Friday 30 October 2020

रावण सहिंता के अनुसार पारद शिवलिंग एवं पारद श्री यंत्र का महत्व

 …………. पारद (पारा) को रसराज कहा जाता है। पारद से बने शिवलिंग की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का ही रूप है इसलिए इसकी पूजा विधि-विधान से करने से कई गुना फल प्राप्त होता है तथा हर मनोकामना पूरी होती है। घर में पारद शिवलिंग सौभाग्य, शान्ति, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए अत्यधिक सौभाग्यशाली है। दुकान, ऑफिस व फैक्टरी में व्यापारी को बढाऩे के लिए पारद शिवलिंग का पूजन एक अचूक उपाय है। शिवलिंग के मात्र दर्शन ही सौभाग्यशाली होते  है। इसके लिए किसी प्राणप्रतिष्ठा की आवश्कता नहीं हैं। 

पर इसके ज्यादा लाभ उठाने के लिए इसे रावण सहिंता के अनुसार आपके जन्म नक्षत्र मे ही तन्त्रोक्त विधि द्वारा पारा को ठोस करके  निर्मित किया जाना चाहिए। 

 पूजन की विधि ……………………

 सर्वप्रथम शिवलिंग को सफेद कपड़े पर आसन पर रखें। स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए।अपने आसपास जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध और हल्दी, चन्दन रख लें। सबसे पहले पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जला कर रखो।थोडा सा जल हाथ में लेकर तीन बार निम्न मन्त्र का उच्चारण करके पी लें। प्रथम बार ॐ मुत्युभजाय नम: दूसरी बार ॐ नीलकण्ठाय: नम: तीसरी बार ॐ रूद्राय नम: चौथी बार ॐशिवाय नम: हाथ में फूल और चावल लेकर शिवजी का ध्यान करें और मन में ''ॐ नम: शिवाय`` का 5 बार स्मरण करें और चावल और फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें। इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करते रहे। फिर हाथ में चावल और पुष्प लेकर ''ॐ पार्वत्यै नम:`` मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान कर चावल पारा शिवलिंग पर चढ़ा दें। इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करें। फिर मोली को और इसके बाद बनेऊ को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें। इसके पश्चात हल्दी और चन्दन का तिलक लगा दे। चावल अर्पण करे इसके बाद पुष्प चढ़ा दें। मीठे का भोग लगा दे। भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा दें। फिर अन्तिम में शिव की आरती करे और प्रसाद आदि ले लो। जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता है इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है। 

लाभ


इसे घर में स्थापित करने से भी कई लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं………………… 

 पारद शिवलिंग सभी प्रकार के तन्त्र प्रयोगों को काट देता है. 

पारद शिवलिंग पति पत्नी के बीच के ग्रह क्लेश को धीरे धीरे पूर्णतः समाप्त कर जीवन को सुखमय बना देता है |

पारद शिवलिंग जहां स्थापित होता है उसके १०० फ़ीट के दायरे में उसका प्रभाव होता है. इस प्रभाव से परिवार में शांति और स्वास्थ्य प्राप्ति होती है. 

य़दि बहुत प्रचण्ड तान्त्रिक प्रयोग या अकाल मृत्यु या वाहन दुर्घटना योग हो तो ऐसा शुद्ध पारद शिवलिंग उसे अपने ऊपर ले लेता है. ऐसी स्थिति में यह अपने आप टूट जाता है, और साधक की रक्षा करता है. 

पारद शिवलिंग की स्थापना करके साधना करने पर स्वतः साधक की रक्षा होती रहती है.विशेष रूप से महाविद्या और काली साधकों को इसे अवश्य स्थापित करना चाहिये. 

पारद शिवलिंग को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं साथ हीघर का वातावरण भी शुद्ध होता है। 

पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसलिए इसे घर में स्थापित कर प्रतिदिन पूजन करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक परकिसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है। 

यदि किसी को पितृ दोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष समाप्त हो जाता है।


शुद्ध पारद शिवलिंग बाजार मे मिलने वाले शिवलिंग से अत्यंत दुर्लभ और चमत्कारी होता है क्योंकि इसे मंत्रो द्वारा ठोस करके निर्मित किया जाता है |जबकि बाजार मे मिलने वाले पारद शिवलिंग कापर सल्फेट के द्वारा निर्मित किया जाता है |


यहा प्राकृतिक तरीके से पारद शिवलिंग निर्माण के कुछ तस्वीरे दे रहा हूँ 



आग्रह प्राप्त होने पर यदि समस्या गंभीर है तो ही  पूर्णतः तान्त्रोक्त  विधि से पारद शिवलिंग एवं पारद श्रीयंत्र निर्माण किए जाते है |














लक्ष्मी प्राप्ति साधना

अगर आपको अचानक पैसे रुपए की ज़रुरत पड़ जाए तो आप क्या करेंगे?

