Saturday 11 January 2014

नए नेताओं और शासकों के उदय का साल होगा 2014!

1 जनवरी, 2014 की दस्तक पर शून्य बजकर शून्य मिनट पर जब कैलेंडर बदला तब मंगल बुध की राशि कन्या में, शनि देव मित्र राहू के साथ शुक्र की राशि तुला में, सूर्य और बुध की युति चंद्रमा के साथ बृहस्पति की राशि धनु में शुक्रदेव के वक्री होकर शनि की राशि मकर में, केतु मंगल की राशि मेष में और वक्री बृहस्पति बुध की राशि मिथुन में गतिशील हो गए।

विक्रम संवत 2070 में पराभव संवत्सर चल रहा है, इसके राजा बृहस्पति और मंत्री शनि हैं, 31 मार्च 2014 अर्थात् गुड़ीपाडवा से श्री संवत 2071 यानी 'प्लवंग' संवत्सर आरंभ होगा, जिसके राजा और मंत्री का पद चंद्रदेव के पास रहेगा ससेष बृहस्पति होंगे, दुर्गेष सूर्य, धनेश बुध, रसेश शनि, धान्येश मंगल, निरसेश बुध, फलेश सूर्य और मेधेश सूर्य होंगे। ग्रंथों के अनुसार 'प्लवंग' संवत्सर तमाम देशों में आपसी तनाव, द्वंद्व राजनेताओं में वैमनस्य और परिवर्तन के लिए जाना जाता है। चंद्रमा के राजा होने से प्रचुर मात्रा में वर्षा का योग है। यह वर्षा-बाढ़ का रूप भी ले सकती है।

किसी नए राजा, राजाओं या शासकों का उदय हो सकता है। जनता के रोग और दुख के शमन की योजनाएं बनेंगी। चंद्रदेव के मंत्री पद पर आसीन होने से अनाज की पर्याप्त पैदावार होगी, लेकिन मन के मालिक चंद्रदेव के मंत्री पद पर विराजमान होने के कारण यह वर्ष गलत राजनीतिक फैसलों के लिए भी याद किया जाएगा।
बृहस्पति के सयेश होने से रस वाले पदार्थों का उत्पादन अधिक होगा, मंगल के धनेश होने से मुनाफाखोरी बढ़ेगी। गेहूं, सरसों, मूंग, उड़द और तिल की कीमतों में तेजी होगी। जनता व्याकुल रहेगी, आम आदमी के हिस्से का आम कोई और खा जाएगा पब्लिक के हिस्से में केवल सूखी हुई गुठली ही आएगी यानी जनता इस बरस भी कष्ट में ही रहेगी।

सूर्य के मेधेश पद पर आसीन होने से फसलों के खराब होने के संकेत मिल रहे हैं। आतंकवादी घटनाएं सिर उठाएंगी, जन सामान्य में भय व्याप्त होगा। रसेश पद पर शनि के विराजमान होने से रसीले पदार्थों का उत्पादन होने के बाद भी उनके नाश का योग बनता है।

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