Saturday, 18 January 2014
क्यों काम नहीं करते है ज्योतिष के कोई भी उपाय...............
Saturday, 11 January 2014
नए नेताओं और शासकों के उदय का साल होगा 2014!
1 जनवरी, 2014 की दस्तक पर शून्य बजकर शून्य मिनट पर जब कैलेंडर बदला तब
मंगल बुध की राशि कन्या में, शनि देव मित्र राहू के साथ शुक्र की राशि तुला
में, सूर्य और बुध की युति चंद्रमा के साथ बृहस्पति की राशि धनु में
शुक्रदेव के वक्री होकर शनि की राशि मकर में, केतु मंगल की राशि मेष में और
वक्री बृहस्पति बुध की राशि मिथुन में गतिशील हो गए।
विक्रम संवत 2070 में पराभव संवत्सर चल रहा है, इसके राजा बृहस्पति और मंत्री शनि हैं, 31 मार्च 2014 अर्थात् गुड़ीपाडवा से श्री संवत 2071 यानी 'प्लवंग' संवत्सर आरंभ होगा, जिसके राजा और मंत्री का पद चंद्रदेव के पास रहेगा ससेष बृहस्पति होंगे, दुर्गेष सूर्य, धनेश बुध, रसेश शनि, धान्येश मंगल, निरसेश बुध, फलेश सूर्य और मेधेश सूर्य होंगे। ग्रंथों के अनुसार 'प्लवंग' संवत्सर तमाम देशों में आपसी तनाव, द्वंद्व राजनेताओं में वैमनस्य और परिवर्तन के लिए जाना जाता है। चंद्रमा के राजा होने से प्रचुर मात्रा में वर्षा का योग है। यह वर्षा-बाढ़ का रूप भी ले सकती है।
किसी नए राजा, राजाओं या शासकों का उदय हो सकता है। जनता के रोग और दुख के शमन की योजनाएं बनेंगी। चंद्रदेव के मंत्री पद पर आसीन होने से अनाज की पर्याप्त पैदावार होगी, लेकिन मन के मालिक चंद्रदेव के मंत्री पद पर विराजमान होने के कारण यह वर्ष गलत राजनीतिक फैसलों के लिए भी याद किया जाएगा।
बृहस्पति के सयेश होने से रस वाले पदार्थों का उत्पादन अधिक होगा, मंगल के धनेश होने से मुनाफाखोरी बढ़ेगी। गेहूं, सरसों, मूंग, उड़द और तिल की कीमतों में तेजी होगी। जनता व्याकुल रहेगी, आम आदमी के हिस्से का आम कोई और खा जाएगा पब्लिक के हिस्से में केवल सूखी हुई गुठली ही आएगी यानी जनता इस बरस भी कष्ट में ही रहेगी।
सूर्य के मेधेश पद पर आसीन होने से फसलों के खराब होने के संकेत मिल रहे हैं। आतंकवादी घटनाएं सिर उठाएंगी, जन सामान्य में भय व्याप्त होगा। रसेश पद पर शनि के विराजमान होने से रसीले पदार्थों का उत्पादन होने के बाद भी उनके नाश का योग बनता है।
विक्रम संवत 2070 में पराभव संवत्सर चल रहा है, इसके राजा बृहस्पति और मंत्री शनि हैं, 31 मार्च 2014 अर्थात् गुड़ीपाडवा से श्री संवत 2071 यानी 'प्लवंग' संवत्सर आरंभ होगा, जिसके राजा और मंत्री का पद चंद्रदेव के पास रहेगा ससेष बृहस्पति होंगे, दुर्गेष सूर्य, धनेश बुध, रसेश शनि, धान्येश मंगल, निरसेश बुध, फलेश सूर्य और मेधेश सूर्य होंगे। ग्रंथों के अनुसार 'प्लवंग' संवत्सर तमाम देशों में आपसी तनाव, द्वंद्व राजनेताओं में वैमनस्य और परिवर्तन के लिए जाना जाता है। चंद्रमा के राजा होने से प्रचुर मात्रा में वर्षा का योग है। यह वर्षा-बाढ़ का रूप भी ले सकती है।
