा सके उसे अंक ज्योतिष कहेंगे।
अंक 1 से 9 तक होते हैं जबकि ज्योतिष में मूल रूप से तीन तत्व हैं- ग्रह, राशि और नक्षत्र। ग्रह 9 राशियां 12 और नक्षत्र 27 होते हैं।
अर्थात् नौ अंकों का संबंध 9 ग्रहों 12 राशियों और 27 नक्षत्रों के साथ करना होता है।
ज्योतिष का क्षेत्र तो काफी विस्तृत है। परंतु अंक शास्त्र का क्षेत्र ज्योतिष की तुलना में सीमित है।
अंक ज्योतिष में 3 प्रकार के अंकों का प्रयोग किया जाता है वे हैं-
1. मूलांक, 2. भाग्यांक 3. नामांक किसी जातक के बारे में जानने के लिये सर्वप्रथम जातक की जन्म तिथि और नाम मालूम होना चाहिए। जन्म तिथि के आधार पर जातक का मूलांक और भाग्यांक ज्ञात कर सकते हैं। जन्म तिथि में से यदि सिर्फ तिथि के अंकों को जोड़ दिया जाये तो मूलांक ज्ञात होगा जैसे
11-12 -2013 में मूलांक हेतु '11' में 1+1 = 2 अर्थात मूलांक '2' होगा।
अब भाग्यांक निकालने के लिये जन्मतिथि को माह व वर्ष के साथ जोड़ना होगा। अर्थात् 1+1+1+2+ 2+1+3 = 11 = 1+1 = 2 अर्थात इस जातक का मूलांक 2 एवं भाग्यांक '2' है।
1-1-2014 जनवरी महीने का कुल योग 9 है अर्थात इसका स्वामी मंगल है , 2014 का कुल योग है 7 जिसका स्वामी केतु है .
जानिए अपने अंको के मित्र और शत्रु अंक :-

1.मूलांक 1 (जन्म दिनाँक 1,10,19,28) :
स्वामी सूर्य है. मित्र मूलाँक 2,3,5.

2. मूलांक 2 (जन्म दिनाँक 2,11,20,29)
स्वामी चन्द्र है.मित्र मूलाँक 1,3,5,6,8.

3.मूलांक 3 (जन्म दिनाँक 3,12,21,30)
आपका स्वामी गुरु है. मित्र मूलाँक 1,2,8,9.

4. मूलांक 4 (जन्म दिनाँक 4,13,22,31)
आपका स्वामी राहु है. मित्र मूलाँक 3,5,6,7.

5. मूलांक 5 (जन्म दिनाँक 5,14,23)
आपका स्वामी बुध है. मित्र मूलाँक 1,2,5,6.

6.मूलांक 6 (जन्म दिनाँक 6,15,24)
आपका स्वामी शुक्र है. मित्र मूलाँक 1,2,3,5,8.

7. मूलांक 7 (जन्म दिनाँक 7,16,25)
आपका स्वामी केतु है. मित्र मूलाँक 2,3,4,5.

8. मूलांक 8 (जन्म दिनाँक 8,17,26)
आपका स्वामी शनि है. मित्र मूलाँक 3,6,9.

9.मूलांक 9 (जन्म दिनाँक 9,18,27)
आपका स्वामी मंगल है. मित्र मूलाँक 1,2,3,8.

मूलांक 1: मूलांक 1 वाले लोग अधिकतर सहिष्णु, सहनशील एवं गंभीर होते हैं। इनके जीवन में निरंतर उत्थान-पतन होते रहते हैं। उनका जीवन संघर्षपूर्ण होता है। ऐसे लोगों में नेतृत्व की भी भावना प्रबल होती है। ये जिस कार्य को अपने हाथ में लेते हैं, उसे अच्छी तरह निभाने एवं संपन्न करने का सामथ्र्य भी रखते हैं। नित नए लोगों से संपर्क स्थापित करना ऐसे लोगों के व्यक्तित्व की विशेषता होती है। इनका परिचय क्षेत्र विस्तृत होता है तथा ये नवीनता की खोज में लगे रहते हैं। शारीरिक रूप से ऐसे लोग हृष्टपुष्ट एवं स्वस्थ होते हैं। इस अंक से संबधित लोग यदि नौकरी पेशा हों तो उच्च पद प्राप्त करने के प्रति चेष्टारत रहते हैं। अगर ये व्यापारी हों तो दिन-रात परिश्रम कर व्यापारी वर्ग में प्रमुख स्थान बना सकते हैं। ये निर्णय लेने में बहुत ही चतुर होते हैं। ये हमेशा समाज और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिवर्तन लाने के प्रयास में रहते हैं। ये घिसी-पिटी लीक पर चलने के अभ्यस्त नहीं होते। ये अपने कार्य और अपनी धुन में ही मस्त रहते हैं। कार्य के बीच में टोका-टाकी उन्हें पसंद नहीं होती है। इनके विचार मौलिक होते हैं और कल्पनाशक्ति प्रबल होती है। विशेष: इनके लिए शुभ रत्न माणिक्य है और सूर्य इनके प्रधान देवता हैं।

