Sunday 30 April 2017

मोती धारण करने से पहले यह अवश्य पढ़ें (मोती के लाभ और हानि )

शास्त्रीजी के अनुसार 

मोती कर्क लग्न का आजीवन रत्न है एवम भाग्येश रत्न पुखराज है। मोती रत्न चन्द्रमा की शांति एवम चन्द्रमा को बलवान बनाने के लिए धारण किया जाता है किसी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र बलिष्ठ एवम कमजोर हो सकता है। मान सागरीय के मतानुसार चन्द्रमा को रानी भी कहा गया है। बलिष्ठ चन्द्रमा से व्यकि को राज कृपा मिलती है , उसके राजकीय कार्यो में सफलता मिलती है , मन को हर्षित करता है, विभिन्न प्रकार की चिन्ताओ से मुक्त करता है | ज्योतिषाचार्य के अनुसार ज्योतिष् शास्त्र में चंद्रमा को ब्रह्मांड का मन कहा गया है. हमारे शरीर में भी चंद्रमा हमारे मन व मस्तिष्क का कारक है, विचारों की स्थिरता का प्रतीक है | मन ही मनुष्य का सबसे बड़ा दोस्त या दुश्मन है |माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से भरपूर मोती रत्न पहनने से आप लक्ष्मी को अपने द्वार पर आमंत्रित करेंगे। अगर आप की कुंडली में चंद्रमा कमज़ोर है, तो उस को सबल बनाने में आप की मदद करेगा। इस के अलावा अनिद्रा व मधुमेह को नियंत्रण में लाने में भी यह मदद करता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार मोती रत्न आप की याददाश्त को बल देता है। आप के मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। इस के अलावा मोती यौन जीवन में शक्ति प्रदान करने के लिए भी जाना जाता है एवं आप के वैवाहिक जीवन को सुंदर बनाता है।
मोती चंद्रमा का रत्न है. कहा जाता है :- 
कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाती एक, गुण तीन
जैसी संगत बैठियें, तेसोई फल दीन || 
अर्थात स्वाती नक्षत्र के समय बरसात की एक बूंद घोघे के मुख में समाती है तब वह मोती बन जाता है. वही बूंद केले में जा कर कपूर और साँप के मूह में जा कर हाला हाल विष बनती है |
रसायनिक दृष्टि से इसमे , केल्षीयम, कार्बन और आक्सीज़न,यह तीन तत्व पाए जाते है. आयुर्वेद के अनुसार मोती में 90% चूना होता है, इसलिए कैल्शियम् की कमी के कारण जो रोग उत्पन्न होते है उनमें लाभ करता है. नेत्र रोग, स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए, पाचन शक्ति को तेज़ करने के लिए व हृदय को बल देने के लिए मोती धारण करना चाहिए | ज्योतिषाचार्य के अनुसार सामान्यत: चंद्रमा क्षीण होने पर मोती पहनने की सलाह दी जाती है मगर हर लग्न के लिए यह सही नहीं है। ऐसे लग्न जिनमें चंद्रमा शुभ स्थानों (केंद्र या‍ त्रिकोण) का स्वामी होकर निर्बल हो,ऐसे में ही मोती पहनना लाभदायक होता है। अन्यथा मोती भयानक डिप्रेशन, निराशावाद और आत्महत्या तक का कारक बन सकता है।  
ज्योतिषाचार्य के अनुसार सामान्य तोर पर लोग मोती रत्न पहन लेते है , जब उनसे पूछा जाता है की यह रत्न आपने क्यों पहना तो 95 प्रतिशत लोगो का जबाब होता है की मुझे गुस्सा बहुत आता है , गुस्सा शांत रहे इसलिए पहना हैयह बिलकुल गलत है ! मोती रत्न चन्द्रमा ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है , और यह ग्रह आपकी जन्मकुंडली में शुभ भी हो सक्ता है और अशुभ भी ! यदि चंद्रमा शुभ ग्रहों के साथ शुभ ग्रहों की राशि में और शुभ भाव में बैठा होगा तो निश्चित ही मोती रत्न आपको फायदा पहुचाएगा ! इसके विपरीत अशुभ ग्रहों के साथ होने से शत्रु ग्रहों के साथ होने से मोती नुसकान भी पंहुचा सकता है |
जैसे मोती रत्न को यदि मेष लग्न का जातक धारण करे, तो उसे लाभ प्राप्त होगा। कारण मेष लग्न में चतुर्थ भाव का स्वामी चंद्र होता है। चतुर्थेश चंद्र लग्नेश मंगल का मित्र है। चतुर्थ भाव शुभ का भाव है, जिसके परिणामस्वरूप वह मानसिक शांति, विद्या सुख, गृह सुख, मातृ सुख आदि में लाभकारी होगा। यदि मेष लग्न का जातक मोती के साथ मूंगा धारण करे, तो लाभ में वृद्धि होगी। 