किसी नए राजा, राजाओं या शासकों का उदय हो सकता है। जनता के रोग और दुख के शमन की योजनाएं बनेंगी। चंद्रदेव के मंत्री पद पर आसीन होने से अनाज की पर्याप्त पैदावार होगी, लेकिन मन के मालिक चंद्रदेव के मंत्री पद पर विराजमान होने के कारण यह वर्ष गलत राजनीतिक फैसलों के लिए भी याद किया जाएगा।
बृहस्पति के सयेश होने से रस वाले पदार्थों का उत्पादन अधिक होगा, मंगल के धनेश होने से मुनाफाखोरी बढ़ेगी। गेहूं, सरसों, मूंग, उड़द और तिल की कीमतों में तेजी होगी। जनता व्याकुल रहेगी, आम आदमी के हिस्से का आम कोई और खा जाएगा पब्लिक के हिस्से में केवल सूखी हुई गुठली ही आएगी यानी जनता इस बरस भी कष्ट में ही रहेगी।
सूर्य के मेधेश पद पर आसीन होने से फसलों के खराब होने के संकेत मिल रहे हैं। आतंकवादी घटनाएं सिर उठाएंगी, जन सामान्य में भय व्याप्त होगा। रसेश पद पर शनि के विराजमान होने से रसीले पदार्थों का उत्पादन होने के बाद भी उनके नाश का योग बनता है।
Saturday, 14 December 2013
दूकान की बिक्री तत्काल प्रभाव से बढ़ेगी
१.“श्री शुक्ले महा-शुक्ले कमल-दल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नमः। लक्ष्मी
माई, सत्त की सवाई। आओ, चेतो, करो भलाई। ना करो, तो सात समुद्रों की दुहाई।
ऋद्धि-सिद्धि खावोगी, तो नौ नाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई।”
विधि- घर से नहा-धोकर दुकान पर जाकर अगर-बत्ती जलाकर उसी से लक्ष्मी जी के चित्र की आरती करके, गद्दी पर बैठकर, १ माला उक्त मन्त्र की जपकर दुकान का लेन-देन प्रारम्भ करें। आशातीत लाभ होगा।
२. “भँवरवीर, तू चेला मेरा। खोल दुकान कहा कर मेरा। उठे जो डण्डी बिके जो माल, भँवरवीर सोखे नहिं जाए।।”
विधि- १॰ किसीशुभ रविवार से उक्त मन्त्र की १० माला प्रतिदिन के नियम से दस दिनों में १०० माला जप कर लें। केवल रविवार के ही दिन इस मन्त्र का प्रयोग किया जाता है। प्रातः स्नान करके दुकान पर जाएँ। एक हाथ में थोड़े-से काले उड़द ले लें। फिर ११ बार मन्त्र पढ़कर, उन पर फूँक मारकर दुकान में चारों ओर बिखेर दें। सोमवार को प्रातः उन उड़दों को समेट कर किसी चौराहे पर, बिना किसी के टोके, डाल आएँ। इस प्रकार चार रविवार तक लगातार, बिना नागा किए, यह प्रयोग करें।
विधि- घर से नहा-धोकर दुकान पर जाकर अगर-बत्ती जलाकर उसी से लक्ष्मी जी के चित्र की आरती करके, गद्दी पर बैठकर, १ माला उक्त मन्त्र की जपकर दुकान का लेन-देन प्रारम्भ करें। आशातीत लाभ होगा।
२. “भँवरवीर, तू चेला मेरा। खोल दुकान कहा कर मेरा। उठे जो डण्डी बिके जो माल, भँवरवीर सोखे नहिं जाए।।”
विधि- १॰ किसीशुभ रविवार से उक्त मन्त्र की १० माला प्रतिदिन के नियम से दस दिनों में १०० माला जप कर लें। केवल रविवार के ही दिन इस मन्त्र का प्रयोग किया जाता है। प्रातः स्नान करके दुकान पर जाएँ। एक हाथ में थोड़े-से काले उड़द ले लें। फिर ११ बार मन्त्र पढ़कर, उन पर फूँक मारकर दुकान में चारों ओर बिखेर दें। सोमवार को प्रातः उन उड़दों को समेट कर किसी चौराहे पर, बिना किसी के टोके, डाल आएँ। इस प्रकार चार रविवार तक लगातार, बिना नागा किए, यह प्रयोग करें।
