– नीच ग्रह की वस्तुओं का दान कभी भी न लें। यदि ग्रह उच्च का हो तो ग्रह संबंधी दान न करें।
– चंद्र अगर जन्मकुंडली के छठे घर में हो तो ऐसे जातक को पानी की प्याऊ लगाना, धर्मशाला का निर्माण कराना, कुएं खुदवाना, गरीबों को भोजन खिलाना, गोदान करना आदि सभी जनकल्याण के कार्य कतई नहीं करने चाहिए। ऐसा करने से वंश वृद्धि रुक जाती है।
– जन्मकुंडली के आठवें घर में शनि होने पर भोजन, धन, वस्त्र, गाय आदि का दान नहीं करना चाहिए। जन्मकुंडली के पांचवें घर में बृहस्पति बैठा हो तो धन का दान न करें।
- जन्मकुंडली के नौवें घर में बृहस्पति बैठा हो तो मंदिर या किसी भी धार्मिक कार्य के लिए दान नहीं करना चाहिए।
– जन्मकुंडली के नौवें घर में शुक्र बैठा हो तो धन या अनाज से संबंधित दान नहीं करना चाहिए। –
- जन्मकुंडली के बारहवें घर में चंद्र बैठा हो तो पंडित या अन्य किसी व्यक्ति से कोई भी धार्मिक कार्य संपन्न नहीं कराना चाहिए और न ही दान देना चाहिए।
– जन्मकुंडली के सातवें घर में बृहस्पति बैठा हो तो पुरोहित को धन या अनाज दान में न दें।
– जन्मकुंडली के छठे घर में शनि अशुभ हो तो निकट संबंधी के विवाह में शामिल न हों या उसे विवाह के लिए आर्थिक सहयोग न दें।
– किसी कन्या के विवाह के लिए आप स्वयं धन खर्च करें। अपने पुत्र या पत्नी से न करवाएं।
– जन्मकुंडली के दूसरे घर में राहु हो तो तेल या चिकनाईवाले पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए।
– जन्मकुंडली में शुक्र चैथे घर में बैठा हो और साथ में राहु भी हो तो सोना दान में नहीं देना चाहिए। जन्मकुंडली के आठवें घर में राहु सूर्य के साथ बैठा हो तो कन्या के विवाह के अवसर पर ब्राह्मण को दान न दें।
– शनि अशुभ चल रहा हो तो चांदी का दान न करें।
– जन्मकुंडली के सातवें घर में केतु बैठा हो तो लोहा या लोहे की वस्तु का दान न करें। –
- जन्मकुंडली के चैथे घर में मंगल बैठा हुआ हो तो वस्त्र दान कभी नहीं करना चाहिए।
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