मूलांक: मूलांक 2 से संबंधित लोग अत्यंत कल्पनाशील, भावुक, सहृदय और सरलचित्त होते हैं। ये न तो अधिक समय तक एक ही कार्य पर स्थिर रह सकते हैं और न ही लंबे समय तक सोच सकते हैं। इनके मन में नित नए नए विचार आते रहते हैं जिन्हें साकार देने के लिए ये सतत प्रयासरत रहते हैं। शारीरिक रूप से ऐसे लोग बलवान नहीं होते। ये मूलतः बुद्धिजीवी होते हैं। ये मस्तिष्क के स्तर अधिक सबल एवं स्वस्थ होते हैं, किंतु आत्मविश्वास की उनमें कमी रहती है, फलस्वरूप ये तुरंत कोई निर्णय नहीं ले पाते। सौंदर्य के प्रति इनकी रुचि परिष्कृत होती है। प्रेम और सौंदर्य के क्षेत्र में ये महारथी कहे जा सकते हैं। दूसरों को सम्मोहित करने की कला में ये प्रवीण होते हैं। अपरिचित से अपरिचित व्यक्ति को परिचित बना लेना इनके बाएं हाथ का खेल होता है। स्वभाव से शंकालु होते हुए भी ये दूसरों के हित का पूरा ख्याल रखते हैं। किसी को सीधे ना कहना इनके स्वभाव में नहीं होता। दूसरों के मन की बात जान लेने में ये प्रवीण होते हैं। ललित कलाओं में इनकी रुचि जन्मजात होती है। विशेष: इनके लिए मोती शुभ है और चंद्र इनके देवता हैं।

मूलांक 3: यह साहस, शक्ति एवं दृढता का अंक है। यह अंक श्रम तथा संघर्ष का परिचायक है। इस अंक से प्रभावित लोगों को पग-पग पर संघर्ष करना पड़ता है। स्वार्थ भावना इनमें कुछ विशेष ही पाई जाती है। काम पड़ने पर ये विरोधी से घुल-मिल जाते हैं और काम निकल जाने पर उसे दूर करने में भी देर नहीं लगाते। विचारों को व्यवस्थित रूप से अभिव्यक्त करने में ये कुशल होते हैं। किंतु धन संचय इनके लिए कठिन होता है। परिश्रम करके कमाने में ये दिन-रात लगे रहते हैं, पर जो कुछ कमाते हैं, व्यय हो जाता है। इस अंक के जातक बुद्धिमान, ईमानदार और उदार होते हैं, पर कोई ऊंचा पद या प्रमुख स्थान मिलने पर हो जाते हैं। मूलांक तीन के जातक अति महत्वाकांक्षी होते हैं। वे शीघ्रातिशीघ्र उन्नति के शिखर पर पहुंच जाना चाहते हंै। छोटा कद, छोटा कोष एवं छोटा कार्य इन्हें पसंद नहीं होता है। विशेष: इनके लिए पुखराज शुभ है और इनके देवता विष्णु हैं।

मूलांक 4 : यह मूलांक विशेषतः उथल-पुथल से संबंधित है। इस अंक से प्रभावित लोग जीवन में शांत बनकर बैठे रहें, यह संभव ही नहीं है। ये सतत क्रियाशील रहते हैं। इन्हें पग-पग पर भारी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इनकी भाग्योन्नति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। स्वभाव से ये बड़े क्रोधी एवं तुनकमिजाज होते हैं। इनकी इच्छा के प्रतिकूल कार्य होने पर ये आपे से बाहर हो जाते हैं, लेकिन जिस गति से क्रोध चढ़ता है, उसी गति से उतर भी जाता है। ऐसे लोग अपनी गुप्त बातों को मन में दबाकर रखते हैं। इनके मन में क्या योजना है या अगले क्षण ये क्या कदम उठाने जा रहे हैं, इसकी भनक तब तक किसी को नहीं होती, जब तक ये योजना को क्रियान्वित न कर लें। इस अंक से प्रभावित लोगों के जीवन में शत्रुओं की कमी नहीं रहती । ये एक शत्रु को परास्त करें तो दस नए शत्रु पैदा हो जाते हैं। यद्यपि इनकी पीठ पीछे शत्रु षड्यंत्र करते हैं, पर सामने कुछ भी नहीं कर पाते। विशेष: इनके लिए नीलम शुभ है और भैरव इनके आराध्य देव हैं।

मूलांक 5: मूलांक 5 के जातक नई से नई युक्तियों, नए से नए विचारों एवं सर्वथा नूतन तर्कों से अनुप्राणित रहते हैं। ये पूर्णतः क्रियाशील रहते हैं, झुकते नहीं, झुकाने में विश्वास रखते हैं। दूसरों को सम्मोहित करना ऐसे लोगों का सबसे बड़ा गुण है। कुछ ही क्षणों की बातचीत में ये दूसरों को अपना बना लेते हैं। यात्राएं इनके जीवन का विशेष अंग होती हैं, परंतु ये अपने कार्य में इतने व्यस्त रहते हैं कि चाह कर भी यात्रा के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। कार्य के प्रति एकाग्रता इनकी दूसरी विशेषता है। ये जो भी कार्य हाथ में लेते हैं, उसे किए बिना नहीं छोड़ते। ऐसे लोग अपने आपको स्थिति के अनुसार ढाल लेते हंै और विभिन्न स्रोंतों से धनोपार्जन करते हैं। विशेष: इनकी आराध्या लक्ष्मी हैं और हीरा इनके लिए शुभ है।