पारिवारिक अशान्ती, आपसी वैचारिक मतभेदो का हारक मन्त्र :-
कभी कभी ग्रह दोष अथवा अन्य किन्ही बाह्य या आन्तरिक कारणों के फलस्वरूप
पति-पत्नि,पिता-पुत्र,भाई-भाई अथवा अन्य किन्ही सदस्यों के बीच आपसी मतभेद
उत्पन होकर घर परिवार की शान्ती में विघ्न उत्पन हो जाता है। ओर ऎसा प्रतीत
होता है कि जैसे सभी पारिवारिक सम्बंध बिगडते जा रहे हैं, जिनके कारण मन
अशान्त एवं अधीर हो उठता है। हर समय कुछ अनिष्ट हो जाने का भय मन में बना
रहता है। यहाँ मैं जो मन्त्र आपको बता रहा हूँ----ये जानिए कि ऎसी किसी
भी स्थिति के उन्मूलन के लिए ये मन्त्र सचमुच रामबाण औषधि का कार्य करता
है। ऎसा नहीं कि इसके लिए आपको कोई पूजा अनुष्ठान करना पडेगा या अन्य किसी
प्रकार की कोई सामग्री, कोई माला इत्यादि की जरूरत पडेगी। न कोई पाठ पूजा, न
सामग्री, न माला या अन्य कैसे भी नियम, विधि-विधान की कोई आवश्यकता नहीं
और न ही समय का कोई निश्चित बन्धन। आप अपनी सुविधा अनुसार जैसा और जब,
जितनी मात्रा में चाहें उतना जाप कर सकते हैं। बस मन्त्र एवं मिलने वाले
उसके सुफल के बारे में श्रद्धा बनाए रखिए तो समझिए कुछ ही दिनों में आपको
इसका प्रत्यक्ष लाभ दिखलाई पडने लगेगा। मन्त्र है :- ॐ क्लीं विघ्न क्लेश
नाशाय हुँ फट.......................
दैनिक परेशानियों कुछ अचूक परखे हुए उपाय .....................................................
मनुष्य के जीवन में आए दिन परेशानियां आती रहती है। यदि कुछ साधारण
तांत्रिक प्रयोग किए जाएं तो वह समस्याएं शीघ्र ही समाप्त भी हो जाती हैं।
तांत्रिक प्रयोग में एक ऐसे पत्थर का उपयोग किया जाता है जो दिखने में
साधारण होता है लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से अपना प्रभाव दिखाता है। उस पत्थर
का नाम है गोमती चक्र। गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती
नदी में मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यों तथा असाध...्य रोगों में इसका
प्रयोग होता है। इसका तांत्रिक उपयोग बहुत ही सरल होता है। जैसे-
1- पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में हलूं बलजाद कहकर फेंद दें, मतभेद समाप्त हो जाएगा।
2- पुत्र प्राप्ति के लिए पांच गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुक पांच बोलकर विसर्जित करें, पुत्र प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
3- यदि बार-बार गर्भ गिर रहा हो तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर कमर में बांध दें तो गर्भ गिरना बंद हो जाता है।
4- यदि कोई कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर दाहिना पांव रखकर जाए तो उस दिन कोर्ट-कचहरी में सफलता प्राप्त होती है।
5- यदि शत्रु बढ़ गए हों तो जितने अक्षर का शत्रु का नाम है उतने गोमती चक्र लेकर उस पर शत्रु का नाम लिखकर उन्हें जमीन में गाड़ दें तो शत्रु परास्त हो जाएंगे ..
बस ये याद रखे कि गोमती चक्र असली हो और जाग्रत किये हुए हो अन्यथा लाभ के स्थान पर हनी भी हो सकती है ...
1- पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में हलूं बलजाद कहकर फेंद दें, मतभेद समाप्त हो जाएगा।
2- पुत्र प्राप्ति के लिए पांच गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुक पांच बोलकर विसर्जित करें, पुत्र प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
3- यदि बार-बार गर्भ गिर रहा हो तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर कमर में बांध दें तो गर्भ गिरना बंद हो जाता है।
4- यदि कोई कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर दाहिना पांव रखकर जाए तो उस दिन कोर्ट-कचहरी में सफलता प्राप्त होती है।
5- यदि शत्रु बढ़ गए हों तो जितने अक्षर का शत्रु का नाम है उतने गोमती चक्र लेकर उस पर शत्रु का नाम लिखकर उन्हें जमीन में गाड़ दें तो शत्रु परास्त हो जाएंगे ..
बस ये याद रखे कि गोमती चक्र असली हो और जाग्रत किये हुए हो अन्यथा लाभ के स्थान पर हनी भी हो सकती है ...
इन उपायों से चूहे आपके घर में नहीं आएंगे
अधिकांश
घर ऐसे हैं जहां चूहों की समस्या एक आम बात है। चूहों के कारण कई बार अनाज
के साथ ही कपड़ों और अन्य मूल्यवान चीजों का नुकसान हो जाता है।
ऐसे
में काफी लोग चूहों को मारने के लिए बाजार में मिलने वाली दवा का प्रयोग
करते हैं। ये दवा खाकर चूहे घर में ही इधर-उधर मर जाते हैं, जिसकी बदबू
पूरे घर में फैल जाती है।
यदि आपके घर में चूहों के कारण अत्यधिक
नुकसान होता है और उन्हें मारने से फैलने वाली बदबू से भी मुक्ति पाना
चाहते हैं तो यह उपाय करें। उपाय के अनुसार बाजार से मिट्टी का एक घड़ा या
मटका लेकर आएं। इसके बाद यह मटका घर लाकर इस प्रकार फोड़ें कि उसके कम से
कम चार टुकड़े हो जाएं।
मटके के चार टुकड़े लेकर काजल से उनके ऊपर
चूहे भगाने का चमत्कारी मंत्र लिखें। मंत्र: ऊँ क्रौं क्रां। यह मंत्र
मटके के टुकड़ों पर लिखने के बाद चारों टुकड़े घर के चारों कोनों में रख
दें या गाड़ दें। यह एक तांत्रिक उपाय है। इस संबंध में किसी भी प्रकार की
शंका या संदेह न करें, अन्यथा इसका प्रभाव निष्फल हो जाता है।
एक
अन्य टोटका: जिस घर में चूहों के कारण परेशानियां रहती हैं और बार-बार
वस्तुओं का नुकसान होता है उन्हें ऊंट के दाएं पैर का नाखुन का उपाय करना
चाहिए।
यदि कहीं से आपको ऊंट के दाएं पैर का नाखुन मिल जाए तो उसे
अपने घर ले आएं और घर में जहां चूहे रहते हैं उस स्थान पर वह नाखुन रख
दें। इस नाखुन को स्पर्श करते ही चूहे आपके घर से भागने लगेंगे।
ज्योतिष में चूहों के संबंध में भी कुछ शकुन और अपशकुन बताए गए हैं।
ऐसा माना जाता है कि यदि किसी जहाज से चूहे भागने लगे तो समझ लेना चाहिए कि कोई दुर्घटना होने वाली है। जहाज पानी में डूब सकता है।
यदि घर में काले चूहे एकदम काफी अधिक हो जाए तो समझ लेना चाहिए कि घर में कोई सदस्य किसी गंभीर बीमारी की गिरफ्त में आ सकता है।
जब घर में चूहे लकड़ी के फर्नीचर को कुतरना शुरू कर दे तो समझ लेना चाहिए
कि उस घर में कोई बुरी घटना हो सकती है या कोई दुखद समाचार मिल सकता है।
यदि किसी घर में कोई छोटा बच्चा है और उस बच्चे का दूध का दांत गिरने पर
चूहे ले जाए और बिल में डाल दे तो समझ लेना चाहिए कि बच्चे के दांत जीवनभर
बहुत मजबूत रहेंगे।
शास्त्रों के अनुसार प्रथम पूज्य भगवान
श्रीगणेश का वाहन चूहा ही है। इसी वजह से अकारण चूहों को मारने से जीव
हत्या पाप भी लगता है। अत: कोशिश यही करना चाहिए चूहों को घर से भगा दिया
जाए। उन्हें मारने उचित नहीं है। यदि चूहे घर में ही मर जाते हैं तो घर में
दुर्गंध फैल जाती है, जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। मरे
हुए चूहों की बदबू से घर का वातावरण भी प्रदूषित हो जाता है।
शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं के वाहन अलग-अलग और विचित्र बताए
