जब कोई ग्रह कुंडली में किसी भी भाव में अकेला बैठा हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न पड़ रही हो तो उसके फल में विशेषता आ जाती है जो कि निम्न प्रकार की होगी-
सूर्य - अकेला सूर्य किसी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक अपने बूते पर तरक्की करता है और धनवान बनता है।
चंद्र - अकेला चंद्र किसी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो ऐसा जातक अपने कुल की रक्षा करने वाला, दयालु व नम्र स्वभाव का होता है। किसी भी विपरीत परिस्थिति में अपने आप को बचाने की अद्भुत शक्ति उसमें होती है।
मंगल - अकेला मंगल किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक बहादुर तो बनता है पर वह स्वतंत्र नहीं रहता। उसे अपनी शक्तियों का अहसास नहीं रहता।
बुध - अकेला बुध किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक लोभी, लालची रहता है। देश विदेश में आवारा सा घूमता है।
गुरु - अकेला गुरु किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक के जीवन पर कोई भी अशुभ प्रभाव नहीं डालता।
शुक्र - अकेला शुक्र किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक पर कोई भी अशुभ प्रभाव नहीं डालता।
शनि - अकेला शनि किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो सामान्य फल देता है।
राहु - अकेला राहु किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक किसी की परवाह नहीं करता। जातक की रक्षा वह अवश्य करता है किंतु आर्थिक दृष्टि से सामान्य ही रखता है।
केतु - केतु अकेला किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न पड़ रही हो तो जातक को हर तरह से ताकतवर बनाता है। वह जातक को आर्थिक दृष्टि से सामान्य ही रखता है।
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