Wednesday 11 August 2021

भवन संबंधी दुर्लभ उपाय

गृह प्रवेश से पहले तुलसी का पौधा, अपने इष्ट देवता की तस्वीर, पानी से भरा कलश एवं गाय को प्रवेश कराना अति शुभकारी होता है। इससे घर में सुख-शांति आती है और संपन्नता बढ़ती है।
– भवन की नींव भरते समय शहद से भरा बरतन दबा दें। इससे जातक आजीवन खतरों से मुक्त रहेगा।
– जन्मकुंडली में शनि अशुभ हो तो गृह निर्माण करने से पूर्व गोदान करें।
– शनि जन्मकुंडली के चैथे घर में स्थित हो तो जातक को पैतृक भूमि पर मकान नहीं बनाना चाहिए। यदि जातक ऐसा करता है तो परिवार के सदस्यों को जिदंगीभर कष्ट उठाने पड़ते हैं। पुत्र रोगी रहता है। तंदुरूस्त होने की हालत में किसी झूठे मुकदमे में फंसकर कारावास की सजा उसे भुगतनी पड़ती है। शनि जन्मकुंडली के छठे घर में हो तो भवन निर्माण के पूर्व उस भूमि पर हवनादि करें और जमीन को शुद्ध कर लें। इससे केतु का प्रभाव मंदा पड़ जाता है।
– जन्मकुंडली के ग्यारहवें घर में शनि हो तो मुख्य द्वार की चैखट बनाने से पूर्व उसके नीचे चंदन दबा दें।
– एक बार भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ हो जाए तो बीच में उसे रोकें नहीं अन्यथा अधूरे मकान में राहु का वास होगा।
– भवन निर्माण शुरू कराने से पूर्व भवन निर्माण करने वालों (कारीगरों) को मिष्ठान खिलाएं।
– भवन निर्माण से पूर्व मकान की जमीन पर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
– भवन निर्माण करते समय जमीन में से या जमीन पर चींटियां निकलें तो उन चींटियों को शक्कर एवं आटा मिलाकर खिलाएं।
– भवन के मालिक की जन्मकुंडली में पांचवें घर में केतु हो तो भवन निर्माण से पहले केतु का दान अवश्य दें। संतान संबंधी उपाय – संतान प्राप्ति के लिए ‘संतान गोपाल स्तोत्रम’ का पाठ करें। गणेशजी की आराधना करें।
– संतान नहीं हो रही हो तो अपने भोजन का आधा हिस्सा गाय को खिलाएं तथा संतान को रोगमुक्त करने के लिए भी गाय को भोजन खिलाएं। जातक पीपल के पेड़ का जलसिंचन करें।
– संतान को दीर्घायु बनाने के लिए पिता को बृहस्पतिवार का व्रत करना चाहिए। – अपनी पत्नी को उचित सम्मान दें। रोग मुक्ति के लिए – रोग मुक्ति के लिए अपने भोजन का चैथाई हिस्सा गाय को और चैथाई हिस्सा कुत्ते को खिलाएं।
– घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चंदन मिलाकर चटाएं।
– पुत्र रोगी हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं।
– केतु के अनिष्ट प्रभाव के कारण रोग हो जाए तो तंदूर की मीठी रोटी कौए को खिलाएं।
– पत्नी बीमार हो तो गोदान करें।
– पुत्री बीमार हो तो पीपल के पेड़ की लकड़ी उसके सिरहाने रखें। – मंदिर में गुप्त दान करें। – रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू मंदिर में प्रसाद के रूप में बांटें।
– सिरदर्द होता हो तो चंदन और केसर का तिलक रोगी के सिर पर लगाएं।

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