Saturday 30 November 2013

पूजन में फूलों का महत्व

गणेशजी
को तुलसी छोड़कर सभी पत्र-पुष्प प्रिय हैं! गणपतिजी को दूर्वा अधिक
प्रिय है। अतः सफेद या हरी दूर्वा चढ़ाना चाहिए। दूर्वा की फुनगी में
तीन या पाँच पत्ती होना चाहिए। गणेशजी पर तुलसी कभी न चढ़ाएँ।
पद्मपुराण, आचार रत्न
में लिखा है कि 'न तुलस्या गणाधिपम्‌' अर्थात तुलसी से गणेशजी की पूजा
कभी न की जाए। कार्तिक माहात्म्य में भी कहा है कि 'गणेश तुलसी पत्र
दुर्गा नैव तु दूर्वाया' अर्थात गणेशजी की तुलसी पत्र और दुर्गाजी की
दूर्वा से पूजा न करें।
भगवान शंकर पर फूल
चढ़ाने का बहुत अधिक महत्व है। तपः शील सर्वगुण संपन्न वेद में निष्णात
किसी ब्राह्मण को सौ सुवर्ण दान करने पर जो फल प्राप्त होता है, वह शिव
पर सौ फूल चढ़ा देने से प्राप्त हो जाता है।
गुड़हल का लाल फूल

भगवान
विष्णु के लिए जो-जो पत्र-पुष्प बताए गए हैं, वे सब भगवान शिव को भी
प्रिय हैं। केवल केतकी (केवड़े) का निषेध है। शास्त्रों ने कुछ फूलों के
चढ़ाने से मिलने वाले फल का तारतम्य बतलाया है।

जैसे दस सुवर्ण दान का
फल एक आक के फूल को चढ़ाने से मिलता है, उसी प्रकार हजार आक के फूलों का
फल एक कनेर से और हजार कनेर के बराबर एक बिल्व पत्र से मिलता है। समस्त
फूलों में सबसे बढ़कर नीलकमल होता है।
फूल सुगंध और सौंदर्य के प्रतीक हैं। हम पूजा के दौरान भगवान को इसी भाव से फूल चढ़ाते हैं कि हमारा जीवन भी सुगंध और सौंदर्य से भरा हो। वैसे तो भगवान भाव के भूखे हैं। लेकिन पूजा विधान में अलग-अलग देवता को अलग-अलग रंग के फूल चढ़ाने की परंपरा है। यह सिर्फ परंपरा ही नहीं है, इसका देवता विशेष के संदर्भ में वैज्ञानिक महत्व भी है। स्वभावत: जिस देवता को जो रंग प्रिय है, हम उस रंग के फूल अर्पित करते हैं तो पूजा सफल होती है। आइए जानें कौन देवता किस रंग के फूल से प्रसन्न होते हैं....

सूर्य: लाल फूल

सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं। पूजा में सूर्य को लाल रंग के फूल चढ़ाने का विधान हैं। सूर्य को लालिमा प्रिय है। वे तेज के पुंज हैं। लाल रंग तेज का प्रतीक है। इसलिए सूर्य पूजा में लाल कनेर, लाल कमल, केसर या पलाश के फूल चढ़ाने का विधान है।

गणेश : लाल फूल

गणेश प्रथम पूज्य हैं। वे मंगलमूर्ति हैं, मंगल के प्रतीक, मंगल करने वाले। गणेश को लाल रंग के फूल प्रिय हैं। लाल रंग मंगल का प्रतीक है। गणेश पूजा में तुलसी दल का निषेध है लेकिन दुर्वा चढ़ाई जाती है। गणेश विराट व्यक्तित्व वाले हैं लेकिन जिस तरह चूहा उनका वाहन है वैसे ही दुर्वा उन्हें प्रिय है। यह इस बात का प्रतीक है कि जितना बड़ा व्यक्तित्व होगा वह बहुत छोटे के प्रति भी अपनत्व का भाव रखेगा। विराट व्यक्तित्व वाले गणेश को घास के तिनकों के रूप में दुर्वा इसी भाव में प्रिय है।

शिव: सफेद फूल

शिव को कनेर, और कमल के अलावा लाल रंग के फूल प्रिय नहीं हैं। सफेद रंग के फूलों से शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। कारण शिव कल्याण के देवता हैं। सफेद शुभ्रता का प्रतीक रंग है। जो शुभ्र है, सौम्य है, शाश्वत है वह श्वेत भाव वाला है। यानि सात्विक भाव वाला। पूजा में शिव को आक और धतूरा के फूल अत्यधिक प्रिय हैं। इसका कारण शिव वनस्पतियों के देवता हैं। अन्य देवताओं के लिए जो फूल त्याज्य हैं, वे शिव को प्रिय हैं। उन्हें मौलसिरी चढ़ाने का उल्लेख मिलता है। शिव को केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाने का निषेध किया गया है।

विष्णु: पीले फूल

विष्णु पीतांबरधारी हैं। पीला रंग उन्हें प्रिय है। सामान्यतया विष्णु पूजा में सभी रंगों के फूल अर्पित किए जाते हैं लेकिन पीतांबरप्रिय होने के कारण पीले रंग का फूल अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं। कमल का फूल विष्णु को बहुत प्रिय है।

देवी: लाल और सफेद फूल

लक्ष्मी को लाल और पीले, दुर्गा को लाल और सरस्वती को सफेद रंग के फूल अर्पित करने की परंपरा है। लक्ष्मी सौभाग्य की प्रतीक है अत: लाल रंग प्रिय है। विष्णु की पत्नी होने से वे पीले रंग के फूल से भी प्रसन्न होती हैं। दुर्गा शक्ति की प्रतीक है। लाल रंग शौर्य का रंग है। अत: वे लाल रंग के फूल से प्रसन्न होती हैं। सरस्वती ज्ञान और संगीत की देवी है। शुभ्रता की प्रतीक। उन्हें सफेद रंग के कमल पुष्प अर्पित किए जाते हैं।

भगवान गणेश को गुड़हल
का लाल फूल विशेष रूप से प्रिय होता है। इसके अलावा चाँदनी, चमेली या
पारिजात के फूलों की माला बनाकर पहनाने से भी गणेश जी प्रसन्न होते हैं

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