मूलांक 6: यह एक अत्यंत शुभ अंक है। इससे प्रभावित जातक दीर्घायु, स्वस्थ, बलवान, हंसमुख होते हैं। दूसरों को सम्मोहित करने का गुण जितना मूलांक 6 में होता है, उतना अन्य किसी भी मूलांक में नहीं होता। इस अंक से प्रभावित जातक रति क्रीड़ा में चतुर होते हैं। विपरीत लिंगी व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करने में ये दक्ष होते हैं। ये शीघ्र ही घुल-मिल जाने वाले होते हैं। ये कलाप्रेमी होते हैं और इनमें सौंदर्य के प्रति आकर्षण होता है। अव्यवस्था, गंदगी, फूहड़पन एवं असभ्यता से इन्हें चिढ़ होती है। इनमें सुरुचिपूर्ण एवं सलीकेदार कपड़े पहनने एवं बन-ठनकर रहने की प्रवृत्ति गहरी होती है। भौतिक सुखों में पूर्णतः आस्था रखते हुए ऐसे व्यक्ति जीवन का सही आनंद उठाते हैं। धन का अभाव रहते हुए भी ये मुक्तहस्त से व्यय करते हैं। जनता में शीघ्र ही लोकप्रिय हो जाते हैं तथा सांसारिक होते हुए भी हृदय से उदार एवं नीतिज्ञ होते हैं। विशेष: शुभ रत्न हीरा और शुभ वार बुध और शुक्र हैं।

मूलांक 7: मूलांक 7 सौहार्द्र, सहिष्णु, एवं सहयोगी भावना का प्रतीक है। इस अंक से प्रभावित लोगों में मूलतः तीन विशिष्ट गुण होते हैं- मौलिकता, स्वतंत्र विचार शक्ति एवं विशाल व्यक्तित्व। ऐसे लोग अपनी प्रतिभा के बल पर उच्च स्थान प्राप्त करते हंै। इन्हें मित्रों और सहयोगियों से भरपूर प्यार मिलता है और जीवन में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती है। साहसिक प्रकृति के होने के कारण कुछ ऐसा कर गुजरने को आतुर रहते हैं जो उसे प्रसिद्ध बना दे। विशेष: इनके लिए लहसुनिया शुभ है और नृसिंह इनके आराध्य हैं।

मूलांक 8: अंक ज्योतिष में इस अंक को ‘विश्वास का अंक’ कहा गया है। इसका स्वामी शनि है। इस अंक से प्रभावित लोगों का व्यवहार सहयोगपूर्ण होता है। ये अपने मित्रों और सहयोगियों की यथा शक्ति सहायता करते रहते हैं। ये दूसरों की रक्षा ढाल बनकर करते रहते हैं और विशाल वट वृक्ष की तरह अपनी शीतल छाया से उन्हें सुख पहुंचाते रहते हैं, परंतु जब ये किसी पर क्रुद्ध होते हैं तब प्रचंड रूप धारण कर लेते हैं। इन्हें फूहड़पन पसंद नहीं होता। अश्लील या गंदा मजाक सहन नहीं करते। इनमें दिखावा न के बराबर होता है। सबल, सजग व्यक्तित्व वाले ये लोग टूटते नहीं हैं। ये अंदर से सेवाभावी होते हैं। दूसरे लोगों को हर संभव प्रसन्न रखना या उनकी सेवा करते रहना इनका स्वभाव होता है। विशेष: शुभ रत्न नीलम और आराध्य देवता शनि हैं।
मूलांक 9:

मूलांक 9 के लोग साहसी होते हैं। इनका साहस कभी-कभी इतना अधिक बढ़ जाता है कि दुस्साहस का रूप धारण कर लेता है। कई बार अनर्थ करवा डालता है, परंतु इस प्रकार से ये न तो पदच्युत होते हैं और न ही भयभीत ये दृढ़ निश्चयी एवं वीर होते हैं। ये चुनौती भरे कार्यों को करके अपना नाम अमर कर जाते हैं। ये बाहर से कठोर, किंतु अंदर से कोमल होते हैं। अनुशासन को जीवन में सर्वोपरि मानते हैं और जो भी कार्य शुरू करते हैं, उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। इनका प्रधान ग्रह मंगल है, जो युद्ध का देवता है। इन्हें हारना पसंद नहीं होता। गृहस्थ जीवन में न्यूनाधिक रूप से विपरीतता बनी रहती है। ऐसे व्यक्ति यदि अपने आप पर पूर्ण नियंत्रण रखें तो निश्चय ही सफल एवं श्रेष्ठ हो सकते हंै। विशेष: शुभ रत्न मूंगा और आराध्य हनुमान जी हैं।