मोती धारण करने से व्यक्ति में सौम्यता व शीतलता का उदय होता है, मन एकाग्र होता है ओवर थिंकिंग, नेगेटिव थिंकिंग, मानसिक तनाव, एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याओं में मोती धारण करने से लाभ होता है इसके अलावा लंग्स से जुडी समस्या, अस्थमा, माइग्रेन, साइनस की समस्या, शीत रोग तथा मानसिक रोगों में भी मोती धारण करने से लाभ होता है तथा मानसिक अस्थिरता से व्यक्ति एकाग्रता की और बढ़ने लगता है स्थूल रूप में कहा जाये तो मोती धारण करने से पीड़ित या कमजोर चन्द्रमाँ  के सभी दुष्प्रभावों में लाभ व सकारात्मक परिवर्तन होता है। परंतु आब यहाँ सबसे विशेष बात यही है के प्रत्येक व्यक्ति को मोती धारण नहीं करना चाहिए मोती धारण करना सभी व्यक्तियों के लिए शुभ हो ऐसा बिलकुल भी आवश्यक नहीं है अधिकांश लोग की सोच होती है के मोती तो सौम्य प्रवर्ति का रत्न है और इसे धारण करने से तो मानसिक शांति मिलती है इसलिए हमें भी मोती धारण कर लेना चाहिए पर यहाँ यह बड़ी विशेष बात है के बहुतसी स्थितियों में मोती आपके लिए मारक रत्न का कार्य भी कर सकता है और मोती धारण करने पर बड़े स्वास्थ कष्ट, बीमारियां, दुर्घटनाएं और संघर्ष बढ़ सकता है इसलिए अपनी इच्छा से बिना किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह के मोती नहीं धारण करना चाहिए, वास्तव में कुंडली में चन्द्रमाँ कमजोर होने पर मोती धारण की सलाह केवल उन्ही व्यक्तियों को दी जाती है जिनकी कुंडली में चन्द्रमाँ शुभ कारक ग्रह होता है, क्योंकि मोती धारण करने से कुंडली में चन्द्रमाँ की शक्ति बहुत बढ़ जाती है और ऐसे में यदि चन्द्रमाँ कुंडली का अशुभ फल देने वाला ग्रह हुआ तो मोती पहनना व्यक्ति के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होगा इसलिए किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण कराने के बाद की मोती धारण करना चाहिए और यदि चन्द्रमाँ आपकी कुंडली का शुभ कारक ग्रह है तो निःसंदेह मोती धारण से बहुत शुभ परिणाम प्राप्त होंगे
ज्योतिषाचार्य के अनुसार मोती, चन्द्र गृह का प्रतिनिधित्व करता है! कुंडली में यदि चंद्र शुभ प्रभाव में हो तो मोती अवश्य धारण करना चाहिए | चन्द्र मनुष्य के मन को दर्शाता है, और इसका प्रभाव पूर्णतया हमारी सोच पर पड़ता है| हमारे मन की स्थिरता को कायम रखने में मोती अत्यंत लाभ दायक सिद्ध होता है| इसके धारण करने से मात्री पक्ष से मधुर सम्बन्ध तथा लाभ प्राप्त होते है! मोती धारण करने से आत्म विश्वास में बढहोतरी भी होती है | हमारे शरीर में द्रव्य से जुड़े रोग भी मोती धारण करने से कंट्रोल किये जा सकते है जैसे ब्लड प्रशर और मूत्राशय के रोग , लेकिन इसके लिए अनुभवी ज्योतिष की सलाह लेना अति आवशयक है, क्योकि कुंडली में चंद्र अशुभ होने की स्तिथि में मोती नुक्सान दायक भी हो सकता है | पागलपन जैसी बीमारियाँ भी कुंडली में स्थित अशुभ चंद्र की देंन होती है , इसलिए मोती धारण करने से पूर्व यह जान लेना अति आवशयक है की हमारी कुंडली में चंद्र की स्थिति क्या है ? छोटे बच्चो के जीवन से चंद्र का बहुत बड़ा सम्बन्ध होता है क्योकि नवजात शिशुओ का शुरवाती जीवन , उनकी कुंडली में स्थित शुभ या अशुभ चंद्र पर निर्भर करता है! यदि नवजात शिशुओ की कुंडली में चन्द्र अशुभ प्रभाव में हो तो बालारिष्ठ योग का निर्माण होता है | फलस्वरूप शिशुओ का स्वास्थ्य बार बार खराब होता है, और परेशानिया उत्त्पन्न हो जाती है , इसीलिए कई ज्योतिष और पंडित जी अक्सर छोटे बच्चो के गले में मोती धारण करवाते है | कुंडली में चंद्रमा के बलि होने से न केवल मानसिक तनाव से ही छुटकारा मिलता है वरन् कई रोग जैसे पथरी, पेशाब तंत्र की बीमारी, जोड़ों का दर्द आदि से भी राहत मिलती है।   
ज्योतिषाचार्य ने बताया की स्त्रियो के नथुनी में मोती धारण करने से लज्जा लावारण अखंड सोभाग्य की प्राप्ति होती है और पति पत्नी में प्रेम प्रसंग या प्रेमिका को पाने के लिए मोती रत्न धारण करने से प्रेम परवान चढ़ाता है। मोती रत्न धारण करने से उदर रोग भी ठीक होता है जिस जातक का बलिष्ठ चन्द्रमा हो , सुख और समृद्धि प्रदान कर रहा हो , माता की लम्बी आयु वाले व्यक्तिओ को चन्द्र की वास्तुओ का दान नही लेना चाहिए | द्रव्य से जुड़े व्यावसायिक और नोकरी पेशा लोगों को मोती अवश्य धारण करना चाहिए , जैसे दूध और जल पेय आदि के व्यवसाय से जुड़े लोग , लेकिन इससे पूर्व कुंडली अवश्य दिखाए |
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इसके साथ साथ वृषभ लग्न के जातकों को मोती से हमेशा दूरी बनाए रखना चाहिए, क्योंकि इस लग्न के जातकों के लिए मोती शुभता प्रदान नहीं करता है। मोती यूं तो शांति का कारक माना गया है लेकिन मोती को भी बगैर ज्योतिषीय सलाह से बिल्कुल भी धारण नहीं करना चाहिए। इसी तरह मिथुन लग्न वालों के लिए भी मोती अशुभ है तो वहीं सिंह लग्न के लिए भी मोती का प्रभाव अशुभ रूप से ही सामने आता है। 