नहीं समझ आया तो हम बताते हैं।

दीपावली पर लक्ष्मीजी की पूजा गणेश जी के साथ की  जाती है.लेकिन अगर अचानक रूपये पैसे की तंगी हो जाये

तो लक्ष्मी माता को नहीं, बल्कि उनके पुत्रों को पुकारिये.जब लक्ष्मी जी के पुत्रों का नाम लेंगे, तो मां दौड़ी चली आयेंगी.ये ममता ही तो है, जो मां को बच्चों से जोड़ती है.गणेश जी लक्ष्मी जी के मानस पुत्र हैं. वैसे तो लक्ष्मी जी चंचला हैं, एक स्थान पर नहीं टिकतीं |

लेकिन दो स्थानों पर लक्ष्मी जी सदा निवास करती हैं.

पहला वह स्थान जहां विष्णु जी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से किया जाये |

दूसरा वह स्थान, जहां गणपति की आराधना की जाये |

और यह तीसरा उपाय है लक्ष्मी जी के 18 पुत्रों का नाम जपना.वैसे तो लक्ष्मी जी वहां सदानिवास करती हैं,जहां गणपति पूजे जाते हैं, लेकिन अचानक रुपये चाहिये तो एक नहीं, बल्कि लक्ष्मी जी के अनेक पुत्रों के नाम लेना होगा.

ऋग्वेद में लक्ष्मी जी के 4 पुत्रों का नाम इस श्लोक में आये है

-आनंद: कर्दम: श्रीदश्चिकलीत इति विश्रुता:

-ऋषय: श्रिय: पुत्राश्व मयि श्रीर्देवी

देवता (4/5/4/6)

लेकिन आकस्मिक धन पाने के लिये आपको लक्ष्मी जी के 18 वर्ग पुत्रों के नाम लेने होंगे,इसके बाद धन की व्यवस्था स्वयं लक्ष्मी जी आकर करती हैं.

कैसे मिलेगा आकस्मिक धन?

अगर अचानक कारोबार में घाटा हो जाये, शेयर बाज़ार में पैसे डूब जायें,अच्छी भली नौकरी चली जाये या फिर कोई प्राकृतिक आपदा आ जाये,ऐसे में धन की आवश्यकता सबको पड़ सकती है.बस ऐसी ही परिस्थिति में, लक्ष्मी जी के 18 पुत्रों का नाम,शुक्रवार से जपना शुरू कर दें और साथ मे उन्हे गुलाब का कम-से-कम एक पुष्प अर्पित करे. 

लक्ष्मी जी के 18 पुत्रों के नाम,

- ॐ देवसखाय नम:

- ॐ चिक्लीताय नम:

- ॐ आनन्दाय नम:

- ॐ कर्दमाय नम:

- ॐ श्रीप्रदाय नम:

- ॐ जातवेदाय नम:

- ॐ अनुरागाय नम:

- ॐ सम्वादाय नम:

- ॐ विजयाय नम:

- ॐ वल्लभाय नम:

- ॐ मदाय नम:

- ॐ हर्षाय नम:

- ॐ बलाय नम:

- ॐ तेजसे नम:

- ॐ दमकाय नम

- ॐ सलिलाय नम:

- ॐ गुग्गुलाय नम:

- ॐ कुरूण्टकाय नम:


तो अगर आप भी किसी ऐसी परिस्थिति के शिकार हैं, जिसमें अचानक से पैसे रूपये चाहिये, तो यह उपाय शुक्रवार से आज़मायें.मां तो मां है,फिर लक्ष्मी ही क्यों न हों, बेटों के नाम पुकारेंगे तो मां दौड़ी चली आयेगी.


अगर आपसे संभव हो तो मंत्र का जाप भी करे,"ओम नम:कमलवासिन्यै स्वाहा".

इस मंत्र का जाप आप रोजाना कर सकते है,सिर्फ मंत्र जाप हेतु शुद्धता का ध्यान रखिये.माँ आप पर कृपा बरसाये यही कामना करता हू

शरद पूर्णिमा पर यह काम करेंगे तो सालभर रहेगे स्वस्थ और होगी धनप्राप्ति

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ बोलते हैं । शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इस रात्रि में चंद्रमा का ओज सबसे तेजवान और ऊर्जावान होता है। पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है । इस साल 30 अक्टूबर की रात में खीर बनाकर खानी है व 31 अक्टूबर को व्रत-पूजन करना है।


इस दिन रास-उत्सव और कोजागर व्रत किया जाता है । गोपियों को शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजाकर अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था ।

यूं तो हर माह में पूर्णिमा आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व उन सभी से कहीं अधिक है। हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है।
शरद पूर्णिमा से जुड़ी बातें....*

इस दिन चंद्रमा की किरणें विशेष अमृतमयी गुणों से युक्त रहती हैं, जो कई बीमारियों का नाश कर देती हैं। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को लोग अपने घरों की छतों पर खीर रखते हैं, जिससे चंद्रमा की किरणें उस खीर के संपर्क में आती है, इसके बाद उसे खाया जाता है।