हैं। किसी भी देवता का वाहन अज्ञान और अंधकार की शक्तियों का प्रतिनिधित्व
करते हैं जिसका नियंत्रण वह देवता करते हैं। गणेशजी का वाहन है मूषक यानि
चूहा। गणपति को विशालकाय बताया गया है जबकि उनका वाहन मूषक अति लघुकाय है।
चूहे
को धान्य अर्थात् अनाज का शत्रु माना जाता है और श्रीगणेश का उस नियंत्रण
रहता है। अत: श्रीगणेश का वाहन मूषक यह संकेत देता है कि हमें भी हमारे
अनाज, संपत्ति आदि को बचाकर रखने के लिए विनाशक जीव-जंतुओं पर नियंत्रण
करना चाहिए। वहीं हमारे जीवन में जो लोग हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं उन पर
भी पूर्ण नियंत्रण किया जाना चाहिए। ताकि जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो
जाए और हम सफलताएं प्राप्त कर सके।
इन सभी बातों को अपनाने से हमारे
जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाएंगी। धन, संपत्ति और धर्म के क्षेत्र में
उल्लेखनीय सफलताएं प्राप्त होंगी। घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलेगा
Sunday, 8 December 2013
शिव अभिषेक करें इन वस्तुओं से और अभीष्ट सिद्धि प्राप्त करें .
सात्त्विक समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु - दुग्ध एवं तीर्थजल से
बच्चों के जन्मोत्सव एवं उनके यसस्वी भविष्य के लिए -दुग्ध एवं तीर्थजल से
अपने दांपत्य जीवन में प्रीति वर्धन हेतु तथा गृह कार्य क्लेश निवारणार्थ - दुग्ध एवं शहद से
व्यापार में उतरोत्तर वृद्धि तथा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए - गन्ने का रस
प्रियजनों की रोग शांति के लिए - कुशोदक से
पुत्र प्राप्ति तथा सुगर रोग शमनार्थ - गोदुग्ध एवं शक्कर मिश्रित जल से
वंश वृद्धि के निमित्त - घृत से
बुद्धि की जड़ता तथा कमजोरी दूर करने के लिए - शर्करा मिश्रित जल से
शत्रु विनाश के लिए - सरसों के तेल से
धन की वृद्धि एवं ऋण मुक्ति तथा जन्मपत्रिका में मंगल दोष सम्बन्धी निवारणार्थ - शहद से
अर्थात
जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
• असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
• रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
• ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
• सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
• शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
• गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
• पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।
बच्चों के जन्मोत्सव एवं उनके यसस्वी भविष्य के लिए -दुग्ध एवं तीर्थजल से
अपने दांपत्य जीवन में प्रीति वर्धन हेतु तथा गृह कार्य क्लेश निवारणार्थ - दुग्ध एवं शहद से
व्यापार में उतरोत्तर वृद्धि तथा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए - गन्ने का रस
प्रियजनों की रोग शांति के लिए - कुशोदक से
पुत्र प्राप्ति तथा सुगर रोग शमनार्थ - गोदुग्ध एवं शक्कर मिश्रित जल से
वंश वृद्धि के निमित्त - घृत से
बुद्धि की जड़ता तथा कमजोरी दूर करने के लिए - शर्करा मिश्रित जल से
शत्रु विनाश के लिए - सरसों के तेल से
धन की वृद्धि एवं ऋण मुक्ति तथा जन्मपत्रिका में मंगल दोष सम्बन्धी निवारणार्थ - शहद से
अर्थात
जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
• असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
• रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
• ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
• सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
• शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
• गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
• पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।
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