ज्योतिष् शास्त्र के अनुसार रत्नों का हमारे जीवन पर विशेष महत्व रहता है. कोई भी रत्न हमारे जीवन पर किसी न किसी रूप में प्रभाव डालता है. यदि वह शुभ ग्रह का हो तो जीवन सुखमय व परिपूर्ण लगने लगता है और यदि वह ग्रह अशुभ हो तो जीवन में कठिनाइयां बढ़ती जाती है |
अमावस्या के दिन जन्में जातक मोती धारण करेंगे तो उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
–  राहू के साथ ग्रहण योग निर्मित होने पर मोती अवश्य ग्रहण धारण करना चाहिए।
कुंडली में चंद्र छठे अथवा आठवें भाव में हो तो मोती पहनने से सकारात्मकता का संचार होता है।
कारक अथवा लग्नेश चंद्र नीच का हो तो मोती पहनें।
इसके अलावा धनु लग्न में जन्में व्यक्ति को भी मोती पहनने से हमेशा हानि ही सामने आती हे तो वहीं ऐसी ही अनिष्टकारी स्थिति कुंभ लग्न वालों के लिए भी कही जाती है। मोती के साथ न तो हीरा  धारण करना चाहिए और न ही पन्ना या नीलम या फिर गोमेद मोती के साथ अनुकुलता प्रदान करता है। क्योंकि उपरोक्त सभी रत्न मोती के विपरित स्वभाव वाले है।यदि चंद्रमा कमज़ोर स्थिति में हो मनुष्य में बैचेनी, दिमागी अस्थिरता, आत्मविश्वास की कमी होती है और इसी कमी के चलते वह बार-बार अपना लक्ष्य बदलता रहता है. जिस के कारण सदैव असफलता ही हाथ लगती है. चंद्रमा आलस्य, कफ, दिमागी असंतुलन, मिर्गी, पानी की कमी, आदि रोग उत्पन्न करता है . यह पानी का प्रतिनिधि ग्रह है. मोती की उत्पत्ति भी पानी में और पानी के द्वारा ही होती है |चंद्रमा यदि आपकी कुंडली के अनुसार शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति शारीरिक रूप से पुष्ट, सुंदर, विनोद प्रिय , सहनशील, भावनाओं की कद्र करने वाला, सच्चा होता है|
ज्योतिषाचार्य के अनुसार यदि आप चंद्र देव का रत्न मोती धारण करना चाहते है, तो 5 से 8 कैरेट के मोती को चाँदी की अंगूठी में जड्वाकर किसी भी शुक्लपक्ष के प्रथम सोमवार को सूर्य उदय के पश्चात अंगूठी को दूध, गंगा जल, शक्कर और शहद के घोल में डाल दे | उसके बाद पाच अगरबत्ती चंद्रदेव के नाम जलाये और प्रार्थना करे की हे चन्द्र देव मै आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न, मोती धारण कर रहा हूँ , कृपया करके मुझे आशीर्वाद प्रदान करे, तत्पश्चात अंगूठी को निकाल कर ॐ सों सोमाय नम:मंत्र का 108 बार जप करते हुए अंगूठी को शिवजी के चरणों से लगाकर कनिष्टिका  ऊँगली में धारण करे | यथा संभव मोती धारण करने से पहले किसी ब्राह्मण ज्योतिषी से अपनी कुंडली में चंद्रमा की शुभता का अशुभता के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए. मोती रत्न शुक्ल पक्ष के सोमवार या किसी विशेष महूर्त के दिन ब्राह्मण के द्वारा शुद्धीकरण व प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही धारण करना चाहिए |
वैसे मोती अपना प्रभाव  जिस दिन मोती धारण किया जाता है उस दिन से 4 दिन के अंदर-अंदर वह अपना प्रभाव देना शुरू कर देता है और औसतन 2 साल एक महीना व 27 दिन में पूरा प्रभाव देता है तत्पश्चात निष्क्रिय होता है। अत: समय पूर्ण होने पर मोती बदलते रहें।वैसे मोती अपना प्रभाव 4 दिन में देना आरम्भ कर देता है, और लगभग 2 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है फिर निष्क्रिय हो जाता है |2 वर्ष के पश्चात् पुनः नया मोती धारण करे |अच्छे प्रभाव प्राप्त करने के लिए साऊथ सी का 5 से 8 कैरेट का मोती धारण करे | मोती का रंग सफ़ेद और कोई काला दाग नहीं होना चाहिए | किन्हीं विशेष परिस्थितियों में मोती बदलने में असमर्थ हों तो उसी अंगूठी को गुनगुने पानी में चुटकी भर शुद्ध नमक डालकर अंगूठी की ऋणात्मक शक्ति को खत्म करें। फिर शुद्ध होने पर अंगूठी को शिवालय लेकर जाएं शिवलिंग पर उसको छुआएं तथा मंदिर में खड़े होकर ही उसे धारण कर लें।
मोती को चाँदी की अंगूठी में बनवाकर सीधे हाथ की कनिष्ठा या अनामिका उंगली में धारण कर सकते हैं इसके अतिरिक्त सफ़ेद धागे या चांदी की चेन के साथ लॉकेट के रूप में गले में भी धारण कर सकते हैं मोती को सोमवार के दिन प्रातः काल सर्व प्रथम गाय के कच्चे दूध व गंगाजल से अभिषेक करके धुप दीप जलाकर चन्द्रमाँ के मन्त्र का तीन माला जाप करना चाहिए फिर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके मोती धारण कर लेना चाहिए।
मोती धारण मन्त्र ॐ सोम सोमाय नमः