नारद पुराण के अनुसार शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए निशिद काल में पृथ्वी पर भ्रमण करती है। माता यह देखती है कि कौन जाग रहा है?
यानी अपने कर्तव्‍यों को लेकर कौन जागृत है? जो इस रात में जागकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं, मां उन पर असीम कृपा करती है।*

वैज्ञानिक भी मानते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात स्वास्थ्य व सकारात्मकता देने वाली मानी जाती है क्योंकि चंद्रमा धरती के बहुत समीप होता है। शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणों में खास तरह के लवण व विटामिन आ जाते हैं। पृथ्वी के पास होने पर इसकी किरणें सीधे जब खाद्य पदार्थों पर पड़ती हैं तो उनकी क्वालिटी में बढ़ोतरी हो जाती है।

शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सुबह उठकर व्रत करके अपने इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी का दीपक जलाकर, गंध पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए। ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रूप से किया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन जागरण करने वाले की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

शरद पूनम की रात को क्या करें, क्या न करें ?

अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं । जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें ।’ फिर वह खीर खा लेना ।

इस रात सूई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है ।

शरद पूर्णिमा की चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है ।

अमावस्या और पूर्णिमा को चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है । जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएँ हैं, सप्त रंग हैं, उन पर भी चन्द्रमा का प्रभाव पड़ता है । इन दिनों में अगर काम-विकार भोगा तो विकलांग संतान अथवा जानलेवा बीमारी हो जाती है और यदि उपवास, व्रत तथा सत्संग किया तो तन तंदुरुस्त, मन प्रसन्न होता है।

खीर को बनायें अमृतमय प्रसाद...

खीर को रसराज कहते हैं । सीताजी को अशोक वाटिका में रखा गया था । रावण के घर का क्या खायेंगी सीताजी ! तो इन्द्रदेव उन्हें खीर भेजते थे ।

खीर बनाते समय घर में चाँदी का गिलास आदि जो बर्तन हो, आजकल जो मेटल (धातु) का बनाकर चाँदी के नाम से देते हैं वह नहीं, असली चाँदी के बर्तन अथवा असली सोना धोकर खीर में डाल दो तो उसमें रजतक्षार या सुवर्णक्षार आयेंगे । लोहे की कड़ाही अथवा पतीली में खीर बनाओ तो लौह तत्त्व भी उसमें आ जायेगा । खीर में इलायची, खजूर या छुहारा डाल सकते हो लेकिन बादाम, काजू, पिस्ता, चारोली ये रात को पचने में भारी पड़ेंगे । रात्रि 8 बजे महीन कपड़े से ढँककर चन्द्रमा की चाँदनी में रखी हुई खीर 11 बजे के बाद भगवान को भोग लगा के प्रसादरूप में खा लेनी चाहिए । लेकिन देर रात को खाते हैं इसलिए थोड़ी कम खाना । सुबह गर्म करके भी खा सकते हो ।
(खीर दूध, चावल, मिश्री, चाँदी, चन्द्रमा की चाँदनी - इन पंचश्वेतों से युक्त होती है, अतः सुबह बासी नहीं मानी जाती ।) यह खीर खाने से सालभर मनुष्य स्वथ्य रहता है ।
स्वास्थ्य प्रयोग...

इस रात्रि में 3-4 घंटे तक बदन पर चन्द्रमा की किरणों को अच्छी तरह पड़ने दें ।

दो पके सेवफल के टुकड़े करके शरद पूर्णिमा को रातभर चाँदनी में रखने से उनमें चन्द्रकिरणें और ओज के कण समा जाते हैं । सुबह खाली पेट सेवन करने से कुछ दिनों में स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक लाभकारी परिवर्तन होते हैं ।

250 ग्राम दूध में 1-2 बादाम व 2-3 छुहारों के टुकड़े करके उबालें । फिर इस दूध को पतले सूती कपड़े से ढँककर चन्द्रमा की चाँदनी में 2-3 घंटे तक रख दें । यह दूध औषधीय गुणों से पुष्ट हो जायेगा । सुबह इस दूध को पी लें ।

सोंठ, काली मिर्च और लौंग डालकर उबाला हुआ दूध चाँदनी रात में 2-3 घंटे रखकर पीने से बार-बार जुकाम नहीं होता, सिरदर्द में लाभ होता है ।
तुलसी के 10-12 पत्ते एक कटोरी पानी में भिगोकर चाँदनी रात में 2-3 घंटे के लिए रख दें । फिर इन पत्तों को चबाकर खा लें व थोड़ा पानी पियें । बचे हुए पानी को छानकर एक-एक बूँद आँखों में डालें, नाभि में मलें तथा पैरों के तलुओं पर भी मलें । आँखों से धुँधला दिखना, बार-बार पानी आना आदि में इससे लाभ होता है । तुलसी के पानी की बूँदें चन्द्रकिरणों के संग मिलकर प्राकृतिक अमृत बन जाती हैं ।

नोट : दूध व तुलसी के सेवन में दो घंटे का अंतर रखें ।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, 'पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।
अर्थात में स्वयं अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं।(गीताः15.13)