4 comments:

  1. मोती के बारे मे इतनी अच्छी जानकारी दी है कि बहुत अच्छा लगा लेकिन आप बार बार अच्छे जोतिष से परामर्श की बात करके यह साबित करते है कि आपको जानकारी नही है। डरा भी रहे है और लुभा भी रहे है इसलिए लोग जोतिष पर विश्वास नही करते आज कल अच्छे जोतिष कहा है सब लूटने मैं लगे है।और आप बार बार जोतिष जोतिष लगे है।या तो किसी रतन की जानकारी देकर लुभावने आर्टिकल न लिखे और लिखे तो सिर्फ अच्छा ही लिखे।

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    1. Sir ji, namaskar. Sir ji, ye article bohot hi aachha hai aur ye jo baar baar jyotish ko consult kerne ki baat ker rahe hain, bohot satik baat bata rahe hain. Humlogo ko lagta hai moti se koi hani nahi hoga. per aaisa nahi hai. Chandrama ka gochar parivartan bohot tej hota hai. sawa do din mein yeh rashi parivartan ker leta hai aur agar yeh shatru bhav mein hoga to ise pehente hi turant hani ker deiga. Isliye author ne bohot sahi likha hai ki bina jyotish paramarsh ke ise na pehne. Jyotish India ki ek vedic sreshth vidya hai aur iske jankar bhi hain. Ye baat alag hai ki pakhandi loag bhole bhale logo ko thag lete hain aur jyotish badnaam hota hai. Per iska matlab yeh nahi ki Jankar jyotish india mein nahi hain.
      Dhanyevaad. Thankyou

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  2. Kya kare lagan walon ki jab Chandra or Rahu 12 the house Mai ho to pahna chaye ya nhi..

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  3. ulte hath ki ring finger ya little finger me moti dharan karne ke labh??

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